व्यंग्य : नेता जी की लेखक पत्नी

⚫ हाँ तो साहब नेता जी की पत्नी की पाँचवी पुस्तक का विमोचन समारोह था। शानदार मंच सुनहरी बैनर, जगह जगह रंगीन फ्लेक्स आयोजन को बहुत खूबसूरत बना रहे थे। लोगों की भीड़ मास्क लगाकर पूरी मुस्तैदी के साथ उपस्थित थी, नेताजी के आदेश, आदेश नहीं अनुरोध पर अभी हिट हुई फिल्म पुष्पा द राइज”की स्टार कलाकार रश्मिका मंदाना  जो आने वाली थी। लोग बेताब थे झलक देखने को, लेकिन पुलिस अलर्ट थी, संख्या सीमित होनी थी, इसलिए हर ऐरे गैरे, नत्थू खेरे को प्रवेश मिल नहीं सकता था। ⚫

 इन्दु सिन्हा “इन्दु”

जब किसी बड़े लोकप्रिय नेता की पत्नी जब लेखक बन जाती है, तो सोचिए वो कितनी बड़ी लेखक होगी, नेताजी की रैली में, नेताजी की मीटिंग में, सभाओं में कहीं भी इतनी बड़ी लेखिका को दर्शकों और श्रोताओं का टोटा नहीं पड़ता, सब लोग वाह वाह करने को तैयार रहते है, पत्नी का जब मूड हो कविता सुना दे, वागले की दुनिया की “यम” जैसी।

यहाँ देखो  तो बेचारे लेखक, कवि कवियत्री तरस जाते हैं श्रोताओं  और पाठकों के लिए, कवि गोष्ठी और कवि सम्मेलनों में तो अकाल सा पड़ गया है, सुनने वालों का, बाकी कसर पूरी कर दी है एक अनजाने  दुश्मन “कोरोना”ने जिसे देखो ऑनलाइन कवि गोष्ठियां और कवि सम्मेलन किए जा रहे हैं, उस पर कभी नेट गायब, तो कभी चेहरा गायब , कभी आवाज गायब, मन को संतुष्ट कर लेते हैं, और राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर का लेखक समझ लेते हैं खुद को बेचारे।

हाँ तो साहब नेता जी की पत्नी की पाँचवी पुस्तक का विमोचन समारोह था। शानदार मंच सुनहरी बैनर, जगह जगह रंगीन फ्लेक्स आयोजन को बहुत खूबसूरत बना रहे थे। लोगों की भीड़ मास्क लगाकर पूरी मुस्तैदी के साथ उपस्थित थी, नेताजी के आदेश, आदेश नहीं अनुरोध पर अभी हिट हुई फिल्म पुष्पा द राइज”की स्टार कलाकार रश्मिका मंदाना  जो आने वाली थी। लोग बेताब थे झलक देखने को, लेकिन पुलिस अलर्ट थी, संख्या सीमित होनी थी, इसलिए हर ऐरे गैरे, नत्थू खेरे को प्रवेश मिल नहीं सकता था। नेताजी की पत्नी की किताब का विमोचन समारोह जो था।

दिखाने के लिए कुछ स्थानीय कवि, लेखक को भी  मंच पर बैठाया जाना था, ताकि नेता जी की पत्नी के लिए तारीफों के पुल बाँधे जा सके। स्थानीय कवि और लेखक भी स्वादिष्ट भोजन, माइक के लालच में आए थे, कि रोब भी पड़ जाएगा, कि नेता जी की पत्नी के पुस्तक के विमोचन में आमंत्रित थे। यूँ भी कोरोना ने घर में बन्द कर उनको ऑन लाइन लेखक  बना दिया था, तरस गयी  थी  आँखे थोड़ी सी भीड़ देखने को।

तो साहब, शुरू हुआ विमोचन का कार्यक्रम बड़ी सी गाड़ी में अपने कमांडो के साथ फिल्म स्टार रश्मिका जी आई लेकिन यह क्या पूरा चेहरा मास्क से ढका हुआ था। स्टेज पर झलक मिलेगी, चर्चा थी हॉल में  कि नेताजी के घर पर रुकी थी एक दिन पहले। संचालन भी मुंबई से पधारे एक प्रोफेशनल संचालक के हाथों में था, जो रह-रहकर नेता जी की पत्नी की शान में गुड़ से भी ज्यादा मीठे मीठे शब्द बोल रहा था। श्रोता मंत्र मुग्ध थे मास्क के भीतर। हाथों से तालियाँ बजा रहे थे और होठों पर थी गालियां। लोगों को प्रकाशक नहीं मिलते यहां देखो पाँचवी पुस्तक, नेता जी की पत्नी जो ठहरी।

