हर पाप तत्काल सुख और धर्म तत्काल कष्ट देेता है: आचार्यश्री
हरमुद्दा
रतलाम, 30 अप्रैल। राज प्रतिबोधक, पद्मभूषण, सरस्वतीलब्धप्रसाद, परम पूज्य आचार्य श्रीमद्विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी महाराज ने चारित्र भ्रष्ट, स्वभाव दुष्ट व पहचान नष्ट व्यक्ति से दूर रहने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रति लोगों में फल नहीं मिलने का भाव होता है। वे यह भूल जाते है कि अच्छा किया उसका नहीं, तो जो गलत किया, उसका भी फल नहीं मिला है। हर पाप तत्काल सुख देने वाला है, तो हर धर्म तत्काल कष्ट देता है।
आचार्यश्री ने टीआईटी रोड श्री संघ द्वारा श्री पाश्र्वनाथ जैन धर्मशाला में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
गलती से होता है नुकसान
उन्होंने कहा कि गटर बुद्धि, गवांर बुद्धि, गागर बुद्धि, गंग बुद्धि और गगन बुद्धि का विवेचन किया। उन्होंने कहा कि गटर बुद्धि वाला व्यक्ति वह होता है, जो दुर्जन में दुर्जन नहीं सज्जन में भी दुर्जन देखता है। दुर्योधन का व्यक्तित्व ऐसा ही था, जिसने युद्ध के अंतिम क्षणों में भी द्रोपदी के पांच पुत्रों का खून पीने की इच्छा व्यक्त की। गंदगी और कमी देखने का नाम गटर बुद्धि है, ये बुद्धि गुरूजनों और माता-पिता को भी नहीं छोड़ती है। इससे उपर उठने के लिए आत्म विवेचन करे। उन्होंने कहा कि प्रवचन सुनने के बाद यदि व्यक्ति सत्य स्वीकार कर गटर बुद्धि से मुक्त हो, मगर अपने में सुधार नहीं करे, तो वह गवांर बुद्धि है। युधिष्ठिर जुंए में एक बार द्रोपदी को हारा और उसका चीरहरण हुआ, लेकिन बाद में फिर जुंआ खेला और 12 साल का वनवास मिला। यह गंवार बुद्धि है,जिसमें गलती से नुकसान होता है और उसे जानने के बाद व्यक्ति फिर दोबारा गलती करता है।
काम की बातें भी रखों याद
आचार्यश्री ने कहा कि गागर बुद्धि का आशय संग्रह का संदेश देती है। लेकिन विडंबना है कि मनुष्य को 30 साल पहले की गाली याद रहती है, और 3 दिन पहले का प्रवचन याद नहीं रहता। गागर बुद्धि के दोनो पहलू है, यदि काम की बात की गागर संभाल कर रखी जाए, तो काम में आएगी, लेकिन यदि काम की बात याद नहीं रखो और बिना काम की बात याद रहे, तो वह गटर बुद्धि का प्रतीक है। इसी प्रकार गंग बुद्धि का आशय गंगा से है, जिसमें गंदगी का प्रवेश भले ही हो, लेकिन ठहरती नहीं है। गलती को संग्रह नहीं करने दे, वह गंग बुद्धि है। नदी पानी का संग्रह नहीं करती,लेकिन तालाब में करता है। नदी क्रोध का प्रतीक और तालाब बैर का प्रतीक है। क्योंकि क्रोध आता-जाता है और बैर आता है, मगर जाता नहीं है। शरीर का स्वास्थ्य, मन की प्रसन्नता और परिवार का प्रेम जहां डिस्टर्ब हो, वहां समझ लेना चाहिए कि गलती को स्टोरेज करके रखा है।
विशालता देती है गगन बुद्धि
आचार्यश्री ने कहा कि गंग बुद्धि यदि निर्मलता देती है, तो गगन बुद्धि विशालता देने वाली है। जीवन में सबको एक ही लक्ष्य रखना चाहिए कि गगन बुद्धि का मालिक बने। राम का रावण के प्रति, श्री कृष्ण का दुर्योधन के प्रति और महावीर का दुशाला के प्रति प्रेम गगन बुद्धि का प्रतीक है। यदि हम इतना नहीं कर सके, तो कम से कम गंग अर्थात गंगा की तरह निर्मल बनाने वाली बुद्धि का मालिक बनने का प्रयास अवश्य करें।
किया बहुमान
धर्मसभा के आरंभ में संगीता जैन ने गीत प्रस्तुत किया। टीआईटी रोड श्री संघ की और से देवेन्द्र सर्राफ, विजय गादिया, प्रकाश दरड़ा, लक्ष्मीचंद चौरडिया,जेपी डफरिया एवं पुष्पा डफरिया ने लाभार्थी अशोक कुमार, रमेश कुमार एवं विमलाबेन बम्बोरी का बहुमान किया।
किया पत्रकार का सम्मान
श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ, गुजराती उपाश्रय एवं श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर पेढ़ी की और से अध्यक्ष सुनील ललवानी, मोहनलाल कांसवा एवं विजय गादिया ने पत्रकार अरूण त्रिपाठी को सम्मानित किया। संचालन उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने किया।
बुधवार के प्रवचन जीना सभी के साथ विषय पर
समग्र जैन सोश्यल गु्रप के तत्वावधान में 1 मई को आचार्यश्री रत्नसुंदर सूरीश्वरजी महाराज के प्रवचन जीना सभी के साथ विषय पर करमदी रोड स्थित पेट्रोल पम्प के पीछे तुलसी विहार कालोनी में होंगे। अभा जैन श्वेेताम्बर सोश्यल ग्रुप द्वारा सुबह 9 से 10.30 बजे तक प्रवचन एवं इससे पूर्व कालोनी में सुबह 8 बजे नवकार मंत्र का जाप आयोजित किया गया है। जाप पश्चात नवकारसी एवं प्रवचन के बाद गौतम प्रसादी का आयोजन होगा। गु्रप के अध्यक्ष पंकज श्रीमाल, संस्थापक हेमन्त कोठारी, संदीप पोहावाला, प्रदीप डांगी, जितेंद्र चोपड़ा, सुनील चौरडिया, श्रीनिवास जैन,निलेश पोरवाल, रितेश मांडोत, अनिल कोठारी, चंद्रशेखर सोनी एवं जय नाहर आदि ने धर्मप्रेमी नागरिकों से अधिक से अधिक उपस्थित होकर धर्मलाभ लेने का आह्वान किया है।