क्रोध में लिए गए निर्णय कभी सफल नहीं होते: तप केसरी श्री राजेशमुनिजी
हरमुद्दा
रतलाम, 28 अप्रैल। क्रोध की स्थिति में व्यक्ति का मस्तिष्क तप जाता है। इससे अच्छे विचार जल जाते है। क्रोध में लिए गए निर्णय कभी सफल नहीं होते। क्रोध और क्रोधी गरम पानी की तरह होते है। जिस प्रकार ठंडा पानी मीठा होता है और गरम कास्वाद फीका रहता है। उसी प्रकार कोई व्यक्ति ठंडा रहता है, तो सबकों मीठा लगता है, लेकिन जो क्रोध और आवेश में रहता है, वह दुनिया को फीका लगता है।
यह बात मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी म.सा.एवं आचार्य प्रवर श्री उमेशमुनिजी म.सा. के कृपापात्र, घोर तपस्वी श्री कानमुनिजी म.सा. के सुशिष्य अभिग्रह धारी, तप केसरी श्री राजेशमुनिजी म.सा. ने कही।
निर्बल करता है गुस्सा
रविवार सुबह सागौद रोड स्थित श्री सौभाग्य जैन साधना परिसर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने चार कषायों क्रोध, मान, माया और लोभ से दूर रहने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि क्रोध को सकारात्मक सोच और अवगुण में सद्गुण रखकर जीता जा सकता है। क्रोध का मतलब क प्लस रोध अर्थात जो कल्याण का विरोध करे, वह क्रोध है। क्रोध से लंबे समय की दोस्ती टूट जाती है। इससे प्रेम का नाश होता है। क्रोध का दूसरा नाम गुस्सा है, लेकिन गुस्सा हमेश निर्बल व्यक्ति पर आता है। सबल व्यक्ति पर कोई गुस्सा नहीं होता।
क्षमा का जल रखें
तप केसरीजी ने कहा कि क्रोध को क्षमा का शस्त्र धारण करके जीत सकते है। यदि सामने से आग आ रही है और हम भी आग फेकेंगें, तो वह बुझेगी नहीं, लेकिन यदि सामने से आग आए और दूसरी तरफ से जल प्रवाहित हो, तो आग बुझ जाएगी। क्षमा ऐसा ही जल है, जो क्रोध की हर आग का बुझा सकता है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुद की प्रशंसा करता है, वह आम जनता में निंदा का पात्र बनता है। निंदा होने पर उसे क्रोध आता है, इसलिए क्रोध से बचने के लिए खुद की प्रशंसा से बचना चाहिए। धर्म सभा में सेवाभावी श्री राजेंद्रमुनिजी म.सा. सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित थे।
महापुरूषों के गुण जीवन में लाए, तो तिथि मनाना होगा सार्थक
श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल ट्रस्ट बोर्ड, श्री सौभाग्य जैन नवयुवक मंडल एवं नवकार ग्रुप के तत्वावधान में रविवार को सागौद रोड स्थित श्री सौभाग्य जैन साधना परिसर में मालव केसरी श्री सौभाग्यमलजी म.सा.की मासिक पुण्यतिथि जप-तप और जाप कर मनाई गई। इस मौके पर निश्रा प्रदान कर रहे अभिग्रह धारी, तप केसरी श्री राजेशमुनिजी म.सा.ने कहा कि मालव केसरीजी के अंदर कषाय कम रहे होंगे, इसीलिए वे आज हमारे बीच श्रद्धा का केंद्र बन गए है। ऐसे महापुरुषों के कुछ गुण यदि सबके जीवन में भी आए, तो उनकी तिथि मनाना सार्थक हो जाएगा। आरंभ में सेवाभावी श्री राजेंद्रमुनिजी म.सा.ने जाप कराया। संचालन संदीप चौरडिय़ा ने किया।