⚫ आशीष दशोत्तर

एक

तुमने
हमें अपने आंचल में छुपाया
अपनी गोदी में बिठाया,
हमने
तुम्हें सड़क पर विराजित किया
पुत्र होने का कर्तव्य निभाया।

दो

तुमने
समझाया हमें धर्म का मर्म
किसी को पीड़ा न हो
ऐसा हो कर्म,
हमने
तुम्हारे नाम पर रोकी सड़कें
धर्म के नाम पर किया अधर्म।

तीन

तुमने
सिखाया मौन में है शक्ति,
हमने
हुड़दंग को नाम दिया भक्ति।
किए नहीं दर्शन
सिर्फ़ किया प्रदर्शन।

चार

तुमने
सीख दी बारम्बार
हमने
ख़ताएं की बेशुमार।
हम कपूत, अयोग्य हैं,
हमें क्षमा मत कर
हम नहीं इस योग्य हैं।

आशीष दशोत्तर
कोमल नगर, रतलाम
9827084966

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