जमीन घोटाला : मिलीभगत से शराब कारोबारी को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन का लैंडयूज ही बदल डाला, अब भाजपा नेता, तत्कालीन सीईओ, शराब कारोबारी सहित आठ पर एफआईआर

⚫ लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई

⚫ ग्राम पंचायत के अधीन थी जमीन

⚫ लैंडयूज बदलने का अधिकार सिर्फ राज्य शासन को

⚫ शिकायत के बाद ढाई साल से चल रही थी जांच

हरमुद्दा
ग्वालियर, 23 अक्टूबर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक बड़ा जमीन घोटाला उजागर हुआ है। जमीन घोटाले के इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर, भाजपा नेता राकेश जादौन, प्रदेश के बड़े शराब कारोबारी आदिल वापना सहित आठ लोगों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की है। मिलीभगत से शराब कारोबारी को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन का लैंडयूज ही बदल डाला। जबकि यह जमीन ग्राम पंचायत के अधीन थी, इसका लैंडयूज बदलने का अधिकार सिर्फ राज्य शासन को था। शिकायत के बाद ढाई साल से जांच चल रही थी।

लोकायुक्त पुलिस के निरीक्षक राघवेंद्र ऋषिश्वर ने बताया कि यह जमीन घोटाला 2016 में हुआ था, उस समय साडा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आईएएस तरुण भटनागर और अध्यक्ष भाजपा नेता राकेश जादौन थे। उस समय यह लैंडयूज बदलकर ग्वालियर एक्लोब्रियू यानि रायरू डिस्टलरी को औद्योगिक विकास के लिए दे दी। मास्टर प्लान में छेड़छाड़ कर यह पूरा फर्जीवाड़ा हुआ। इसकी शिकायत 23 जनवरी 2020 को आरटीआई कार्यकर्ता संकेत साहू ने की थी। कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच लोकायुक्त पुलिस ने शुरू की। करीब ढाई साल से यह जांच चल रही थी, अब इस मामले में एफआइआर दर्ज हुई है। लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13-1, 2 और आइपीसी की धारा 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की है।

जमीन का लैंडयूज ही बदल डाला

वर्तमान में निवाड़ी कलेक्टर तरुण भटनागर जिस समय ग्वालियर के विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी थे, उस समय उन्होंने तत्कालीन अध्यक्ष राकेश जादौन और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से शराब कारोबारी को लाभ पहुंचाने के लिए जमीन का लैंडयूज ही बदल डाला। जमीन का लैंडयूज बदलकर करोड़ों रुपए कीमत की जमीन रायरू डिस्टलरी को हैंडओवर कर दी। जबकि यह जमीन ग्राम पंचायत के अधीन थी, इसका लैंडयूज बदलने का अधिकार सिर्फ राज्य शासन को था। फिर भी इन लोगों ने पद का दुरुपयोग करते हुए जमीन का लैंडयूज बदलकर रायरू डिस्टलरी को औद्योगिक विकास और भवन अनुज्ञा जारी कर दी।

घोटाले में शासन को करीब 1.07 करोड़ रुपए की हानि

इतना ही नहीं जब इस घोटाले की खबरें बाहर आई तो यह पूरी फाइल ही गायब करा दी गई। इस घोटाले में शासन को करीब 1.07 करोड़ रुपए की हानि हुई।

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