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समझाइश का हुआ राष्ट्रीय वेबीनार : बच्चों की मनःस्थिति को पहचाने करीबी, करें दिल्लगी ताकि बचाई जा सके जिंदगी

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🔲 कोरोना काल में माता-पिता को खोने वाली बालिकाओं की निशुल्क शिक्षा के लिए कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट ने खोले द्वार

🔲 जीवन के टर्निंग प्वाइंट पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत

हरमुद्दा
इंदौर, 25 सितंबर। जिंदगी में भाई-बहन, अभिभावक, रिश्तेदार, मित्र का अहम मुकाम होता है। वह न केवल सुख में बल्कि हर प्रकार के दुख में भी अपनों की स्थिति को पहचान ले, वही सच्चे मित्र और परिजन होते हैं। अवसाद की स्थिति में बच्चों को कभी भी अकेला ना छोड़े। खासकर जीवन के टर्निंग प्वाइंट (Turning point of life) पर। उनसे दिल्लगी रखें ताकि उनकी जिंदगी बचाई जा सके।

राष्ट्रीय वेबीनार में मौजूद वक्ता एवं ट्रस्ट के पदाधिकारी

यह सार निकल कर आया है राष्ट्रीय वेबीनार में। कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के बैनर तले कस्तूरबा ग्राम रूरल इंस्टीट्यूट में शनिवार को “मानसिक स्वास्थ्य एवं आत्महत्या” विषय पर हुए वेबीनार में जानकारों ने ऑनलाइन सबक सिखाया। राष्ट्रीय वेबीनार में 500 से अधिक छात्र-छात्राएं एवं अभिभावक शामिल हुए। सुबह से शाम तक चले राष्ट्रीय वेबीनार (National webinar) में काव्या सिंह, अमिता कुमार, आनंद गौड़ एवं माया वोहरा ने सहभागिता की। स्वागत भाषण प्राचार्य डॉ. रंजना सहगल ने दिया। वक्ताओं का परिचय डॉ. शैलबाला गांधी व डॉ. विजय सोलंकी ने दिया।

मनःस्थिति को जानना बेहद जरूरी

ऐसी परिस्थिति में अभिभावकों और बच्चों तथा मित्रों को क्या करना चाहिए। इस बात की समझाइश वक्ताओं ने दी। वक्ताओं ने मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा की। इसके साथ ही विशेष परिस्थिति में बच्चों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों को पहचानने की सीख दी, ताकि उनकी मनःस्थिति को भाप कर वह जो जीवन में कुछ गलत कदम उठाने जा रहे हैं, उसे टाला जा सके। जीवन के टर्निंग पॉइंट पर परिजन, मित्र सहित अन्य लोगों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि वे बच्चे क्या कर रहे हैं। इस संबंध में अपने बच्चों के मित्रों से, शिक्षक शिक्षिकाओं से अन्य स्रोत से जानकारी रखना चाहिए। इस कार्य में मुख्य रूप से परिजन, मित्र समूह, सामाजिक कार्यकर्ता, मनोचिकित्सक, काउंसलर की भूमिका खास होती है।

यह हुआ था घटनाक्रम

उल्लेखनीय है कि 2 दिन पहले ही 12वीं की छात्रा ने इसलिए जहर खाकर जान दे दी कि उसका कालेज में प्रवेश दूसरे राउंड में भी नहीं हुआ था जबकि तीसरे राउंड के लिए आवेदन किया था। लेकिन अवसाद में आकर उसने जहर खाकर जान दे दी। यह बात कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट की सचिव सूरज डामोर के जेहन में चुभ गई और उन्होंने तत्काल राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित करने का निर्णय ट्रस्ट के अध्यक्ष करुणाकर त्रिवेदी की सहमति से लिया, ताकि बच्चे अवसाद के क्षणों में इस प्रकार की गलत हरकत ना कर बैठे।

उन सबकी शिक्षा की व्यवस्था करेगा ट्रस्ट

राष्ट्रीय वेबीनार में सचिव श्रीमती डामोर ने कहा कि कोरोना काल (Corona period) में जिन बच्चों के माता अथवा पिता या दोनों ही संसार छोड़ गए हैं, उनकी निशुल्क शिक्षा यहां पर संचालित विद्या मंदिर एवं महाविद्यालय में दी जाएगी। उन सभी के लिए कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के द्वार खुले हुए हैं। संचालन डॉ. पूनम कौशिक ने किया। आभार गोविंद नागौर ने माना।

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