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इतने प्रवचनों के बाद भी आपका जीवन क्यों नहीं बदला- पद्मभूषण श्रीमद्विजय रत्नसुन्दरजी

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हरमुद्दा
रतलाम, 21 अप्रैल। क्रिकेट के खिलाड़ी को भले ही कोच तैयार करता है, लेकिन मैदान में उसे केप्टन की आज्ञा में रहना पड़ता है। इसी प्रकार बाहर हमें कोई तैयार करें, लेकिन वे हमारे कोच है। परिवार में तो मुखिया की मर्यादा में रहना चाहिए। 52 वर्षों के दीक्षा पर्याय में गच्छाधिपति श्री जयघोष सूरीश्वरजी म.सा. मेरे जीवन में केप्टन बनकर बैठे है। एक प्रवचन जीवन बदल सकता है, लेकिन इतने प्रवचनों के बाद भी आपका जीवन क्यों नहीं बदला?
यह बात राज प्रतिबोधक, पद्मभूषण, सरस्वतीलब्धप्रसाद, परम पूज्य आचार्य श्रीमद्विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी महाराज ने 53 वें दीक्षा दिवस पर आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव की शुरुआत करते हुए कही।
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श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी द्वारा रुद्राक्ष कालोनी,लक्ष्मी नगर,हरमाला रोड़ पर आयोजित महोत्सव में पहले दिन भक्ति से भरे संगीतमय माहौल में आचार्यश्री को काम्बली औढ़ाकर दीक्षा दिवस मनाया गया।
पांच सूत्रों पर करें अमल
आचार्यश्री ने इस मौके पर 52 वर्ष पूर्व हुए जीवन परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए पांच सूत्रों पर अमल करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर हंगर आफ विजडम अर्थात ज्ञान की भूख होना चाहिए। इक्सिस द बेस्ट अर्थात अच्छे की पंसद हो, एक्सेप्ट ऑफ रिस्पांसबिलिटी अर्थात जिम्मेदारी स्वीकारों, रिस्पांड विथ करेज अर्थात जिम्मेदारी साहस के साथ निभाओ और थींगस ऑफ अदर्स याने दूसरे के सुख की चिंता करो। सागर से मोती लाना हो, तो उसके भीतर गहराई तक जाना पड़ता है और बिजनेस में आगे जाना हो, तो पूरा समर्पित होना पड़ता है, उसी प्रकार आत्मा के क्षेत्र में यदि जाना है, तो गहराई तक जाना पड़ेगा।
आत्म कल्याण की भूख नहीं
उन्होंने कहा कि लोगों में आजकल पैस,प्रशंसा,प्रतिष्ठा की भूख होती है, लेकिन धर्म करके आत्म कल्याण की भूख नहीं होती। उनके अंदर दीक्षा से लेकर आज तक यह भूख है। ऐेसी भूख के लिए अच्छी चीज भले ही पंसद नहीं कर सको, लेकिन अच्छी सोच पसंद करना है। इससे आपको कोई रोकने वाला नहीं है। गंदा विचार आए, तो चिंता मत करना। लेकिन मन में टिक नहीं जाए, इसका ध्यान रखना होगा। इसी प्रकार क्रोध कर लिया,लेकिन बैर नहीं पालना चाहिए। क्रोध को सेव ना करें और आगे बढ़ते चले।
आचार्यश्री ने कहा कि 22 वर्ष पूर्व उन्हें आचार्य पद के साथ बड़ी जिम्मेदारी मिली, तो उसे स्वीकारा और गच्छाधिपति की मर्यादा का पालन करते हुए निभाया। जिम्मेदारी निभाने में दिक्कत आए, तो उसका साहस पूर्वक सामना करना होगा। दुखी होने पर पीछे रहना पड़ता है।
बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुति
