अरे वाह ! ऐसा हो रहा है वहां : जब कदम बढ़े वहां की ओर, लगा शिक्षा का तो यह है कुछ और ही छोर

⚫ सुविधा देने की लगन सभी की ऐसी, भूल गए अपना सुख भी

⚫ निजी स्कूल में दुखी थे लेकिन अब यहां अभिभावकों के आंसू निकल रहे खुशी के

⚫ मगर होती है टॉयलेट में ऐसी सफाई

हेमंत भट्ट
रतलाम, 26 अगस्त। परिसर में प्रवेश करते ही गार्ड ने किया अभिवादन। बिलकुल साफ सुथरा स्वच्छ परिसर। औषधीय गुणों से भरपूर पौधों का बगीचा। चकाचक सीढ़िया। दरवाजे के अंदर प्रवेश करते ही मां सरस्वती की प्रतिमा। सुसज्जित वातावरण। एक अलग ही एहसास। सीएम राइज स्कूल की ऐसी तस्वीर देखकर सहसा मन को नहीं हुआ विश्वास, सरकार का यह प्रयोजन है खास।

आइए हम ले चलते हैं रतलाम शहर के जवाहर नगर में विगत माह शुरू हुए सीएम राइस स्कूल में। जहां पहले कभी स्टाफ रूम हुआ करता था। उसको खत्म करके पार्टीशन किया और दो क्लास रूम बनाएं। कक्षा में प्रवेश करते ही एक स्वर में गूंजा गुड इवनिंग सर। दीवारों पर हस्तनिर्मित चार्ट लगे थे जिसमें एक चार्ट पर पूरे वर्ष में किस महीने में किस का जन्मदिन आएगा, वह सब दर्शाया गया। अपनी कला भावना का प्रदर्शन किया गया। जब हायर सेकेंडरी के विद्यार्थियों से हुई चर्चा तो उन्होंने बताया कि वह पहले निजी स्कूल में पढ़ते थे, वहां से छोड़ कर यहां आकर उन्होंने कोई गलती नहीं की। यहां की पढ़ाई और शिक्षक वाकई काबिले तारीफ है। जो अपनत्व और अपनापन यहां पर मिल रहा है, वह कहीं और नहीं मिला। यहां के शिक्षक-शिक्षिकाएँ हमारे माता-पिता को कहते हैं कि आप केवल अपने बच्चे को स्कूल ही भेजिए बाकी जिम्मेदारी हमारी है। आपको कोई चिंता करने की बात नहीं। आप तो अपने बेटे बेटियों की कॉपी में सिर्फ यह देखिए कि आज शिक्षक ने क्या पढ़ाया है? विद्यार्थियों ने कहा कि पहले भी हमारे अभिभावक की रोते थे, लेकिन यहां पर उनकी आंखें खुशी में छलक रही है।

सरकारी स्कूल भी होते हैं ऐसे

हर एक कक्षाओं को देखा परखा विद्यार्थियों से बात हुई। आत्मविश्वास से भरपूर विद्यार्थियों से हर प्रकार की चर्चा हुई। चाहे वह पढ़ाई की हो। शिक्षकों के व्यवहार की हो। वातावरण की हो। इन सभी मामलों में विद्यार्थियों ने निर्बाक रूप से कहा कि वाकई में सरकारी स्कूल भी ऐसे हो सकते हैं यहां आकर ही पता चला।

और उनके चेहरे पर सुकून की खुशी

हमने पहले बताया था कि शिक्षक शिक्षिकाओं ने अपने स्टाफ रूम को छोड़कर क्लास रूम बनाया। वे शिक्षक-शिक्षिकाएं ऐसी जगह पर बैठते हैं, जहां से बाहर जाने का रास्ता था। दरवाजा लगा हुआ था। दरवाजे को हटाया और उसे पीछे लगवा दिया हालांकि दरवाजा जालीदार है। शिक्षक-शिक्षिकाओं को यहां बैठने में कोई गुरेज नहीं। बढ़िया ठंडी हवा और उनके चेहरे पर सुकून की खुशी।

