वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे खिलाकर खाआगे तो जीवन में हमेशा खिलखिलाआगे: श्री प्रसन्नसागरजी महाराज -

खिलाकर खाआगे तो जीवन में हमेशा खिलखिलाआगे: श्री प्रसन्नसागरजी महाराज

1 min read

हरमुद्दा
रतलाम, 7 मई। तपस्वी अन्तर्मना 108 श्री प्रसन्नसागरजी महाराज ने मंगलवार को अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए कहां है कि इस दिन का अपना एक अलग ही धार्मिक व सामाजिक महत्व है। अक्षय तृतीया पर्व भारतीय संस्कृति की पहचान है। इस दिन किया गया कार्य अक्षय और अंनत फल देने वाला होता है। यही पर्व हमें दान का महत्व भी बताता है। दान के इस महत्व को समझे और घर आए संत और अतिथि का जल-पान और भोजन से सत्कार करें। जो अतिथि और संत को खिलाकर खाता है उसका जीवन हमेशा खिलखिलाता रहता है।Screenshot_2019-05-07-17-25-58-506_com.google.android.gm
तीन दिवसीय प्रवास पर रतलाम पधारे पुष्पगिरी प्रणेता आचार्य 108 श्री पुष्पदंत सागर जी महाराज के परम शिष्य अन्तर्मना मुनि श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा की अक्षय तृतीया अखंड, अनंत, अक्षय फल देने वाली है।
वह भी दे जाते हैं सबक
उन्होने संत की महिमा एक सुन्दर कहानी के माध्यम से मुनि भक्तों को भिखारी और भिक्षुक में अन्तर भी समझाते हुए कहां कि संत भिक्षुक के रूप में आपके यहां आकर आपका तिरस्कार सहन करने के बाद भी आपको आशीर्वाद देता है और भिखारी आपसे भीख लेकर आपको ये संदेश दे जाता है कि पुण्य कर्मो का रास्ता अपनाओं वरना मेरी तरह भीख मांगते नजर आओगें।
पुण्योदय में नहीं इठलाना
उन्होने कहां कि ध्यान रखो भिखारी याचना कर रहा है तो वो भीख मांगने नहीं, संदेशा देने आता है कि दे दो वरना कल तुम्हारे हाथ में कटोरा होगा। देने वाला भिक्षुक को खोजकर भी पहुंच जाता है। दान का महत्व समझना है तो देकर देखो। संत के आहार के बाद घर में भोजन करोगे तो कभी कम नहीं पड़ेगा। किसी भी जीव का पाप का उदय, आयु का अंत कभी भी हो सकता है। पुण्य के उदय में इठलाना मत और पाप के उदय में घबराना मत। हर महीने में पूर्णिमा आएगी ही। सौभाग्य से संत नगर में आए तो उन्हें खिलाकर ही भोजन गृहण करें।
चार पुण्य हर दिन करो
अन्तर्मना मुनि श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज ने कहा की जितना तुम लोग नियमों के साथ समझौता करते हो उतना कोई नहीं करता, नियमों में गलियां खोज लेते हो। हर नियम कि परीक्षा होती है। नियमचोर मत बनो, पाप के मार्ग में गलियां निकालो। वक्त को अच्छा रखने के लिए दिनभर मे चार पुण्य रोज करो। भगवान के दर्शन भी अतिशय पुण्य से ही होते है। आलोचना पाठ जरूर करो। 27 बार नमोकार मंत्र या 5 मिनट नमोकार मंत्र, कभी दिन खराब नहीं होगा. दुनिया का सबसे बडा गरीब वो जो 24 घंटे मे 24 मिनट खुद ओर भगवान के लिए नही निकाल पाता. पुण्य पतला मत होने देना साथ में सिर्फ पुण्य ही जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *