अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं को सुनाने का सुख अप्रतिम
⚫ ‘सुनें-सुनाएं’ के दूसरे सोपान में हुआ प्रखर रचना संवाद
हरमुद्दा
रतलाम, 6 नवंबर। अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं को पढ़ना और उन्हें सभी के साथ साझा करना का सुख अलग ही है। इससे पढ़ने की प्रवृत्ति भी बढ़ती है और समविचारी लोगों के एक साथ बैठने और बातचीत करने के अवसर भी मिलते हैं। उक्त मंतव्य रचनात्मक संवाद के आयोजन ‘सुनें-सुनाएं’ के दूसरे सोपान में व्यक्त किया गए।
संवादहीनता और रचनाशीलता के प्रति कम होती प्रवृत्ति को नया आयाम देने के उद्देश्य से शहर में शुरू किए गए रचनात्मक आयोजन *“सुनें-सुनाएं “* का दूसरा आयोजन जीडी अंकलेसरिया रोटरी हाल ट्रस्ट के सहयोग से रोटरी क्लब एनैक्सी में किया गया। आयोजन में सुधि नागरिकों ने शहर में रचनात्मक वातावरण को तैयार करने और लोगों के बीच स्वस्थ संवाद की परंपरा को कायम करने के उद्देश्य से प्रारंभ इस रचनात्मक पहल की सराहना की। आयोजन में रचनाकारों की रचनाओं को न सिर्फ पढ़ा गया बल्कि उन पर सार्थक विमर्श भी हुआ।
रचनाओं का किया पाठ
रचना पाठ के क्रम में आई. एल. पुरोहित ने बालकवि बैरागी की रचना का पाठ किया। विनोद झालानी ने गोपालदास नीरज की सुप्रसिद्ध कविता ‘अब युद्ध नहीं होगा’ का पाठ किया। अरविंद पुरोहित ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘पंच परमेश्वर’ को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया। विनोद संघवी ने शोक सभा के संस्मरण से संबंधित रचना पढ़कर वातावरण को आनंदित कर दिया । युवा पत्रकार अदिति मिश्रा ने कैफ़ी आज़मी की नज़्म ‘औरत’ का भाव-अभिव्यक्ति के साथ पाठ किया । योगिता राजपुरोहित ने मैथिलीशरण गुप्त की कविता पढ़ी। अशोक तांतेड़, त्रिभुवनेश भारद्वाज, विवेक सोनी ने भी रचना पाठ कर रचनात्मक विमर्श को आगे बढ़ाया।
इन्होंने की सहभागिता
संवाद में डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, डॉ प्रकाश उपाध्याय, विष्णु बैरागी, त्रिभुवनेश भारद्वाज, गुस्ताद अंकलेसरिया, शोभना तिवारी, इन्दु सिन्हा,सुशीला कोठारी, वरूण पोरवाल, कविता व्यास, संघमित्रा सोनी, अनिल झालानी, मुकेश पुरी गोस्वामी,राधेश्याम शर्मा, डॉ दिनेश तिवारी, कमल किशोर उपाध्याय,अमृत जैन,महावीर वर्मा , आशीष दशोत्तर ने रचना विमर्श में सहभागिता की।
बनाया जा सकता है रचनात्मक वातावरण
आयोजन में उपस्थित सुधिजनों ने कहा कि साहित्यिक, सांस्कृतिक और कला क्षेत्र से जुड़ी चर्चा के कारण शहर में नई पीढ़ी के बीच रचनात्मकता का वातावरण बनाया जा सकता है । इसी की चिंता करते हुए शहर के रचनात्मक गतिविधियों से जुड़े बंधुओं द्वारा ‘सुनें- सुनाएं’ पहल सराहनीय है। मासिक रूप से होने वाले इस आयोजन में कोई भी व्यक्ति अपनी रचनाओं का पाठ नहीं करेगा सिर्फ़ अपनी पसंद के किसी रचनाकार की रचना का ही पाठ करेगा। यह आवश्यक नहीं कि उपस्थित हर व्यक्ति हर आयोजन में किसी रचनाकार की रचना को प्रस्तुत करें ही। सिर्फ श्रोता के रूप में भी इसमें शामिल हो सकते हैं। यह पूरी तरह अनौपचारिक एवं रचनात्मक आयोजन होगा। इसमें किसी भी तरह का आग्रह, दुराग्रह, पूर्वाग्रह भी नहीं होगा । ऐसे आयोजन में उपस्थिति से हमारे शहर का रचनात्मक वातावरण अधिक सारगर्भित हो सकेगा। रचनात्मक संवाद बढ़ाने की इस पहल का सभी ने स्वागत किया। बैठक में अगले आयोजन में पढ़ी जाने वाली रचनाओं पर भी चर्चा की गई।