संस्कृति रक्षार्थ हुआ अनूठा आयोजन : धर्म और माता पिता के प्रति लोगों में रहे समर्पित प्रेमभाव और सामंजस्य

 मातृ पितृ पूजन में लगभग डेढ़ हजार से अधिक हुए शामिल

हरमुद्दा
रतलाम 14 फरवरी। लोगों में अध्यात्म, धर्म और अपने माता पिता के प्रति लोगों का समर्पित भाव प्रेम और सामंजस्य बना रहे। इस उद्देश्य से मातृ -पितृ पूजन श्री कालिकामाता मंदिर के गरबा प्रांगण में भव्य एवं भाव पूर्ण आयोजन हुआ। परंपरा के अनुसार संस्कृति रक्षार्थ यह अनूठा कार्य हुआ।

प्रचार प्रसार प्रमुख नीलेश सोनी ने हरमुद्दा को बताया कि रतलाम के स्थानीय श्री कालिका माता मंदिर पर मातृ पितृ पूजन का वृहद आयोजन किया गया, जिसमें लगभग डेढ़ हजार से अधिक लोगों ने सम्मिलित होकर अपने माता-पिता का पूजन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया।

यह थे अतिथि

कार्यक्रम मौजूद अतिथि

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध भगवताचार्य राम मिलन शास्त्री, ज्ञानी मान सिंह (गुरु सिंध महासभा न्यू रोड सिक्ख गुरुद्वारा), विजेंद्र गोठी (विभाग प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), साध्वी सुशीला दीदी, ओम प्रकाश त्रिवेदी (राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त मलखम्ब प्रशिक्षक), पुष्पेंद्र जोशी (अध्यक्ष सर्व ब्राह्मण समाज), राकेश कुशवाह (जिला प्रचारक) प्रवीण भाई तोगड़िया(पंचेड़ आश्रम) मंचासीन रहे। अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम के अंतिम सत्र में भोजन प्रसादी का आयोजन भी रखा गया

16 साल से सिलसिला लगातार

रतलाम जिले में विगत वर्ष 2007 से योग वेदांत सेवा समिति,  युवा सेवा संघ, महिला उत्थान मंडल संयुक्त रूप से मिलकर रतलाम शहर ही नहीं रतलाम के ग्रामीण अंचलों में फरवरी मास में इस प्रकार के आयोजन करते हैं। हजारों की संख्या में लोग इसमें सम्मिलित होकर पुण्य लाभ प्राप्त करते आ रहे हैं।

मातृ पितृ पूजन एक ऐसी सार्थक पहल

मातृ पितृ पूजन एक ऐसी सार्थक पहल है जो समाज में लोगों में अध्यात्मिकता धर्म प्रेम रूपी संस्कृति के प्रति लोगों को जिम्मेदार बनाती हैं। साथ ही उन्होंने सनातन संस्कृति के संरक्षण और संस्कार का एक अहम आधार स्तंभ के रूप में बतलाया।

विजेंद्र गोठी, विभाग प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

पुनीत कार्य में हर समाज के हर व्यक्ति दें बढ़-चढ़कर अपना योगदान

युवा सेवा संघ द्वारा किए जा रहे हैं। मातृ पितृ पूजन जैसे पुनीत कार्य में हर समाज के हर व्यक्ति को बढ़-चढ़कर अपना योगदान देना चाहिए। इस पुनीत सेवा अवसर से ही हमारी संस्कृति और समाज के हित की रक्षा हो सकती है। वर्तमान समय में कुछ युवा पीढ़ी का पाश्चात्य संस्कृति के प्रति रुझान बढ़ रहा हैं। ऐसे में सेवा संघ द्वारा किए जा रहे मातृ पितृ पूजन मील के पत्थर के रूप में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहा है।

ज्ञानी मान सिंह, गुरु सिंध महासभा न्यू रोड सिक्ख गुरुद्वारा

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