हरमुद्दा
रतलाम, 27 अप्रैल। राज प्रतिबोधक, पद्मभूषण, सरस्वतीलब्धप्रसाद, परम पूज्य आचार्य श्रीमद्विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी महाराज ने मन को वश में रखने के लिए जीवन में नेगेटिव, नो नैरो और नो नॉटी थाट की आवश्यकता जताई है। उनके अनुसार जीवन की सफलता मनोगुप्ति, वचनगुप्ति एवं कायगुप्ति के पालन में निहित है। जीवन में पराजय व पीड़ा चल सकती है, लेकिन पतन का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
आचार्यश्री ने रूद्राक्ष कालोनी (लक्ष्मी नगर,हरमाला रोड़) में श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी द्वारा आयोजित आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव को संबोधित कर रहे थे।
नहीं देना चाहिए बड़ों को
पलटकर जवाब Screenshot_2019-04-27-16-41-11-464_com.google.android.gm
उन्होंने हुए कहा कि संसार में तीन चीजें हैरान करती है। पहला नंबर पराजय, दूसरा नंबर पीड़ा और तीसरा नंबर पतन है। व्यक्ति पराजय से निपट सकता है, पीड़ा को भूला सकता है। लेकिन पतन से बचना मुश्किल होता है। मुनि जीवन में इन तीन में से दो को प्रवेश मिल सकता है, लेकिन तीसरी को कदापि नहीं मिलता है। संसारी जीवन में पराजय और पीड़ा आवश्यक हो, तो पतन को तो नजरअंदाज करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सोच नेगेटिव और पॉजीटिव दोनो हो सकती है, लेकिन मनोगुप्ति का पालन करने के लिए हमे नेगेटिव, नैरो और नॉटी किसी भी प्रकार की सोच नहीं रखनी चाहिए। वचनगुप्ति के पालन के लिए बड़ों को पलटकर जवाब नहीं देना चाहिए। उपकारी माता-पिता, गुरूजन आदि के मुंह से कोई भी बात निकले, तो जवाब नहीं निकलना चाहिए। वचनगुप्ति के लिए नो बेड, नो ब्लेमिंग और नो ब्लेक वर्ड का उपयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा हमारी काया से कोई निदंनीय कार्य नहीं हो, उसके लिए कायगुप्ति का पालन करते हुए हिसंक, अर्थहीन और गलत कार्य से बचे और यह सुनिश्चित करे कि जीवन में नो वाइल्ड एक्शन, नो वर्थलेस एक्शन और नो रांग एक्शन का पालन होगा।
भक्ति संगीत की प्रस्तुति
आरंभ में विजय दोशी ने संगीत की भक्तिमय प्रस्तुतियां दी। संचालन श्री संघ के उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने किया।
आचार्य पदवी के भव्य कार्यक्रम के साथ होगा महोत्सव का समापन
पंन्यास प्रवर श्री युगसुंदरविजयजी म.सा. को आचार्य पद प्रदान करने के प्रसंग पर आयोजित आठ दिवसीय आचार महिमा महोत्सव का रूद्राक्ष कालोनी में 28 अप्रैल, रविवार को भव्य समापन होगा। श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी के तत्वावधान में पंन्यास प्रवरजी को राज प्रतिबोधक, पद्मभूषण, सरस्वतीलब्धप्रसाद, परम पूज्य आचार्य श्रीमद्विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में आचार्य पदवी प्रदान की जाएगी। महोत्सव में निश्रा प्रदान करने शनिवार को आचार्यश्री के गुरूभ्राता अनुयोगाचार्य, मालव विभूषित, पन्यास प्रवर श्री वीररत्न विजयजी म.सा.रतलाम पधारे।

अमीदृष्टि नाटिका का मंचन

महोत्सव के तहत शुक्रवार रात रूद्राक्ष कालोनी में मुंबई के दल ने अमीचंद की अमीदृष्टि नाटिका मंचन किया। शनिवार दोपहर गुजराती उपाश्रय में श्राविका बहनों की सांझी का आयोजन हुआ। रविवार सुबह आचार्य पदवी का कार्यक्रम सुबह 8.45 बजे शुरू होगा। श्री संघ अध्यक्ष सुनील ललवानी ने धर्मावलंबियों से इस अवसर पर अधिक से अधिक उपस्थित रहने का आह्वान किया है।

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