उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी के प्रथम कार्यकाल में देश एवं भारतीय संस्कृति से जुड़ा विश्व का प्रत्येक भारतीय हो उठा गौरवान्वित
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी दारागंज प्रयागराज द्वारा श्री योगी का अभिनंदन
हरमुद्दा के लिए नीलेश सोनी
गुरुवार, 31 मार्च। भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं दोबारा निर्वाचित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी से श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर राजगुरु स्वामी विशोकानन्द भारती, गोविन्द मठ, वाराणसी के सान्निध्य में महामण्डलेश्वरों के प्रतिनिधि मण्डल ने लखनऊ में भेंट की। इस अवसर पर उनका प्रशस्ति-पत्र एवं शॉल श्रीफल भेेंटकर अभिनंदन किया गया।
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी दारागंज प्रयागराज की ओर से श्री योगी के अभिनंदन अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती चिद्ध्यानम् आश्रम, मुम्बई ने बताया कि श्री योगीजी अपने प्रथम कार्यकाल में भारतीय सनातन संस्कृति की महान परम्पराओं, हमारे वैदिक पौराणिक ऐतिहासिक तीर्थों, नगरों, उत्सवों का संरक्षण एवं वैधानिक अनुशासन का ऐसा अनुपालन किया कि देश एवं भारतीय संस्कृति से जुड़ा विश्व का प्रत्येक भारतीय गौरवान्वित हो उठा।
कार्यों और संकल्पों में भावना व्यक्त की जनता ने
उन्होंने कहा कि सत्ता का उपयोग समाज के लिए कैसा होना चाहिए, योगीजी ने अपने प्रथम कार्यकाल में सुचारु और सुव्यवस्थित रूप से साकार करके दिखाया। इसी कारण उत्तर प्रदेश की जनता ने चुनावों में विशाल बहुमत से पुनः चुनकर आपके कार्यों, संकल्पों और भावनाओं में अपनी निष्ठा व्यक्त की।
दिव्य एवं यशस्वी भविष्य की मंगलकामना
स्वामीजी ने बताया कि चुनावों में पहली बार ऐसा दिखा कि चुनाव उत्तरप्रदेश का था, पर सोशल मीडिया में भारत के प्रायः हर प्रदेश का ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व का सनातनी भारतीय आपका प्रचार कर रहा था। आज हम आपकी महद् विजय पर बधाई देते हुए आपके उज्ज्वल, दिव्य और यशस्वी भविष्य की मंगलकामना करते हैं।
यह थे मौजूद
इस मौके पर स्वामीजी ने चिद्ध्यानम् आश्रम मुम्बई द्वारा प्रकाशित तिथि पत्र एवं दैनंदिनी प्रदान की गई। कार्यक्रम में महामण्डलेश्वर स्वामी हरिहरानन्द सरस्वती दैवी सम्पद् मण्डल, मैनपुरी, महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरि, ब्रह्मवेदामृत आश्रम, रोहतक, महामण्डलेश्वर स्वामी चंद्रेश्वर गिरि, सिद्धपीठ चण्डी मन्दिर, ललितपुर, महामण्डलेश्वर स्वामी श्याम चौतन्य पुरी, शिवशंकर आश्रम, वृन्दावन आदि उपस्थित रहे।