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त्योहार के उपहार की घोषणा : रेलवे के 11.56 लाख कर्मचारियों में बंटेंगे 1985 करोड़ रुपए

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 कर्मचारियों को मिलेगा 78 दिन का बोनस

 वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन ने जताया हर्ष

 केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्रकार वार्ता में दी जानकारी, नियमानुसार 72 दिन का ही बनता है बोनस

हरमुद्दा
नई दिल्ली, 6 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने त्योहारों से पहले रेलवे कर्मचारियों के लिए आज बोनस की घोषणा (Great News for Railways) की है। इस बार भी कर्मचारियों को 78 दिन बोनस मिलेगा। इससे देश के 11 लाख 56 हजार रेलकर्मियों को सरकार 1985 करोड़ रुपए बांटेगी।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर

यह जानकारी बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी। उन्होंने बताया बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केबिनेट की बैठक हुई। इसमें तमाम आर्थिक विषम परिस्थितियों के बावजूद रेलकर्मियों को उत्पादकता के आधार पर बोनस (Great News for Railways) देने का निर्णय लिया गया। ठाकुर ने बताया देश में 11 लाख 56 हजार रेलकर्मी हैं जो बोनस से लाभान्वित होंगे। इससे सरकार पर करीब 1984.73 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा।

दुर्गापूजा से पहले ही ऐलान

केंद्रीय मंत्री ठाकुर के अनुसार एक कमेटी बनी हुई है जो रेलकर्मियों के बोनस की गणना उत्पादकता आधारित बोनस (पीएलबी) के आधार पर करती है। इसके हिसाब से 72 दिन का ही बोनस बनता है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केबिनेट ने 78 दिन का बोनस देने का निर्णय लिया। वर्षों से यह व्यवस्था रही है कि रेलकर्मियों को दुर्गापूजा और दशहरे से पहले बोनस मिल जाता है। इस बार भी दुर्गापूजा से पहले ही इसका ऐलान किया गया है। यह बोनस रेलवे के गैर राजपत्रित अधिकारियों व कर्मचारियों (आरपीएफ/आरपीएसएफ कार्मिकों को छोड़कर) को दिया जाता है। इसके लिए निर्धारित वेतन गणना की सीमा 7,000 रुपए प्रतिमाह है। इससे रेलवे की उत्पादकता और आय में और इजाफा होगा।

इससे पूर्व मंहगाई भत्ता भी बढ़ा चुकी है सरकार

बताया जा रहा है कि रेलकर्मियों को पिछले साल की ही तरह इस बार भी बोनस के तौर पर 17 हजार 900 रुपए के लगभग मिलेंगे। इस राशि के बाजार में आने से कोरोना काल के कारण शिथिल पड़ी अर्थव्यवस्था में चाल आएगी। व्यापारियों को भी रेलकर्मियों को मिलने वाले बोनस का इंतजार रहता है। बता दें कि, केंद्र सरकार इससे पूर्व रेल कर्मचारियों का भी महंगाई भत्ता बढ़ा चुकी है। महंगाई भत्‍ते में 25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी जो 1 जुलाई 2021 से लागू है। इनमें वे कर्मचारी शामिल हैं, जिन्हें छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार वेतन मिलता रहा है।

वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन ने जताया हर्ष

रतलाम मंडल के 14 हजार कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन ने बोनस की घोषणा (Great News for Railways) पर हर्ष जताया है। यूनियन के मंडल मंत्री मनोहर सिंह बारठ, सहायक मंडल मंत्री नरेंद्रसिंह सोलंकी एवं मीडिया प्रभारी अशोक तिवारी ने बताया रतलाम रेल मंडल में करीब 14 हजार रेलकर्मी हैं जिन्हें फायदा होगा। पदाधिकारियों ने बताया यूनियन ने पिछले दिनों एक आंदोलन के दौरान बोनस की घोषणा दुर्गापूजा शुरू होने से पहले ही करने की मांग उठाई थी। ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी थी। सरकार ने त्योहार शुरू होने से पहले ही बोनस का ऐलान कर रेलकर्मियों की भावनाओं का ध्यान रखा है।

ऐसे होती है पीएलबी की गणना की प्रक्रिया

 कैबिनेट की 23.9.2000 को हुई बैठक में कैबिनेट द्वारा अनुमोदित फॉर्मूले के अनुसार वर्ष 1998-99 से 2013-14 (2002-03 से 2004-05 को छोड़कर, जब कैपि‍टल वेटेज तथा कर्मचारियों की संख्या के संदर्भ में मामूली बदलाव किए गए थे) तक पीएलबी का भुगतान किया गया है। यह फॉर्मूला इनपुट : आउटपुट आधारित था, जहां आउटपुट की गणना कुल टन किलोमीटर के रूप में की गई थी और इनपुट को अराजपत्रित कर्मचारियों की कैपिटल वेटेज द्वारा संशोधित संख्या (आरपीएफ/आरपीएसएफ कर्मियों को छोड़कर) के रूप में माना गया था।

 वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 78 दिनों के वेतन के समतुल्य पीएलबी को एक विशेष मामले के रूप में इस शर्त के साथ अनुमोदित किया गया था कि छठे सीपीसी की सिफारिशों और वित्त मंत्रालय के विचारों को ध्यान में रखते हुए पीएलबी के फार्मूले पर फिर से विचार किया जाएगा। इसके परिणामस्वनरूप, रेल मंत्रालय ने एक नया फॉर्मूला तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया।

 समिति ने सिफारिश की थी कि वर्ष 2000 के फॉर्मूले और ऑपरेशन रेशियो (ओआर) पर आधारित डाई न्यू फॉर्मूला दोनों का वेटेज 50:50 के अनुपात में हो सकता है। इस फॉर्मूले ने भौतिक मापदंडों के संदर्भ में तथा वित्तीय मानकों के रूप में भी उत्पादकता के समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है। समिति द्वारा अनुशंसित फॉर्मूले का इस्तेमाल 2014-15 से 2019-20 तक पीएलबी की गणना के लिए किया गया है।

पीएलबी की अवधारणा की पृष्ठभूमि

रेलवे भारत सरकार का पहला विभागीय उपक्रम था, जिसमें वर्ष 1979-80 में पीएलबी की अवधारणा पेश की गई थी। उस समय अर्थव्यवस्था में कार्य-निष्पादन में बुनियादी ढांचे के समर्थन के तौर पर कुल मिलाकर रेलवे की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में मुख्य रूप से विचार किया गया था। रेलवे के कामकाज के समग्र संदर्भ में, ‘बोनस भुगतान अधिनियम-1965’ की तर्ज पर बोनस की अवधारणा के विपरीत पीएलबी की अवधारणा को पेश करना वांछनीय समझा गया।

भले ही बोनस भुगतान अधिनियम रेलवे पर लागू नहीं होता, फिर भी उस अधिनियम में निहित व्यापक सिद्धांतों को ‘‘पारिश्रमिक/वेतन की उच्चतम सीमा’’, ‘वेतन’/‘पारिश्रमिक’ आदि के निर्धारण के उद्देश्य से ध्यान में रखा गया था। रेलवे के लिए पीएलबी योजना वर्ष 1979-80 से लागू हुई और दो मान्यता प्राप्त संघों, अखिल भारतीय रेलवे मैन्स फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के परामर्श से तथा कैबिनेट के अनुमोदन से तैयार की गई थी। इस योजना में हर तीन साल में समीक्षा की परिकल्पना की गई है।

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