धर्म कर्म : जिनवाणी आत्मा का कल्याण करती है और जनवाणी चार गति में भटकाती

 धर्मसभा में मुनिराज डॉ. सिद्धरत्न विजय जी ने कहा

 दूरदराज से पहुचे संघ, लिया आशीर्वाद

हरमुद्दा
पिपलौदा, 2 मार्च। कसायो से दूर रहकर व मोह माया के जंजाल से अलग हटकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी बनाने का प्रयास करे। मनुष्य को जो जीवन मिला है यह अनमोल है इसे व्यर्थ में ना गवाए। वाणी दो प्रकार की होती है एक जिनवाणी और एक जनवाणी। जिनवाणी आप की आत्मा का कल्याण करती है और जनवाणी चार गति में भटका देती है। इसलिए जिनवाणी का श्रवण कर आत्मा का कल्याण करे।

यह बात पिपलौदा के श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिराज डॉ. सिद्धरत्न विजय जी म.सा.ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं से कही।

उत्साह, उमंग के साथ समाज के लिए करे कार्य : मुनिराज विद्वतरत्न विजय

मुनिराज विद्वदरत्न विजय जी म.सा.ने कहा कि पिपलौदा की यह पावन धरा व यहां का संघ पूण्य सम्राट के लिए जितना प्रिय था उतना हमारे लिए भी है। पिपलौदा का नाम तो इतिहास के पन्नो पर तभी दर्ज हो चुका था। जब पिपलौदा संघ ने पूण्य सम्राट की निश्रा में भव्य प्रतिष्ठा व गच्छाधिपति नित्यसेन सूरीश्वर म.सा.की निश्रा में ऐतिहासिक चातुर्मास करवाया था। उसी उत्साह ओर उमंग के साथ सभी समाज उत्थान के लिए कार्य करे।

दूरदराज से पहुचे संघ, लिया आशीर्वाद

नवयुवक परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रफुल जैन ने बताया कि प्रातः में मुनिमंडल का नगर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। जो श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ धाम से होते हुए झंडा चौक स्थित श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर पहुचा। जहां भगवान के दर्शन वंदन कर मुनिराज ने नगरवासियों को आशीर्वचन दिए। इस दौरान इंदौर, आलोट, सैलाना, सारंगी, जावरा, सुखेड़ा आदि श्री संघ ने मुनिराज के दर्शन लाभ लिए। दोपहर 3 बजे पिपलौदा से विहार कर मुनिराज शेरपुर पहुचे जहा रात्रि विश्राम कर प्रातः में सैलाना की ओर विहार किया। इस वर्ष मुनिराज का चातुर्मास आंध्रप्रदेश के राजमहेन्द्री शहर में होगा। चल समारोह में बड़ी संख्या में समाजजन व नगरवासी उपस्थित थे।

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