जैसे भाव होते है, वैसे ही मिलते है परिणाम : दाजी
⚫ हार्टफुलनेस पद्धति पर संस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष का विशेष सत्र
⚫ महापुरुषों का सान्निध्य मिलना रतलाम का सौभाग्य : विधायक
हरमुद्दा
रतलाम 6 अक्टूबर। व्यक्ति के जीवन में जैसे भाव होते है, वैसे ही परिणाम मिलते है। गर्भाधान के पूर्व भी यह स्थिति बनती है। तामसिक भाव होंगे तो सात्विक परिणाम नहीं मिलेंगे और सात्विक भाव रखेंगे तो कभी विपरीत परिणाम सामने नहीं आएंगे। ध्यान एकाग्रता का मूल मंत्र है। ध्यान से सारी विषमताओं, जटिलताओं और समस्याओं का समाधान पाया जा सकता है।
यह बात विधायक चेतन्य काश्यप द्वारा विसाजी मेंशन में आयोजित हार्टफुलनेस पद्धति के विशेष सत्र को सम्बोधित करते हुए हार्टफुलनेस संस्था के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश पटेल ‘दाजी’ ने कही। उन्होंने इस मौके पर उपस्थित शहर के प्रबुद्ध एवं गणमान्यजन तथा श्री रामचंद्र मिशन रतलाम केन्द्र के सदस्यों को ध्यान से ईश्वरीय साक्षात्कार की अनुभूति करवाई और सहज मार्ग की हार्टफुलनेस पद्धति के विभिन्न पहलूओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। दाजी ने कहा कि हार्टफुलनेस संस्था के देशभर में 15 हजार प्रशिक्षक है। संस्था द्वारा दुनिया के 156 देशों में हजारों केन्द्रों के माध्यम से ध्यान का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ऑनलाईन ध्यान का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है, जो हार्टफुलनेस एप से जुड़कर प्राप्त किया जा सकता है।
बचपन से एकाग्रता का प्रशिक्षण काफी कारगर
दाजी ने कहा कि बचपन में यदि एकाग्रता का प्रशिक्षण दिया जाए, तो वह काफी कारगर रहता है। परिवार में उच्च क्षमता विकसित करने के लिए ध्यान जरूरी है। परिवार के सदस्य जहां एक साथ ध्यान करते है, वहां का माहौल अलग ही होता है। ज्ञान के साथ अनुभव जुड़ जाता है, तो ज्ञान की महत्ता ओर बढ़ जाती है। दाजी ने कहा कि व्यक्ति भगवान को घर में रखता है और बाहर जाकर भूल जाता है। यह कैसी विडम्बना है जो सर्वव्यापी है, उसे हम सीमित क्षेत्र में रखना चाहते है। सनातन परम्परा मंे पहले मंदिर नहीं थे, क्योंकि सभी संतों एवं धर्मज्ञों को पता था कि ईश्वर सभी जगह है, केवल उसे अनुभव करने की आवश्यकता है। यह अनुभव ध्यान आता है।
परंपरा के साथ आधुनिकता से समन्वय
विशेष सत्र के आरंभ में विधायक चेतन्य काश्यप ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में भारतीय परम्परा के साथ आधुनिकता का कैसे समन्वय हो, उसके दाजी ब्रांड एम्बेसेडर है। वे सौभाग्यशाली है कि पूर्वजों के पुण्य फल से उन्हें आचार्य महाप्रज्ञ, सरसंघचालक एवं गुरू गच्छाधिपति श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. का आशीर्वाद मिला। दाजी ने हैदराबाद में अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय कान्हा शांति वनम में विश्व का सबसे बड़ा ध्यान केन्द्र बनाया है, जहां एक लाख लोग एक साथ ध्यान कर सकते है। उनका सानिध्य मिलना रतलाम के लिए सौभाग्य की बात है।
यह थे मौजूद
विशेष सत्र में पद्मश्री डॉ. लीला जोशी, महापौर, महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के महेश बैरागी, निगम अध्यक्ष मनीषा शर्मा, कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी, एस.पी. अभिषेक तिवारी, सहकारिता आयुक्त संजय गुप्ता, समाजसेवी खुर्शीद अनवर, श्रीरामचन्द्र मिशन के क्षेत्रीय समन्वयक गजेन्द्र गौतम, इंदौर केन्द्र प्रभारी अविनाश कर्माकर, अनुराग मुंदड़ा, उज्जैन केन्द्र प्रभारी संजय खण्डेलवाल उपस्थित रहे। संचालन मनोहर पोरवाल द्वारा किया गया।
विभिन्न संस्थाओं द्वारा अभिनंदन
हार्टफुलनेस पद्धति के विशेष सत्र में दाजी का शहर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा अभिनंदन किया गया। इस मौके पर ब्राइटर माईंड संस्था के बच्चों दक्षता अर्गल, अक्षता अर्गल एवं सुरभि उपाध्याय ने एकाग्रता के सुखद परिणामों का चमत्कारिक प्रदर्शन किया। उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर किताब पढ़कर दिखाई और वस्तुओं के रंग भी बताएं।
रतलाम केन्द्र में पौधारोपण
विशेष सत्र के बाद दाजी बरबड़ स्थित श्री रामचंद्र मिशन के रतलाम केन्द्र पर पहुंचे और यहां उन्होंने कपूर का पौधारोपित किया। केन्द्र प्रभारी निलेश शुक्ला ने बताया कि बरबड़ के पास सेफायर स्कूल के पीछे स्थित केन्द्र में 7 एवं 8 अक्टूबर को सुबह 8.30 बजे हार्टफुलनेस के द्वितीय एवं तृतीय ध्यान शिविर आयोजित होंगे। इनमें दाजी के सानिध्य में हुए प्रथम शिविर के शिविरार्थी शामिल होंगे। उन्होंने सभी शिविरार्थियों से अधिक से अधिक उपस्थित रहकर शिविर का लाभ लेने की अपील की। दाजी रतलाम केन्द्र से दोपहर में बांसवाड़ा प्रस्थित हो गए।