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माता-पिता खुद तंग जीवन जीकर बच्चों का जीवन ढंग का बनाते है:तप केसरी राजेशमुनि

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हरमुद्दा
रतलाम,27 अप्रैल। घर के अंदर माता-पिता के रूप में दो ऐसे जीवित देवी-देवता रहते है, जिनका आशीर्वाद यदि मिल जाए, तो भगवान भी उनकी आज्ञा को टाल नहीं सकते है। माता-पिता खुद तंग जीवन जीकर बच्चों का जीवन ढंग का बनाते है। सभी पत्नियों को चाहिए कि वे अपने पति को श्रवण कुमार बनाएं।
यह आह्वान मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी म.सा.एवं आचार्य प्रवर श्री उमेशमुनिजी म.सा. के कृपापात्र, घोर तपस्वी श्री कानमुनिजी म.सा. के सुशिष्य अभिग्रह धारी, तप केसरी श्री राजेशमुनिजी म.सा. ने किया।
तो भी निकलती है दुआ
नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रवचन देते हुए उन्होंने कहा कि भगवान ने माता-पिता, गुरू और कमाने की कला सिखाने वाले शिक्षक के उपकार से कभी मुक्त नहीं होने की बात कही है। माता-पिता जन्मदाता, गुरू धर्मदाता, शिक्षक जीवनदाता होते है। माता-पिता की सेवा करने वाला ही गुरू की सेवा कर सकता है। माता-पिता अपने घर की बातों को बाहर नहीं बताते, क्योंकि वे जानते है कि बंद मुठ्ठी लाख की और खुले तो खाक की हो जाती है। वे तंगहाली में रहकर भी अपने बच्चों का जीवन ढंग का बनाते है। बच्चें उन्हें कितना ही परेशान करे, लेकिन उनके दिल से बच्चों के लिए हमेशा दुआएं ही निकलती है।
तब करते है दिखावा
विडंबना है कि आजकल बच्चें जीते जी माता-पिता की सेवा नहीं करते और मरने के बाद बहुत दिखावा करते है। कई लोग जीते-जी माता-पिता को पानी नहीं पिलाते, लेकिन उनके मरने पर स्मृति में प्याऊ खुलवाते है। कई जीते-जी कपड़े का नहीं पूछते और मरने पर शाल उड़ाते है, तो कई जीते-जी भोजन का नहीं पूछते और मरने पर पूरे समाज का भोजन रखते है।
यह भी विडंबना
उन्होंने कहा कि समाज को खिलाने-पिलाने के बाद कई त्रुटियां निकाली जाती है, जबकि माता-पिता को खिलाने पर वे आशीर्वाद ही देते है। माता-पिता एक छोटे से मकान में 10 बच्चों को पाल लेते है, मगर 10 बच्चें बड़े होकर 10 बंगलों में माता-पिता नहीं पाल पाते है। यह विडंबना ही है।
अंश मात्र चाहते माता-पिता
तप केसरीजी ने कहा कि भूतकाल में अनेक महापुरूष ऐसे हुए, जिन्होंने माता-पिता को सर्वोपरि रखा। हर शुभ कार्य में पहले पूजे जाने वाले गणेशजी ने भी सिद्ध किया है कि माता-पिता की परिक्रमा करने वाला पूरी दुनिया की परिक्रमा कर लेता है। माता-पिता बस यही चाहते है कि बचपन से लेकर आज तक जो प्यार उन्होंने बच्चों को दिया, उसका थोड़ा अंश उन्हें भी मिल जाए।
घरों को तीर्थ बनाने का आह्वान
उन्होंने कहा कि आज्ञावान पुत्र माता-पिता की आज्ञा पूर्ण करने में तर्क-वितर्क नहीं करता। श्रवण कुमार ने अंधे माता-पिता को चारो धाम की भावना रखने पर बिना तर्क-वितर्क किए कावड़ में यात्रा कराई। उन्हें इसीलिए याद किया जाता है कि उन्होंने यह तर्क नहीं किया कि अंधे है, तो दर्शन नहीं कर पाएंगे। दुनिया में अच्छे व्यक्ति की तलाश करने के बजाए यदि आप खुद अच्छे बन जाए, तो किसी की तलाश पूरी हो जाएगी। मुनिश्री ने स्तवन और मार्मिक कहानी सुनाकर घरों को तीर्थ बनाने की प्रेरणा दी।
पितलिया परिवार में पूरा हुआ 1581 वां अभिग्रह
अभिग्रह के लिए गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्डस में नाम दर्ज करा चुके तप केसरी एव अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनिजी म.सा. का 1581 वां अभिग्रह(संकल्प) धनजी भाई का नोहरा में कारपेट व्यवसायी वर्धमान पितलिया के परिवार में पूरा हुआ। इसके बाद मुनिश्री ने पारणा किया। मुनिश्री सुबह 6 बजे मन में यह संकल्प करके निकले थे कि स्थानक में आए जिस व्यक्ति के पास हाल ही दीक्षा लेने वाले अमृत व किरण मूणत की फोटो या पत्रिका हो, उसके यहां जाना। वहां नीली साड़ी में दो महिलाएं हो और कीचन में सफेद वस्त्र वाले के हाथ में 5 रंग का कोई प्लास्टिक का डिब्बा मिले, तो पारणा करेंगे। बीते 14 सालों से यह अनूठा तप कर रहे मुनिश्री प्रति दो दिन के उपवास के बाद तीसरे दिन सुबह जल्द उठकर मन में एक संकल्प लेते है और उसके पूरा होने पर ही भोजन ग्रहण करते है।
शनिवार को वे जब धनजी भाई का नोहरा में पहुंचे, तो विकास पितलिया के पास संकल्प अनुसार अमृत व किरण मूणत की दीक्षा पत्रिका मिली। वर्षा पितलिया एवं सुमन राठौर नीली साड़ी में और अनोखीलाल पटवा सफेद वस्त्र में डिब्बा लिए मिल गए। इस दौरान विपीन पुंगलिया ने मोबाइल में फोटो दिखाने का प्रयास किया, लेकिन मुनिश्री ने उसे मान्य नहीं किया। सुबह 6.47 बजे पितलिया परिवार में मुनिश्री का अभिग्रह पूरा हो गया। 8 जुलाई 2015 को इंदौर में 1100 वां अभिग्रह पूरा होने पर गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड ने मुनिश्री का रिकार्ड दर्ज किया था। इसके बाद लगातार यह क्रम चल रहा है। दो दिन उपवास के बाद 30 अप्रैल को वे फिर अभिग्रह पूरा होने पर ही पारणा करेंगे।
श्री सौभाग्य जैन साधना परिसर में मनेगी पुण्यतिथि 28 को
मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी म.सा.की मासिक पुण्यतिथि 28 अप्रैल को तप केसरी एव अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनिजी म.सा. एवं सेवाभावी श्री राजेंद्र मुनिजी म.सा.की निश्रा में जप-तप और जाप कर मनाई जाएगी। श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल के निलेश मेहता एवं राजेश बोरदिया ने बताया कि पुण्यतिथि पर श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल ट्रस्ट बोर्ड, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल एवं नवकार ग्रुप के तत्वावधान में सुबह 9 बजे सागौद रोड स्थित श्री सौभाग्य जैन साधना परिसर में गुणानुवाद सभा होगी। इससे पूर्व 8 बजे जाप किया जाएगा। उन्होंने धर्मालुजनों से अधिक से अधिक उपस्थित रहने का आह्वान किया है।

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