स्मृति शेष : क्रांतिकारियों का जीवन दर्शन बसा था उनकी रोम रोम में

अशीष दशोत्तर

साहित्य के गहन अध्येता और अपनी एक अलग सोच रखने वाले मांगीलाल यादव आज हम से रुखसत हो गए। एक भले इंसान का जाना, एक नेकदिल व्यक्ति का न रहना हर उस व्यक्ति को खलेगा जो यादव जी के क़रीब से गुज़रा हो।

उनकी क्रांतिकारियों के जीवन दर्शन पर इतनी गहरी पकड़ थी कि क्रांतिकारी विचार उनके रोम-रोम में बसे थे। हर क्रांतिकारी के जीवन से जुड़े ऐसे अनछुए पहलू उनके पास हर वक़्त मौजूद रहते थे जिन्हें सुन कई लोग हैरत में पड़ जाया करते थे। जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भगत सिंह पर विशेष पुस्तकें रह चुके प्रोफेसर चमनलाल जब रतलाम आए और मांगीलाल जी से उनकी मुलाकात हुई तो वे भी भगत सिंह के जीवन के कई पहलुओं को मांगीलाल जी के मुख से सुनकर आश्चर्यचकित रह गए। यादव जी साहित्यकार नहीं थे मगर साहित्य पर उनकी गहरी पकड़ थी।

निरंतर पढ़ना उनके जीवन में शुमार

निरंतर पढ़ना उनके जीवन में शुमार था। कई किताबें उनके अपने अध्ययन कक्ष में भरी पड़ी थीं। हर दिन कोई किताब पढ़ना और उस पर मिलने वालों से चर्चा करना, यह उनके जीवन का एक हिस्सा था। यादव जी के व्यक्तित्व से इस तरह भी परिचित हुआ जा सकता है कि एक भले इंसान, एक नेक दिल इंसान, अपने दर्द को भीतर रखने वाले और सदैव सभी से मुस्कुरा कर मिलने वाले व्यक्ति। उनके विद्यार्थी जीवन के कई संस्मरण वे अक्सर सुनाया करते थे। समाज की विविधता को अपने अंदाज़ में बताया करते थे । श्री यादव का न रहना यक़ीनन एक बड़ी क्षति है ।

 विनम्र श्रद्धांजलि

आशीष दशोत्तर

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