शब्दों के व्यापार को देखने के लिए कारों का हुजूम था ,बाहर लाल बत्ती की गाड़ियां भी अच्छी खासी सँख्या में थी, वैसे तो माहौल यह है, कि पकड़ पकड़ कर लाना पड़ता है श्रोताओं को। और यहाँ देखो बिना बोले ही इतने लोग ? नेता जी के आदेश पर सब बिछने को तैयार, स्थानीय कवि और लेखकों में से एक ही लेखक को जगह मिली स्टेज पर, बाकी को नीचे श्रोताओं में बैठना पड़ा। कोई वीआईपी महोदय थे, जो नेताजी के खास  थे, उनको स्टेज पर बैठाना था, क्या करते नीचे आकर बैठ गए। आखिरकार वह घड़ी आ ही गई विमोचन की।

न्यूज़ चैनल वाले अखबार वाले सावधान हो गए, जब चमकीले पेपर में लिपटी हुई पुस्तकों को विमोचन के लिए निकाला गया। फिल्म स्टार रश्मिका जी, नेताजी  और उनके खास लोग और उनकी पत्नी ने जैसे ही पुस्तक हाथों में पकड़ी रोशनी से नहा उठा स्टेज कैमरे की रोशनी तो थी ही टॉर्च की रोशनी से मोबाइल भी चमक उठे, उस महान पलो को केद करने के लिए, पुस्तक का नाम था “गरीबों की भलाई” । संचालक महोदय ने सबसे पहले दो शब्द कहने के लिये रश्मिका जी को बुलाया और उनको जाना था, समय कम था उनके पास, और रश्मिका जी के दो शब्द सुनने के लिए और उनके चेहरे से मास्क हटा देखने के लिए लोग टूट पड़े, उनकी फोटो के लिए कुछ तो कुर्सी से गिर पड़े।

रश्मिका जी ने नेता जी की पत्नी को भविष्य की  महान लेखिका बताया और कहा वो अंतरराष्ट्रीय स्तर की लेखिका है। साथ ही ये भी कहा  जल्दी ही उनकी पुस्तक पर फिल्म बनाने की घोषणा भी हो जाएगी। गूँज उठा तालियों से  हॉल। नेताजी के जिंदाबाद के नारे भी शुरू हो गए।
सब साला झोली में मिल रहा है, नेताजी की पत्नी जो है। अपन के आयोजन में मुख्य अतिथि आने में  किंतने भाव खाते है, लोग बाग। यहाँ  क्या जलवे हैं ,कुछ दिलजले हॉल में बैठे हुए बड़बड़ा रहे थे।
संचालक महोदय ने समय सीमा का ध्यान रखते हुए नेता जी की पत्नी को बुलाया, माइक पर अपनी भारी-भरकम साड़ी का पल्लू माथे पर रखकर नेता जी की पत्नी ने माइक पकड़ा ,तो पल्लू खिसक गया फिर कंधे से लेते हुए उन्होंने उसे आगे  कर लिया। हाथ में लिखा कागज पढ़ने  लगी गरीबों की भलाई के लिए क्या कुछ करना है ,इस बारे में विस्तार से बताने लगी तो लोग खिसकने शुरू हो गए थे ,भूख लग रही थी | सेल्फी वाले अंदाज़ में जब वो  गलत उच्चारण करती तो पत्रकार बोलते क्या स्टाइल है वाओ !

विमोचन का कार्यक्रम समाप्ति की ओर था , लोग ललचाई नजरों से देख रहे थे, कि खाने की व्यवस्था कहाँ  पर है ? स्टाटर और सूप का आनंद  तो ले ही चुके थे, बड़े दिनों बाद किसी विमोचन के आयोजन में खाना मिला था, भव्य समारोह को कवरेज करने की प्लानिंग मीडिया बना रही थी, हम लोग सोच रहे थे कि पुस्तक “गरीबों की भलाई “के विषय मे आए दिन नेता जी की पत्नी का बंगलें पर काम करने वाले गरीबों से दुर्व्यवहार की चर्चा आये दिन होती रहती थी ,कभी कभी हाथ भी उठा देती थी लेकिन लेखिका बड़ी है, नेताजी की पत्नी जो  है।

 इन्दु सिन्हा “इन्दु”
रतलाम(मध्यप्रदेश)

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