ग्रहण को लेकर भ्रांतियों में ना पड़े आमजन : ग्रहण का नहीं है कोई भी असर, नहीं करना है नियमों का पालन

⚫ प्रसिद्ध महाकाल पंचांग में भी यही निर्णय और सलाह

⚫ ग्रहण का असर देश के उत्तरी पूर्वी कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित

⚫ कम जानकारी रखने वाले विद्वजनों के बहकावे में ना आए आमजन

हरमुद्दा
रतलाम, 7 नवंबर। 8 नवंबर को लगने वाले ग्रहण को लेकर आमजन भ्रांतियों में न रहे। नाही ग्रहण के नियमों का पालन करें। ग्रहण का कोई असर नहीं है। कम जानकारी रखने वाले विद्वजनों के बहकावे में ना आए। ग्रहण का असर देश के उत्तरी पूर्वी क्षेत्रों में ही है, बाकी में नहीं। प्रसिद्ध पंचांग निर्माता ज्योतिर्विद ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद शंकर व्यास ने भी अपने महाकाल पंचांग में यही निर्णय दिया है।

ज्योतिषाचार्य दुर्गाशंकर ओझा ने हरमुद्दा से चर्चा में ग्रहण के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रसिद्ध पंचांग निर्माता ज्योतिर्विद पंडित आनंद शंकर व्यास ने भी अपने महाकाल पंचांग में स्पष्ट शब्दों में उन्होंने निर्णय दिया है कि खंड का चंद्रग्रहण 8 नवंबर 2022 को है। भारत में अति पूर्व में आंशिक दिखाई देवेगा। अतः हमारे क्षेत्र में इसका पालन करने की आवश्यकता नहीं है जो ग्रहण दिखाई नहीं दे, उसके स्नानदान का पालन करना आवश्यक नहीं है।

उज्जैन के प्रसिद्ध महांकाल पंचांग में दिया गया निर्णय

कुल्लूका विक्रमादित्य पंचांग

इसी तरह कुल्लूका विक्रमादित्य पंचांग जोकि ज्योतिर्विद भगवती प्रसाद पांडेय द्वारा बनाया जाता है। उसमें भी स्पष्ट रूप से कहा है कि 8 नवंबर 2022 को होने वाला चंद्र संवत 2079 कार्तिक शुक्ला 15 मंगलवार। यह ग्रहण ग्रह स्थित है भारत के कुछ हिस्से में दिखाई देवेगा। उज्जैन में यह ग्रहण छाया पर्व रहेगा जो कि आरंभ 15.40 से प्रारंभ होकर 17.30 पर पूर्णा होगा। अतः इसके स्नान दान नियम के पालन की विशेष आवश्यकता नहीं है।

कुल्लूका विजय पंचांग में दिया गया निर्णय

बहकावे में ना आए आमजन

ज्योतिषाचार्य पंडित ओझा ने चर्चा में बताया कि कुछ जानकार लोग ग्रहण के बारे में भ्रांतियां उत्पन्न कर रहे हैं आमजन उनके बहकावे में ना आएं ग्रहण का कोई नियम पालन करना नहीं है। ग्रहण का प्रभाव भी नहीं है तो उसके नियम का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। जब ग्रहण ही नहीं है तो वेध (सूतक काल) भी औचित्य पूर्ण नहीं है।

यहां पर रहेगा पूर्णचंद्र

ग्रहण उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी प्रशांत महासागर, हिन्द महासागर में दृश्य होगा। भारत के पूर्वी भाग (कोलकाता, कोहिमा, पटना, पुरी, रांची, इम्फाल आदि) में चन्द्रोदय पूर्णता समय सायं 5:12 बजे से पूर्व होने कारण पूर्ण आंशिक चन्द्रग्रहण देखा जा सकेगा। शेष सम्पूर्ण भारत में चन्द्रोदय की स्थिति के अनुसार आंशिक चन्द्रग्रहण ही दृश्य होगा।

जब चंद्र का उदय ही नहीं होगा तो फिर ग्रहण असर भी नहीं

यह तो सर्वविदित है कि चंद्र ग्रहण चंद्रमा को लगता है और सूर्य ग्रहण सूर्य को। जब चंद्र का उदय ही नहीं होगा तो भी ग्रहण कैसा लगेगा। उसका असर कैसे होगा। सोचने वाली बात हैं।

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