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शहर में कुत्तों का आतंक, बच्चे और बड़े हो रहे हैं कुत्तों का शिकार, बघियाकरण के लिए करना होगा इंतजार

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 शनिवार को जिला चिकित्सालय में आए 60 से अधिक घायल

 प्रदेश में डॉग बाइट के मामले में रतलाम का नंबर दूसरा

 लगातार हो रही शिकायतों व घटनाओं के बाद भी निगम के अफसर बेफिकर

 सालाना खर्च होते हैं लाखों खर्च, नगर निगम की नसबंदी प्रक्रिया  सवालों के घेरे में

हरमुद्दा
रतलाम, 18 दिसंबर। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में कुत्ते आतंक मचाए हुए हैं। आतंक भी ऐसा कि कुत्तों ने कई मासूमों को न बुरी तरह घायल किया। कुत्तों से बड़े-बड़े भी घायल हो रहे हैं। इन घटनाओं के लिए सीधे तौर पर नगर निगम प्रशासन जिम्मेदार है। इसका कारण आवारा कुत्तों की नसबंदी नहीं होना है। मुद्दे की बात यह है कि शहर में इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। शनिवार को ही जिला चिकित्सालय में 60 से अधिक घायल कुत्तों के काटने के बाद आए हैं। प्रदेश में कुत्ते से काटने के मामले में रतलाम का नंबर दूसरा है। बघियाकरण का कार्य 15 दिसंबर से शुरू होना था लेकिन अब यह अगले सप्ताह से शुरू हो पाएगा।

मिली जानकारी के अनुसार शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कुत्तों का आतंक बरकरार है। 15 से 20 के झुंड में घूमने वाले कुत्ते अचानक हमला कर देते हैं और भाग जाते हैं। इन के हमले से न केवल बच्चे अपितु बड़े भी शिकार हो रहे हैं। शनिवार को सुबह से दोपहर तक जिला चिकित्सालय में तकरीबन 52 महिला, पुरुष और बच्चे कुत्ते काटने के बाद उपचार के लिए पहुंचे। शनिवार को दोपहर बाद ही जिला चिकित्सालय में रतलाम के साथ महिला व पुरुष घायल होकर पहुंचे, जिनका उपचार किया गया। प्रभावित लोग लक्ष्मणपुरा, इंदिरा नगर, रामगढ़, मोहन नगर सहित अन्य क्षेत्रों के महिला पुरुष हैं, जिनकी उम्र 46, 47, 64, 23, 40 वर्ष है।

हो चुकी है हजारों घटनाएं डॉग बाइट की

झुंड में घूमते कुत्ते

कुत्तों के काटने की शहर में एक माह पूर्व तक बड़ी संख्या में घटनाएं सामने आ रही थी। यहां तक की सड़क पर खेल रहे छोटे बच्चों को भी कुत्तों ने नौचा था।

अक्टूबर में कुत्ते से शिकार हुई बच्ची को छुड़ाते हुए युवक

ऐसे में शहर में यह मांग तेजी से हो रही थी कि कुत्तों को या तो शहर के बाहर छोड़ा जाए या इनका बघियाकरण किया जाए। डॉग बाइट की एक वर्ष में ही करीब 10 हजार घटनाएं शहर में हुई है। ऐसे में प्रशासन व नगर निगम ने गंभीरता दिखाते हुए कुत्तों के बघियाकरण के लिए कार्य की शुरुआत करने का निर्णय लिया है।

नहीं लिया जा रहा गंभीरता से

शहर में कुत्तों से हर दिन शिकार हो रहे हैं जब तक वीआईपी या रसूखदारों की शिकायतें न हों, इन्हें गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। कमाल तो यह कि कार्रवाई करने वाले कर्मचारी शिकायतकर्ताओं से ही कुत्तों की मौजूदगी को लेकर सवाल पूछने लग जाते हैं। जब-जब शिकायतें दर्ज कराई गईं, तब-तब निगम अमले ने कुत्तों का पता उन्हीं से ही पूछते हैं।

फिर चली गई थी ठंडे बस्ते में मुहिम

कुत्तों की नसबंदी करने की मुहिम विगत माह नगर निगम ने आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी करना शुरू किया था। जुलवानिया स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड पर कुत्तों के स्टरलाइजेशन के लिए भवन और कमरे भी बनाए गए हैं, लेकिन शुरुआती कार्रवाई के बाद ये सिलसिला बंद हो गया। वहीं बच्चों पर कुत्तों के हमलों की घटनाओं से भी नगर निगम के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ गया है।

हुआ है अनुबंध, अगले सप्ताह होगा शुरू कार्य

नगर निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया

जयपुर की संतुलन जीव कल्याण संस्था से नगर निगम का अनुबंध हुआ है। इसके लिए जुलवानिया टेंचिंग ग्राउंड में कुत्तों के बघियाकरण के लिए करीब 30 लाख रुपए से अधिक की लागत से अलग से अस्पताल बनाया गया है। अगले सप्ताह से कुत्तों का बघियाकरण कार्य शुरू होगा।

सोमनाथ झारिया, आयुक्त नगर निगम, रतलाम

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