आरंभ में बच्चों ने आकर्षक प्रस्तुति दी। धर्मलाभ की बोलियां लगाई गई। सर्वाेच्च बोली लगाकर आचार्यश्री को काम्बली औढ़ाने का लाभ सूरत श्री संघ ने लिया, जबकि प्रथम वासक्षेप की बोली का लाभ चांद मेहता-वल्लभसिंह मेहता परिवार अजमेर-मुंबई ने तथा प्रदर्शनी के उद्घाटन की बोली का लाभ संपतबाई-जयंतीलाल तलेरा मिर्चीवाला परिवार ने लिया। सूरत श्री संघ ने आचार्यश्री से चातुर्मास की विनंती भी की।
दो पुस्तकों का विमोचनScreenshot_2019-04-21-21-55-28-197_com.yahoo.mobile.client.android.mail
इस मौके पर आचार्यश्री की दो पुस्तकों का विमोचन हुआ। गुजराती पुस्तक-“तो परमात्मा बनी शकाय छ” के विमोचन का लाभ कांताबेन चंदूलाल मेहता परिवार ने किरीटभाई के हस्ते लिया, जबकि हिन्दी पुस्तक-“मर्यादा! तुझे लाख-लाख नमस्कार” का विमोचन लाभ प्रकाशचंद, अतुलकुमार चौरडिया परिवार द्वारा लिया गया। दीक्षा दिवस कार्यक्रम के लाभार्थी दर्शन,नरेश, राजीव, अनिल, सुमेरचंद जैन परिवार दिल्ली का बहुमान श्री संघ अध्यक्ष सुनील ललवानी, अभय लुनिया, सुनील मूणत, रश्मि बंबोरी, अर्चना ललवानी एवं अर्चना मूणत ने किया।
संगीतमय प्रस्तुतियां
संगीतमय प्रस्तुतियां द्वारका मंत्री देवास वाले ने दी। संचालन श्री संघ उपाध्यक्ष मुकेश जैन एवं जतिन पगारिया द्वारा किया गया। इस दौरान राजेश सुराना, राजेंद्र खाबिया, मोहनलाल कांसवा, विनोद मूणत, पियुष भटेवरा, शैलेंद्र मांडोत, अंकुर जैन, अंकित सकलेचा सहित बड़ी संख्या में देश भर से आए गुरूभक्त उपस्थित थे।
आचार महिमा महोत्सव के साथ प्रदर्शनी का शुभारंभScreenshot_2019-04-21-21-56-30-861_com.yahoo.mobile.client.android.mail
पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य रत्न पन्यास प्रवर श्री युगसुन्दर विजयजी म.सा.को आचार्य पद प्रदान करने के प्रसंग पर आयोजित आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव रविवार को प्रारंभ हो गया। इसका मुख्य आकर्षण आचार्य के 36 गुणों को दर्शाने वाली आर्ट गैलरी है, जिसका शुभारंभ सुबह किया गया। इसका शुभारंभ आचार्यश्री की निश्रा में संपतबाई-जयंतीलाल तलेरा मिर्चीवाला परिवार ने किया। प्रदर्शनी में आचार्य के गुणों के साथ साधु जीवन एवं आचार्य के आचार को मनमोहक अंदाज में दर्शाया गया है। प्रदर्शनी आगामी 28 अप्रैल तक प्रतिदिन सुबह 10.30 से 11.30 बजे एवं शाम को 6 से 10 बजे तक खुली रहेगी।
खेल खेल में ज्ञान
श्री संघ अध्यक्ष सुनील ललवानी, उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने बताया कि महोत्सव के दौरान विभिन्न अनुष्ठान होंगे। 22 अप्रैल को सुबह 9 बजे रूद्राक्ष कालोनी में प्रवचन एवं रात्रि 8 बजे करमचंद उपाश्रय हनुमान रूंडी के पीछे बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक कार्यक्रम होगा। मुख्य कार्यक्रम स्थल रूद्राक्ष कालोनी में बच्चों के लिए किड्स झोन भी बनाया गया है। इसमें शाम 6 से रात्रि 10 बजे तक खेल-खेल में ज्ञान की बाते सिखाई जाएगी।

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