छोटी सी मगर उपयोगी

एक और कक्षा में प्रवेश किया। सभी विद्यार्थियों ने बारी-बारी से विद्यालय की खूबियों को गिनाना शुरू कर दिया। शिक्षकों के व्यवहार और पढ़ाई का बखान किया। इस कक्ष में थोड़ी सी जगह में पुस्तक प्रेमी शिक्षिका लेखिका ने लाइब्रेरी भी बनाई। इसमें मनोरंजक और ज्ञानवर्धक वे पुस्तके शामिल है जो प्रतियोगी परीक्षाओं में उनका साथ देगी। डिजिटल के बारे में जानकारी देगी। यानी कि बाहरी परिवेश के शैक्षणिक ज्ञान को देने के लिए भी तत्पर।

कर रहे थे विद्यार्थी प्रयोग

एल टर्न लेकर फिर आगे बढ़े, जहां पर भौतिक शास्त्र की प्रयोगशाला में विद्यार्थी बैठे थे। उनके समक्ष भौतिक शास्त्र से संबंधित प्रयोग के उपकरण रखे हुए थे जिनके माध्यम से वे सीख रहे थे अवतल लेंस और उत्तल लेंस सहित अन्य जानकारियां।

बदबू का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं

फिर एल टर्न लिया। यहां पर छात्राओं के लिए सुविधा घर बनाया गया था जिसे आप अंग्रेजी में टॉयलेट कहते हैं। जब प्रयोगशाला के कक्ष से बाहर निकले, तब भी ऐसा एहसास नहीं हो रहा था कि आगे सुविधा घर बनाया गया है। दरवाजा खोला तब भी ऐसा कोई एहसास नहीं था कि यहां पर टॉयलेट है। फर्श पर पानी की एक बूंद नहीं। वाश बेसिन बिलकुल चकाचक। बदबू का दूर-दूर से कोई नाता नहीं। इस संबंध में प्राचार्य का कहना था कि दिन में यहां पर करीब 6 बार सफाई होती है।

शिक्षण और शिक्षक ही व्यवहार से वह बहुत ही गदगद

अन्य कक्षाओं कक्षाओं में जाकर विद्यार्थियों से चर्चा हुई। उनकी खुशी से साफ जाहिर हो रहा था कि यहां का वातावरण शिक्षण और शिक्षक ही व्यवहार से वह बहुत ही गदगद हैं। यहां पर एक सेवानिवृत्त शिक्षक भी लगातार आते हैं, जबकि वे पिछले माह सेवानिवृत्त हो चुके हैं लेकिन उनका विद्यालय प्रेम छलक रहा था। फिर एल टर्न पर सुविधाघर बना हुआ था जो कि विद्यार्थियों के लिए था। इसकी सफाई वैसी की वैसी ही।

कार्यालय में ही प्राचार्य कक्ष

अब पास में ही बना हुआ है सीएम राइस स्कूल का कार्यालय। इस कार्यालय में कुछ जगह पर प्राचार्य की कुर्सी और टेबल लगी हुई है। टेबल के सामने कुछ कुर्सियां और है, जहां पर अभिभावक सहित अन्य लोग बैठ सकते हैं। प्राचार्य से चर्चा कर सकते हैं। शिक्षक-शिक्षिकाओं की बात करें तो कोई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त है तो कोई राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त, तो कोई राज्यपाल के साथ काम किए हुए भी हैं। सब अपने-अपने क्षेत्र में पारंगत हैं।

हरियाली से आच्छादित प्रार्थना सभा स्थल

और अब हम वहीं पर आ गए जहां से हमने शुरुआत की थी याने कि मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष। इसके ठीक पीछे बना हुआ है प्रार्थना सभा स्थल जो की हरियाली से आच्छादित है। खुला-खुला वातावरण छोटे-छोटे, बड़े-बड़े पौधे। यह व्यवस्था फिलहाल पुराने स्कूल भवन में शुरू की गई है हालांकि नया भवन बनने में भी समय लगेगा। स्थान आवंटित हो चुका है भवन। निर्माण की प्रक्रिया शुरू होना शेष है।

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