मुद्दे की बात : न्यायालय परिसर से निकाली गई रैली में विद्यार्थियों का हुआ उपयोग, बच्चों को नहीं पता क्यों बुलाया ?

🔲 दिल्ली और जबलपुर से मिले निर्देशों का हुआ ऐसे पालन

हेमंत भट्ट

शनिवार रविवार दरमियानी रात का तापमान भी 12 डिग्री के आसपास था। सुबह 12 बजे तक ठंडी हवा चल रही थी ऐसे में स्कूली बच्चों को सुबह 10 बजे न्यायालय परिसर बुलाया गया, ताकि उनका उपयोग रैली में किया जा सके और नई दिल्ली तथा जबलपुर से मिले निर्देशों का पालन किया जा सके। मुद्दे की बात तो यह है कि जिस उद्देश्य के लिए बच्चों का उपयोग किया गया, उस उद्देश्य को बच्चों को बताया ही नहीं। उन्हें नहीं पता था कि वह क्यों आए हैं? कोई बोला वैक्सीनेशन के लिए बुलाया है तो किसी ने कहा बाल दिवस पर प्रभातफेरी के लिए। विधिक सेवा प्राधिकरण दिल्ली और जबलपुर से मिले निर्देशों का हुआ ऐसे पालन। यदि रैली में शामिल बच्चों को जानकारी दी जाती, तो उनके शामिल होने की सार्थकता होती। ऐसे में यही कहा जाएगा कि बच्चों का केवल और केवल उपयोग किया गया है। विधिक सहायता की जानकारी के बीज नहीं बोए गए।

रविवार को न्यायालय परिसर में जिला विधिक प्राधिकरण द्वारा जागरूकता रैली का आयोजन किया गया जिसे प्रभात फेरी भी नाम दिया गया था।

मीडिया को दी गई जानकारी

उल्लेखनीय है आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के तत्वावधान में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर मध्यप्रदेश के निर्देशानुसार 45 दिवसीय ‘अखिल भारतीय जागरूकता एवं पहुंच’ कार्यक्रम किया जा रहा है। 08 से 14 नवंबर तक आयोजित विधिक सेवा सप्ताह के अतंर्गत 14 नवंबर को बाल दिवस के अवसर पर छात्र-छात्राओं द्वारा पेम्पलेट व बेनर के माध्यम से नालसा एवं सालसा द्वारा चलाई जा रही विभिन्न विधिक सहायता योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया गया। ऐसी जानकारी मीडिया को दी गई।

हकीकत

उत्कृष्ट विद्यालय के विद्यार्थी

मौके पर ही मौजूद जब उत्कृष्ट विद्यालय में कक्षा नवी के विद्यार्थी हरिओम पांचाल, श्यामसुंदर धाकड़, जय गोयल से हरमुद्दा ने जानना चाहा कि आप विद्यार्थियों को सुबह इतनी जल्दी क्यों बुलाया है? तो उनका जवाब था वैक्सीनेशन के लिए बुलाया है ताकि अधिक से अधिक वैक्सीनेशन हो। साथ ही प्रभात फेरी के लिए बुलाया है, आज बाल दिवस है इसलिए। उन्होंने बताया कि यहां क्यों आए या आना है इस बारे में शिक्षकों ने भी कुछ नहीं बताया और नहीं यहां पर न्यायालय परिसर में कोई जानकारी दी गई।

श्री जैन एकेडमी की छात्राएं

श्री जैन एकेडमी में 12वीं कक्षा की विद्यार्थी भारती नागोरा और नेहा छपरी से जानना चाहा तो उनका यही कहना था कि प्रभात फेरी के लिए आए हैं। जब चर्चा चल ही रही थी तब एकेडमी के जिम्मेदार लोग आए, तो छात्राएं चुप हो गई, बोल नहीं पाई कहने लगी हम लेट आए थे। जबकि विद्यार्थियों को नारो लिखी तख्तियां भी दी गई थी। तख्तियों पर क्या लिखा था यह विद्यार्थियों ने नहीं पढ़ा। नहीं उन्हें समझाया गया। यदि उनके ही परिवार में कोई विधिक सहायता की उम्मीद रखने वाला का बंदा होगा तो वे अपने परिजनों को भी जानकारी नहीं दे पाएंगे, कि सरकार ने क्या-क्या सुविधा कर रखी है।

और वे झंडी दिखा कर चले गए…

विशेष न्यायाधीश, कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश, अभिभाषक संघ के के अध्यक्ष रैली को झंडी दिखाकर जिला विधिक प्राधिकरण के कार्यालय में ऊपर जाकर बैठ गए। इनके साथ अन्य न्यायाधीश भी थे। चर्चा में तल्लीन हो गए। उन्होंने भी सरकारी कार्य को सरकारी अंदाज में संपन्न कर दिया।

पहले निकली मौन रैली फिर लगे नारे वंदे मातरम, भारत माता की जय

सुबह 10:06 पर विशेष न्यायाधीश और कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सहित अभिभाषक संघ के अध्यक्ष ने रैली को हरी झंडी दिखाई। रैली मौन रूप में रैली निकलती रही आगे जाकर बच्चों ने नारे लगाए वंदे मातरम, भारत माता की जय। स्टेट बैंक चौराहे से रैली पुनः न्यायालय परिसर लौट आई। रैली का जो मार्ग पर था, वहां पर शासकीय कार्यालय और कॉन्वेंट स्कूल के अलावा कुछ नहीं था। रविवार होने के नाते कार्यालय को भी ताले लगे हुए थे और सड़के खाली खाली थी। 15 मिनट में रैली पुनः परिसर में आ गई। विद्यार्थियों को पारिश्रमिक के रूप में अमानक पॉलीथिन में केले दिए गए। बच्चों को शामिल करने की सार्थकता तब होती, जब उन्हें विधिक सहायता के बारे में जानकारी दी जाती लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

जो शिक्षक ने बोला वह किया बच्चों ने

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से स्कूलों के जिम्मेदारों को फोन कर जानकारी दी गई थी कि न्यायालय परिसर में रविवार को सुबह 10 बजे के पहले सभी बच्चे समय पर पहुंचे। स्कूलों के जिम्मेदारों ने भी जिम्मेदारी का ठीकरा दूसरों के सर रख दिया। ताकि रविवार उनका ना बिगड़े, मजे करते रहें और अन्य कर्मचारी शिक्षक छुट्टी के दिन की बच्चों को लेकर सरकारी आयोजन में जाएं ताकि वह सफल हो, जबकि विद्यार्थी भी नहीं चाहते थे कि रविवार छुट्टी के दिन वह रैली में शामिल हो।

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