महिला काव्य मंच ने किया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान समारोह एवं काव्य-पाठ का आयोजन
हरमुद्दा
सागर, 10 मार्च। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय काव्य मंच की सागर इकाई द्वारा सम्मान समारोह का आयोजन दो सत्रों में किया गया। प्रथम सत्र में नगर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रमेश श्रीवास्तव के शतायु पूर्ण करने पर उनके निवास पर मंच की अध्यक्ष डॉ. अंजना चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष डॉ रश्मि दुबे एवं संरक्षक डॉ चंचला दवे ने शॉल, श्रीफल एवं पुष्प माला के समर्पण द्वारा सम्मान किया गया। डॉ. श्वेता ओझा एवं मनीष शाक्य ने भी डॉ. श्रीवास्तव का आशीर्वाद प्राप्त किया।
डॉ.चंचला दवे ने कहा कि देश के अलग-अलग शहरों में निवासरत उनकी पुत्रियां श्रीमती ममता सिन्हा, लिली जी द्वारा अपने घर परिवार से समय निकालकर अपने पिता के लिए किया गया समर्पण एवं सेवाभाव समाज के लिए प्रेरणा का प्रसंग बनेगा। डॉ रश्मि दुबे ने कहा महिलाओं का जिम्मेवारी, ईमानदारी एवं नि:स्वार्थ भाव उन्हें समाज में श्रेष्ठ पहचान दिलाता है। अंजना जी ने कहा कि मां पिता की सेवा का पुण्य फल असंभव को संभव बनाने की शक्ति रखता है। श्वेता एवं मनीष जी ने कहा आप नई पीढ़ी के लिए आदर्श स्थापित कर रही हैं।
रवीन्द्र भवन के पुस्तकालय कक्ष दूसरा सत्र
कार्यक्रम का दूसरा सत्र रवीन्द्र भवन के पुस्तकालय कक्ष में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की विशिष्ट आमंत्रित अतिथि डॉ. इला तिवारी, मुख्य अतिथि डॉ. सुश्री शरद सिंह थीं। अध्यक्षता डॉ. चंचला दवे ने की। कार्यक्रम का आरंभ सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्वलन के साथ अतिथियों द्वारा किया गया। कुमारी शालिनी ने सरस्वती वंदना का गायन किया। अतिथि स्वागत के पश्चात् मंच की उपाध्यक्ष डॉ रश्मि दुबे ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि नारी वह सारे काम कर सकती है जो पुरुषों के क्षेत्राधिकार में आते हैं। मंच का प्रभावी संचालन कर रहीं मंच की सचिव डॉ. सुजाता मिश्र ने कहा कि निराला जी की कविता “मैं तोड़ती पत्थर” ने सौंदर्य के मानदंडों को बदल दिया है। दीपाली गुरु ने “निकलने दो पंख उड़ने दो आसमान में” कविता का पाठ किया। श्रीमती मनीषा पटेरिया ने “कह दो जमाने से फकत एक कतरा नहीं हूं जो दरिया में डूब जाएंगे”, श्रीमती मेघा मिश्रा ने मां को समर्पित कविता “मैं महिला हो सकती हूं” , शालिनी सेन ने “अब हॉस्टल ही घर का एहसास” कविता पढ़ी। मंच की अध्यक्ष डॉ.अंजना ने लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजलि देते हुए अपनी कविता “मां भारती की स्वर्णिम चली गई वसंत में” का पाठ किया। इस अवसर पर सागर संभाग के सबसे बड़े महाविद्यालय कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर इला तिवारी का पुष्पगुच्छ स्मृति चिह्न एवं श्रीफल देकर मंच द्वारा सम्मान किया गया डॉ. तिवारी ने कहा कार्यक्षेत्र में लैंगिक समानता होनी चाहिए पुरुषों की तरह महिलाओं को भी समानता मिलनी चाहिए ।पुरुष प्रधान समाज में महिला को आगे बढ़ता देखना अभी भी त्रासदी पूर्ण है। आजादी का तात्पर्य इच्छा अनुसार कार्य करने की आजादी है ताकि विवेक जागृत हो और अच्छे बुरे की पहचान हो सके। उन्होंने प्रकृति एवं स्त्री के समानता को स्थापित करते हुए अपनी कविता,,” प्रज्ञा” का वाचन किया पाठक मंच के संजोयक आर के तिवारी ने कहा कि क्षेत्र में लैंगिक समानता आवश्यक है, पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को आगे बढ़ते देखना अभी भी अपना लगता है। मुख्य अतिथि डॉ. शरद सिंह ने महिला दिवस की थीम जेंडर इक्वलिटी टुडे फॉर सस्टेनेबल टुमारो को बताते हुए कहा महिलाओं को स्वतंत्रता का अधिकार है परंतु उन्हें अपने सीमा स्वयं निर्धारित करनी होगी। उन्होंने नारी को सशक्त बनने एवं अंधविश्वासों की जंजीर को तोड़ने की बात कही। अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ. संगीता मुखर्जी ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हेतु महिला काव्य मंच को एक श्रेष्ठ माध्यम है।