सेहत सरोकार :  हानिकारक पटाखों के निर्माण उपयोग, विक्रय, वितरण एवं प्रस्फुटन की अनुमति जरूरी, अन्यथा होगी कार्रवाई

⚫ विदेशी पटाखों का निर्माण, उपयोग, विक्रय, वितरण एवं प्रस्फोटन पूर्णतया प्रतिबंधित

जनसामान्य के स्वास्थ्य के हित को बनाए रखने के लिए कलेक्टर के निर्देश पर जारी हुए आदेश

हरमुद्दा
रतलाम 23 अक्टूबर। जनसामान्य के स्वास्थ्य के हित को बनाए रखने के लिए रतलाम जिले के संपूर्ण क्षेत्र में कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी के निर्देश पर अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एम.एल. आर्य द्वारा प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं।

आदेश के अनुसार जिले के संपूर्ण राजस्व सीमा में प्रतिबंधित एवं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पटाखों के निर्माण उपयोग, विक्रय, वितरण एवं प्रस्फुटन की अनुमति रहेगी। अन्य समस्त प्रकार के पटाखों का निर्माण उपयोग, विक्रय एवं प्रस्फोटन प्रतिबंधित रहेगा।

यह सभी पूर्णतया प्रतिबंधित

पटाखों के प्रस्फोटन के बिंदु से 4 मीटर की दूरी पर 125 डीबी से अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखों का निर्माण, उपयोग, विक्रय, वितरण एवं प्रस्फोटन वर्जित रहेगा। विदेशी पटाखों का निर्माण, उपयोग, विक्रय, वितरण एवं प्रस्फोटन पूर्णतया प्रतिबंधित रहेगा। पटाखों के जलाने के उपरांत उनसे उत्पन्न कचरे को ऐसे स्थान पर नहीं फेंका जाएगा जहां पर प्राकृतिक जल स्त्रोत, पेयजल प्रदूषित होने की संभावना है।

लड़ी वाले पटाखे भी प्रतिबंधित

वह पटाखे प्रतिबंधित रहेंगे जिनके निर्माण में बेरियम साल्ट का उपयोग किया गया हो। लड़ी में बने पटाखे प्रतिबंधित रहेंगे। पटाखे जिनकी तीव्रता विस्फोट स्थल से 4 मीटर की दूरी पर 125 डेसीबल से ज्यादा नहीं हो, प्रतिबंधित रहेंगे।

ऑनलाइन विक्रय तथा गैर लाइसेंसी विक्रय प्रतिबंधित

पटाखे के निर्माण में एंटीमनी, लिथियम, मरक्यूरी, आर्सेनिक, लेड, स्ट्रोंटीयम, क्रोमेटं का उपयोग किया गया हो, उनका क्रय-विक्रय एवं उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। पटाखों का ई-कॉमर्स कंपनियों अथवा निजी व्यक्तियों द्वारा ऑनलाइन विक्रय तथा गैर लाइसेंसी विक्रय प्रतिबंधित रहेगा।

इन क्षेत्रों में पटाखे चलाना प्रतिबंधित

घोषित शांत क्षेत्रों जैसे अस्पताल, नर्सिंग होम, प्राथमिक एवं जिला स्वास्थ्य केंद्र, शैक्षणिक संस्थान, अदालत, धार्मिक स्थल अथवा शासन द्वारा घोषित साइलेंस झोन आदि के भीतर 100 मीटर दूरी तक पटाखे चलाना प्रतिबंधित रहेगा। आदेश दो माह तक की अवधि के लिए प्रभावशील रहेगा। आदेश के उल्लंघन की स्थिति में भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 186 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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