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अक्षय तृतीया: पांच ग्रहों का संयोग, खरीदारी का खास अवसर

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हरमुद्दा
रतलाम, 7 मई। मंगलवार को अक्षय तृतीया का मंगल उत्सव उल्लास के साथ मनाया जा रहा है खास बात तो यह है कि 2003 के पश्चात सोलह साल बाद विशेष योग बना हैं। पांच ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहू केतु अपनी उच्च राशियों में गोचर करेंगे। यह राशियों के अनुसार खरीदारी करने में अति शुभ योग है। दाम्पत्य जीवन में प्रवेश का दिन भी है।इस बार मृगशिरा नक्षत्र और अतिगंड योग के सहयोग से इच्छापूर्ति योग भी बन रहा है।
ज्योतिर्विदों के अनुसार अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध अबूझ मुहूर्त तिथि है और मांगलिक कार्यों के लिए अति शुभ है। इस दिन विवाह, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य करने के लिए तिथि मुहूर्त आदि निकलवाने की जरूरत नहीं होती। परंपरा है कि इस दिन सोना खरीदने से समृद्धि आती है।
तब से शुरू हुई अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया वैशाख में शुक्ल पक्ष की तृतीया को होती है। कथा प्रसंग के अनुसार एक बार लक्ष्मी जी ने विष्णु जी से कहा कि समस्त शुभ कार्य किसी न किसी मुहूर्त में होते हैं। जो इन मुहूर्त में नहीं कर पाएं, उनके लिए भी तो कुछ होना चाहिए। तब भगवान ने अपने अवतार दिवस यानी परशुराम जयंती पर अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त की संज्ञा दी। नाम के अनुरूप अक्षय तृतीया पर धन का क्षय नहीं होता। धनतेरस की तरह ही इस दिन स्वर्ण-रजत खरीदने की परंपरा है। इसी दिन त्रेता युग का शुभारम्भ भी माना गया।
हर प्रकार की शुरुआत व खरीदारी
अक्षय तृतीया पर व्यापार आरम्भ, नींव पूजन, गृह प्रवेश, ऑफिस ओपनिंग, वाहन खरीद, जॉब ज्वाइनिंग, बिज़नेस डील, खरीदारी बेहिचक की जा सकती है। धनतेरस की तरह ही सोना-चांदी, वाहन खरीदना शुभ है। लक्ष्मी जी का वास धन के साथ ही धान्य में है। इसलिए, चावल और गेहूं अवश्य खरीदना चाहिए। रसोई से जुड़ा कोई भी आइटम खरीदना शुभ माना गया है।

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