सैलाना राजवंश के इतिहास में बुधवार को पहली बार पैलेस में होगी जैन दीक्षा

⚫ बंधु बेलड़ी आचार्य की निश्रा में निकलेगा वर्षीदान वरघोड़ा

⚫ दीक्षार्थी बहन पहुंची सैलाना

हरमुद्दा के लिए नीलेश सोनी
सैलाना, 31 मई। सैलाना राजवंश के इतिहास में यह पहला मंगल अवसर होगा, जब कोई मुमुक्षु राजवंश पैलेस से संयम के राजपथ पर प्रस्थान करेगा। मुमुक्षु तनिष्का चाणोदिया, रतलाम की दीक्षा बुधवार को पूरे शाही अंदाज में होगी। इस ऐतिहासिक प्रसंग को निहारने के लिए देशभर से समाजजन यहां पहुंच रहे है ।

बुधवार को बंधु बेलड़ी प.पू.आचार्य देव श्री जिनचंद्रसागरसूरिजी म.सा. आदि सुविशाल श्रमण श्रमणी वृन्द की निश्रा में दीक्षा के पूर्व प्रात: 8 बजे सैलाना में वर्षीदान यात्रा निकलेगी । जो शहर के प्रमुख मार्गो से होकर पैलेस में पहुंचकर दीक्षा कार्यकम में परिवर्तित होगी। सैलाना की  पावन भूमि पर करीब 100 साल पहले मालवा के परम उपकारी आगमोद्धारक पू.आ.दे. श्री आनंदसागरसूरी जी म.सा. का चातुर्मास हुआ था, जहां उन्होंने सैलाना नरेश दिलीप सिंह जी को प्रतिबोध करवाते हुए जिनशासन के प्रति श्रद्धावान बनाया था। जिसके संस्कार आज भी इस राज परिवार में है। इसी राजवंश की तीसरी पीढ़ी में श्री विक्रम सिंह परिवार द्वारा तीन दिन पहले आचार्य श्री से दीक्षा महोत्सव पैलेस में आयोजित करने का अनुरोध किया गया था, जिसे आचार्य श्री ने स्वीकृति प्रदान की।

700 हो गए समूह सामयिक

इसके पहले दीक्षार्थी का मंगलवार को सैलाना में मंगल आगमन हुआ। उन्होंने आचार्य श्री के दर्शन वंदन कर आशीर्वाद लिया। उनकी बड़ी बहन की अब साध्वी श्री पंक्तिवर्षाश्रीजी म.सा.की हाल ही में रतलाम में दीक्षा हुई है, वे भी इस समारम्भ में उपस्थित रहेगी। मंगलवार को आचार्य श्री की निश्रा में यहां आयोजित समूह सामयिक में करीब 700 सामयिक हुए। जिसमे बड़ी संख्या में समाजजन शामिल हुए ।

दीक्षार्थी का कहना : परिवार को विरासत में मिली है दीक्षा

मुमुक्षु तनिष्का चाणोदिया

हमारे परिवार को दीक्षा विरासत में मिली है। अभी तक 15 से 16 दीक्षाएं हो चुकी है। कुछ वर्ष पहले हमारे भाई प्रियचंदसागर जी म.सा., बड़ी बहन साध्वी श्री प्रज्ञारत्नाश्री जी म.सा. और छोटी बहन साध्वी श्री चन्द्रवर्षाश्रीजी म.सा.की दीक्षाएं हुई, तभी से मन में संयम जीवन के प्रति भाव जागे थे। जब इनके सान्निध्य का लाभ मिला, तब विरति धर्म के प्रति मन लालायित हुआ और आज मेरे  जीवन में भी यह सुखद घड़ी आ गई है। अब मै जिनशासन की सेवा में सदैव समर्पित रहूंगी।

मुमुक्षु तनिष्का चाणोदिया, रतलाम

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