प्रेम हो उठा बावला होली में

इन्दु सिन्हा”इन्दु

सागर सा गहरा ,
आकाश सा विशाल ,
प्रेम हो उठा बावला होली में।

बज उठे ढोल मृदंग,
घायल कर जाते मदन तीर,
बढ़ गया प्रेम ताप होली में।

अरहर फूली पलाश झूमे,
रंगीन बौछारों से झूम रही,
फाल्गुन मास की होली में।

कलियां खिली फूल हंसे,
नाच उठा मन मोर तरंग,
तन हुए बेसुध होली में।

काया रंगीली ,
मादक सिहरन,
रंगों के बादल,
भीगा आंचल,
बहक गया मन उपवन होली में।

कोयल की कूक,
भंवरे की गुंजन ,
उड़ा गुलाल, चूड़ियों की खनखन,
अनोखा प्रेम रंग होली में।

इन्दु सिन्हा”इन्दु”
रतलाम(मध्यप्रदेश)

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