आचरण में धर्म को आगे रखने से अनर्थ से बचेंगे : स्वामी जी
⚫ भागवत कथा की पूर्णाहुति बुधवार को जबकि भंडारा गुरुवार को
हरमुद्दे
रतलाम, 24 मई।अखंड ज्ञान आश्रम में ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के 31 वे पुण्य स्मृति महोत्सव के छठे सत्र में भगवान की लीलाओं को सुन और रुक्मणी विवाह का प्रसंग देख भक्त आल्हादित हो गए। महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भगवान मूलतः हमारी भावनाओं की परिणिति है। भगवान को किसी नाम, रूप पर सीमाओ में नहीं बांधा जा सकता। उनकी लीलाओं और उपदेशों का एकमात्र रहस्य यही है कि हम किसी भी तरह से ईश्वर से जुड़कर अपना कल्याण करने के लिए प्रेरित हो। आचरण में धर्म को आगे रखने से हम कई तरह के पाप कर्मो से बच जाते है। इस सत्य को समझाने का कार्य श्रीमद भागवत कथा से आसान हो जाता है।
सर्वत्र परमात्म के दर्शन करवाती है सनातन संस्कृति
स्वामीजी ने कहा कि श्रुति कहती है कि जैसी भगवान में भक्ति होती है वैसी ही भक्ति गुरुजनों के प्रति होना चाहिए। ये केवल सनातन संस्कृति है जो सर्वत्र परमात्म दर्शन करवाती है । सृष्टि के प्रत्येक कण कण में परमात्मा का वास का दर्शन सिर्फ सनातन धर्म में है । जो लोग शास्त्र की मनमानी व्याख्या करते है वे समाज को भ्रमित करने का पाप करते है । ऐसे लोगो से समाज को सावधान रहना चाहिए । आज समाज में धर्म के प्रति बढती जाग्रति सुखद है।
मुख्य यजमान श्रीमती मैनाबाई बंशीलाल अग्रवाल ने बताया कि कथा की पूर्णाहुति 25 मई को जबकि 26 मई को भंडारा रखा गया है । इस अवसर पर देश भर से महोत्सव में पधारे साधु संतों के प्रवचन होंगे । संचालन कैलाश व्यास ने किया।