सामयिक विश्लेषण : परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ा विश्व 

इजरायल में यहूदियों का नाश करने चले ईरान को परमाणु बम विहीन करने की चेतावनी अब भारी पड़ी। इजरायल के प्रधान मंत्री ने कहा है कि "शक्ति के बाद ही शांति आती है"। कल कुछ भी हो सकता है, लेकिन जो होगा वह अति भयावह ही होगा।

सामयिक विश्लेषण : परमाणु युद्ध के मुहाने पर खड़ा विश्व 

⚫ डॉ. प्रदीपसिंह राव (अंतरराष्ट्रीय राजनीति के व्याख्याकार)

इस समय पूरी दुनिया को अमेरिका ने 70 साल बाद विश्व युद्ध/परमाणु युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है।1914/1939 के विश्व युद्ध के  बाद 1945 में जापान पर परमाणु हमले के  70 साल बाद एक बार फिर अमेरिका ने युद्ध का दैत्य जगा दिया है।

इजरायल में यहूदियों का नाश करने चले ईरान को परमाणु बम विहीन करने की चेतावनी अब भारी पड़ी। खुमैनी ने ट्रंप को हल्के में लिया और रातों रात ईरान के तीन परमाणु ठिकाने,  फ़ार्डो, नातांस, ओर इस्फ़ाह पर दुनिया के सबसे भारी  "बंकर ब्लास्टर " बमवर्षक विमान B/2 से फार्डो परमाणु ठिकाने के भीतर 5300पौंड के बम विस्फोट किए। 12 बार जो 260 फीट नीचे चुप परमाणु बमों के मुहाने को नष्ट कर आए। अभी भी ईरान को सबक न मिला हो तो अमेरिका और बड़ी तैयारी में है। 

दियागोगरसिया द्वीप और मिडिल ईस्ट में 19 स्थानों पर उसके सैनिक अड्डे पूरी तरह चाक चौबंद हैं, यहीं से CBU 57 बन वर्षक विमान ने हमले की तैयारी  की थी। ये 15वर्षों से ईरान और  मध्य पूर्व पर नज़र रखे हुए हैं, लेबनान, तुर्की ए, सीरिया, साइप्रस, बहरीन, ओमान, कुवैत, कतर, यू ए ई, सऊदी अरब जैसे देश हैं। 


जिद्दी अकडू ईरान के पास खाड़ी देशों की कोई बड़ी सहानुभूति नहीं है, क्योंकि ये सभी देश ये नहीं चाहते कि ईरान उनका बॉस बने। सिर्फ ओमान ने अमरीका को चुनौती दी है कि वो अपने सैनिक अड्डे को हटा लें। वो इस लिए की फारस की खाड़ी में ईरान की सबसे बड़ी तेल सप्लाई है," होंमरूज जलडमरू मध्य,"। इसे यदि ईरान रोक देगा तो दुनिया के सामने बहुत बड़ा तेल संकट खड़ा हो जाएगा। ईरान के लिए रूस सीधे युद्ध में शामिल नहीं होगा न चीन सीधे उतरेगा। ये उतरे तो विश्वयुद्ध की शुरुआत हो जाएगी। ईरान  अब हुती, हमास और हिजबुल्लाह से आतंकी हमले करवा सकता है। और उसमें ज्यादा दम नहीं है। पाकिस्तान का पहले ही ट्रंप ने मुंह बंद कर दिया, वो घर अवसरवादी है। उधर इजरायल के प्रधान मंत्री ने कहा है कि "शक्ति के बाद ही शांति आती है"। कल कुछ भी हो सकता है, लेकिन जो होगा वह अति भयावह ही होगा। अन्यथा 5-6 दिनों में ही युद्ध थम जाएगा।

( यह लेखक का विश्लेषण हैं, इसमें संपादक का सहमत होना जरूरी नहीं है)