साहित्य सरोकार : प्राणजी की रचनाएं आज भी प्रासंगिक

साहित्य सरोकार : प्राणजी की रचनाएं आज भी प्रासंगिक

प्रो. रतन चौहान ने कहा

⚫ 'एक रचनाकार का रचना संसार' कार्यक्रम आयोजित

⚫ अगला आयोजन गोपालसिंह नेपाली पर

हरमुद्दा
रतलाम, 13 अप्रैल। बहुत कम उम्र में प्राणवल्लभ गुप्त ने जितना रचा वह आज भी हमें प्रेरित करता है। उनकी रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं। रचनाकार अपने जीवन काल में जो कुछ भी रचता है वह किसी काल से बंधा नहीं होता। प्राणजी की रचनाएं आज भी हमें प्रेरित करती हैं।

यह विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित ' एक रचनाकार का रचना संसार ' में वरिष्ठ साहित्यकार और अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने व्यक्त किए। शहर के यशस्वी गीतकार रहे प्राणवल्लभ गुप्त की रचनाओं पर केंद्रित कार्यक्रम में प्रो. चौहान ने कहा कि हम अपने प्रेरक और वरिष्ठ रचनाकारों की रचनाओं के पाठ के माध्यम से अपनी जड़ों से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जलेसं अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने शब्दों से सभी का स्वागत किया। 

 इन्होंने किया रचना पाठ

प्राण गुप्त की प्रमुख रचनाओं का पाठ प्रो. रतन चौहान, रंगकर्मी कैलाश व्यास, ओमप्रकाश मिश्र, रणजीत सिंह राठौर, आशीष दशोत्तर, योगिता राजपुरोहित, डॉ. स्वर्णलता ठन्ना, मांगीलाल नगावत, कीर्ति शर्मा, जितेंद्र सिंह पथिक, विनोद झालानी, दिलीप जोशी, जुबेर आलम कुरेशी, मुकेश सोनी, जवेरीलाल गोयल, गीता राठौर, पद्माकर पागे, एस.के.मिश्रा, सुभाष यादव, डॉ. मोहन परमार ने किया। 

 अगला आयोजन गोपालसिंह नेपाली पर

' एक रचनाकार का रचना संसार ' आयोजन की कड़ी में आगामी 11 मई रविवार को रतलाम में रहे वरिष्ठ गीतकार गोपालसिंह नेपाली की रचनाओं का पाठ किया जाएगा। जनवादी लेखक संघ रतलाम ने शहर के सुधिजनों से उपस्थिति का आग्रह किया है।