धर्म संस्कृति : विश्व रत्न सागर सूरीश्वर जी महाराज साहब का भव्य मंगल प्रवेश 6 जुलाई को

⚫ विशाल समाया के साथ होगा मंगल प्रवेश
⚫ समुदाय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता जैन संतों का समाया
हरमुद्दा
रतलाम, 23 जून। विश्व रत्न सागर सूरीश्वर जी महाराज साहब का भव्य मंगल प्रवेश 6 जुलाई 2025 को प्रातः 8 बजे इन्दौर की धन्यधरा पर होगा। परम पूज्य आचार्य श्री नवरत्न सागर जी महाराज साहब के कृपा पात्र परम पूज्य आचार्य विश्व रत्न सागर सूरिश्वर महाराजा का भव्याति भव्य चार्तुमासिक आराधना का मंगल प्रवेश पिपली बाजार इन्दौर से विशाल समाया के साथ होने जा रहा है।
धर्मनिष्ठ समाजसेवी गणतंत्र मेहता ने जानकारी देते हुए बताया कि जैन साधुओं के प्रवेश उत्सव आयोजन का महत्व धार्मिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। यह न केवल जैन धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों का प्रदर्शन करता है, बल्कि समुदाय को एकजुट करने और धार्मिक उत्साह को बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाता है।
समुदाय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जैन संतों का समाया
श्री मेहता ने बताया कि जैन साधुओं के समाया में उनका सादगीपूर्ण जीवन, त्याग और तपस्या का प्रदर्शन होता है। यह समाया सांसारिक मोह-माया से दूर रहने और आत्म-नियंत्रण के महत्व को दर्शाता है। धर्म के प्रति समर्पण समाया में शामिल होकर, जैन साधु धर्म के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करता हैं। यह समाज के सभी वर्गों को भी धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। जुलूस में जैन तीर्थंकरों और गुरुओं का स्मरण तथा तीर्थंकरों और गुरुओं की शिक्षाओं का स्मरण किया जाता है, जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
एकता और भाईचारे की भावना होती है मजबूत
अहिंसा और करुणा का संदेश जैन धर्म अहिंसा और करुणा पर आधारित है, और जुलूस में इन सिद्धांतों का प्रदर्शन किया जाता है, जो समाज में शांति और सद्भाव फैलाने में मदद करता है।
सामाजिक महत्व समुदाय को एकजुट करना जैन संतों का जुलूस जैन समुदाय को एक साथ लाता है, जिससे समुदाय में एकता और भाईचारे की भावना मजबूत होती है।
उत्सव का माहौल बनता है जुलूस
जुलूस एक उत्सव जैसा माहौल बनाता है, जिससे धार्मिक उत्साह और उल्लास बढ़ता है। जुलूस जैन धर्म और इसके सिद्धांतों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। सामाजिक संदेश जुलूस के माध्यम से, जैन समुदाय सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात भी रख सकता है, जैसे कि अहिंसा, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक न्याय। संक्षेप में, जैन साधुओं का जुलूस एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक आयोजन है जो जैन धर्म के सिद्धांतों, मूल्यों और समुदाय को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अधिकतम संख्या में शामिल होने का आह्वान
अधिकतम संख्या में बसों और अपने निजी वाहन से कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। सभी अतिथियो की प्रातः नवकारसी व दिन में सह धार्मिक वात्सल्य रखा गया है। वाहनों के पाकिंग की व्यवस्था भी रखी गई है। मालवा पत्रकार संघ रतलाम ने अधिकतम संख्या मे सम्मिलित होने का आह्वान किया है