गहरा रहा है मनुष्य जीवन में नकलीपन का खतरा, ये जितना बढ़ता जाएगा साहित्य उतना चला जाएगा हाशिये पर
डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति समारोह आयोजित
कवियों ने हास्य व्यंग्य की रचनाओं से किया अभिभूत
हरमुद्दा
रतलाम, 26 मार्च। मनुष्य जीवन में नकलीपन का खतरा गहरा रहा है, ये जितना बढ़ता जाएगा साहित्य हाशिये पर चला जाएगा। छल छदम को समझना चाहिए, छल कपट को जीना नहीं चाहिए। आज की पीढ़ी संवेदनहीन होती चली जा रही है । अपनत्त्व एवं रिश्तों को खत्म करती जा रही है। मनुष्य का सामाजिक जीवन ही इस प्रकार का हो गया है कि जन समुदाय एवम परिवार से दूर होता जा रहा है। झूठ बोलने का सिलसिला जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है।
यह विचार साहित्यकार डॉ. जयकुमार जलज ने व्यक्त किए डॉ. जलज साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग ने डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे।
सुमन जी जीवन के कवि और जीवटता का देते संदेश
बरवड़ हनुमान मंदिर क्षेत्र के जानकीमंडपम में हुए कार्यक्रम जीवन मूल्यों की बात कहते हुए जलज जी ने कहा कि सुमन जी जीवन के कवि है । वे जीवटता का संदेश देते हैं । मुझे वह स्मृति हो आई है जब इसी सभागृह में डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान की स्थापना मेरी अध्यक्षता में मेरे हाथों हुई थी। नागपंचमी सुमन जी की जन्म तिथि थी और संस्थान का स्थापना दिवस। बड़ी भारी बारिश के बीच अच्छी उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था। आज इस प्रांगण में साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन का आयोजन ही रह है। बहुत गौरव का विषय है।
बिना गुरु के ऋण से उऋण असंभव
साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे ने अपने वक्तव्य में कहा कि जलज जी के प्राचार्य काल में मेरा अध्ययन रतलाम में ही हुआ है। जलज जी को मात्र एक विद्यार्थी की भी चिंता रहती थी और वे उस एक विद्यार्थी को भी पूरे प्राण प्रण से पढ़ाते थे, मुझे यह सौभाग्य मिला है। मेरे अपने जीवन की यह धन्यता है कि मैं यहां रतलाम में अपने ह्रदय के भाव व्यक्त करने आया हूं। अपने गुरु के प्रति प्रणत होना अपने जीवन का आदर्श दृश्य मानता हूं। चरण वन्दन करने का उपक्रम किए बिना गुरु के ऋण से उऋण नहीं हो सकता। सुमनजी अनुभूति के कवि है। कार्ल मार्क्स से कवि जीवन की रचना प्रक्रिया को जोड़ने वाले कैसे सुमन जी को इस खैमे में बांध देते हैं । सुमनजी का व्यक्तित्त्व सभी कुचक्रो से परे हैं। अनुभूति के स्वर शीर्षक से सुमनजी की रचना प्रक्रिया को संजोने का प्रयास इस कार्यक्रम में किया गया । गहरी संवेदना के कवि है सुमनजी । उनमें संवेदना के स्वर जीवन के हर पहलू से प्रस्फुटित होते दिखाई पड़ते हैं । विभिन्न बिंदुओं का नाम है शिवमंगल सिंह सुमन है।
सुमनजी की रूमानी कविता दूसरी और उनका तुलसी दास पर गहरा अध्ययन
डॉ. प्रेमलता चुटैल ने अपने वक्तव्य में सुमन जी दर्शन एवं उनके गहरे आध्यात्मिक चिंतन की पैठ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक ओर तो सुमनजी की रूमानी कविता दूसरी और उनका तुलसी दास पर गहरा अध्ययन। तुलसी के लोक नायकत्व की बात करते हैं तो सुमनजी की समीक्षाओं के माध्यम से तुलसी के कवित्व लोक नायकत्व आदि से व्यापक राष्ट्रीय चिंतन सामने आता है । कबीर का दर्शन सुमनजी का आदर्श रहा। व्याख्यान सत्र का संचालन डॉ. शोभना तिवारी ने किया।
कवियों ने हास्य व्यंग्य की रचनाओं से किया अभिभूत
द्वितीय सत्र काव्य पाठ का सत्र था जिसका संचालन कमलेश दवे ने किया । जिसमे इंदौर, उज्जैन, देवास, रीवा, नागदा आदि स्थानों से आए कवियों ने हास्य व्यंग्य की रचनाओं के साथ विभिन्न विषयों पर आधारित अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध किया। उपस्थित कवियों में असीम शुक्ला, दर्शन सिंह लौहार, गौरव चांडक, सौरभ चातक, कमलेश दवे, सुरेंद्र राजपूत आदि ने रचना पाठ किया। इस दौरान शहर की रचनाकार श्वेता नागर और जावरा के मनोहर मधुकर की पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। समारोह में डॉ. मंगलेश्वरी जोशी, डॉ. मुरलीधर चांदनी वाला, आशीष दशोत्तर, कारूलाल जामदा, प्रणेश जैन, लक्ष्मण पाठक, सिद्दीकी रतलामी, आरएस केसरी, अखिलेश स्नेही, ऋषि कुमार शर्मा, पूर्णिमा गुप्ता, शिवकांता भदौरिया, रश्मि उपाध्याय, वनिता भट्ट, उमेश शर्मा,दिनेश बारोट, दिनेश जैन आदि नगर के गणमान्य सुधि साहित्यकारों ने शिरकत की। आभार डॉ, शिवमंगल सिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान की निदेशक डॉ. तिवारी ने माना।