मूणत परिवार पर टूटता दुखों का पहाड़ : 3 साल पहले ही बेटा अक्षत शांत हुआ और गुरुवार को अक्षरा को छीन लिया

🔲 फिर 2 साल पहले ही अक्षरा को मिला भाई

🔲 बेटी के नेत्रदान की सर्वत्र प्रशंसा

हरमुद्दा
रतलाम, 17 फरवरी। दादा-दादी पोते को, पापा-मम्मी बेटे को, काका-काकी भतीजे को और बहन अपने छोटे भाई की मौत का गम भूल भी नहीं पाए थे कि परिवार पर एक बार फिर वज्राघाट हुआ और मूणत परिवार की लाडली अक्षरा को भी प्रभु ने छीन लिया। नटखट, सबकी लाडली अक्षरा पढ़ाई में भी बढ़िया थी। गुरुवार को भी अक्षरा जय जिनेंद्र कहती हुई स्कूल गई, लेकिन वह इस तरह सभी को छोड़ कर चली जाएगी, किसी ने सोचा नहीं था।

दुकान में बैठी अक्षरा

होनहार बेटी की अचानक हुई मौत के बाद भी मूणत परिवार ने जो मिसाल पेश की वह अद्भुत हैं। गुरुवार को खेलते खेलते स्कूल में बेटी की हुई अचानक मौत के बावजूद मूणत परिवार को उन लोगों की फिक्र थी, जिनकी जिंदगी में अंधेरा है। बेटी अक्षरा के नेत्रदान करवाकर दो लोगों के जीवन में उजाले की रोशनी लाने का जतन किया है। मूणत परिवार के इस फैसले की शहर में सर्वत्र प्रशंसा हो रही है। उल्लेखनीय है कि मूणत परिवार साड़ियों का प्रतिष्ठित कारोबारी है। सेठ जी का बाजार और पोरवाडों का वास में दुकान है। पढ़ाई के बाद अक्षरा दुकान पर आ जाती थी।

भगवान की निष्ठुरता के आगे हम सब नतमस्तक

निखिल अंजू मूणत

भगवान की निष्ठुरता आगे नतमस्तक दंपत्ति निखिल अंजू मूणत का कहना है कि प्रभु ने हमें इतनी ही खुशियां दी थी। बेटी पढ़ने में होशियार थी। नटखट बिटिया सबकी लाडली थी। उसे केक बनाने का शौक था और डॉगी के साथ खेलती थी। 3 साल पहले जब अक्षरा के छोटे भाई अक्षत (7 साल ) को भी प्रभु ने हमसे छीन लिया, उसका गम न सिर्फ हमें बल्कि अक्षरा को भी था। वह भाई को बहुत मिस करती थी। दोनों काफी मस्ती किया करते थे। आज भी वे दृश्य आंखों में तैरते हैं। दोनों स्कूल जाते थे तो जय जिनेंद्र कहते थे। 3 साल पहले यह क्रम टूटा फिर बेटी अक्षरा ही जय जिनेंद्र कहती हुई स्कूल जाती। गुरुवार को भी वह जय जिनेंद्र कहती हुई स्कूल गई, लेकिन वह इस तरह सभी को छोड़ कर चली जाएगी, किसी ने सोचा नहीं था।

बेटे अक्षत के साथ निखिल
बेटी अक्षरा के साथ पापा निखिल

हुई प्रभु की कृपा और बेटा का हुआ जन्म

प्रभु की कुछ कृपा हुई और अक्षत के जाने के बाद 2 साल पहले अक्ष ने जन्म लिया। इसके बाद फिर परिवार में ऐसा लगने लगा था कि अक्षरा को फिर से भाई मिल गया है। भाई को पाकर वह काफी खुश थी। दोनों खेलते थे। परिवार खुश खुशहाल था, लेकिन बेटी के जाने के बाद दुख का पहाड़ टूट पड़ा है।

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