सूचना के अधिकार में अफ़सरशाही हावी : जानकारी छुपाने में चले जाते हैं जुर्माने की हद तक अधिकारी, आयुक्तों ने लगाया 3 करोड़ 12 लाख जुर्माना
⚫ मप्र में 222 अफ़सरों ने सूचना देने से कन्नी काटी
⚫ सूचना के अधिकार में जानकारी चाहने वालों को करते हैं गुमराह
हरमुद्दा
नई दिल्ली, 12 नवंबर। सूचना के अधिकार कानून को कुचलकर उसका मखोल उडाने में देश के नौकरशाह और अफ़सर मौका नही छोड़ते हैं। ऐसे लापरवाही अफसरों पर सूचना आयोग पेनल्टी का चाबुक चलाता रहता है। सूचना के अधिकार क्षेत्र में लापरवाही बरतने के मामले में दिल्ली की एक संस्था सतर्क नागरिक संगठन ने कुछ आंकड़े उजागर किए है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि अफ़सर जानकारियों को छुपाने के लिए जुर्माना की हद तक चले जाते हैं। आयुक्तों ने ऐसे अधिकारियों पर 3 करोड़ 12 लाख जुर्माना लगाया है। खास बात यह है कि केवल मध्यप्रदेश में ही 222 अफसरों ने सूचना देने से कन्नी काटी है।
सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा अफसरों पर जुर्माना सूचना आयुक्त राहुल सिंह की कोर्ट के द्वारा लगाया गया है। मध्य प्रदेश में ऐसे जानकारी छुपाने वाले 222 अधिकारियों पर पेनल्टी लगाई गई है, जिसके तहत 47 लाख 50 हजार जुर्माने का आंकड़ा सामने आया है। हालांकि कई अफसर सूचना आयुक्त की मेहरबानी से बच भी रहे हैं। वहीं संवेदनशील सूचना आयुक्त दंड दिये बगैर नहीं छोड़ रहे हैं। सूचना अधिकार कानून मे यदि किसी आवेदक को जानबूझकर जानकारी नहीं दी जाती है, उसमें अड़चन या बाधा उत्पन्न की जाती है तो अधिनियम की धारा 20(1) के तहत संबंधित अधिकारी पर जुर्माना किया जाता है।
अफ़सर जानकारी की ग़लत व्याख्या कर करते हैं गुमराह
इन दिनों देखने में आ रहा है लोक सूचना अधिकारी अधिनियम की एक प्रतिबंधात्मक धारा 8 का दुरुपयोग करने से नहीं चूक रहे हैं। इस धारा में कुछ जानकारियों को प्रकट करने से प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन लोक सूचना अधिकारी इस धारा के कुछ उपबंध की गलत व्याख्या कर जानकारी को छुपाने का प्रयास करते हैं। जब भी कोई आवेदक आवेदन प्रस्तुत करता है। अधिकारी इस धारा का संदर्भ देकर जानकारी देने से मना कर देते हैं।
जुलाई 21 से जून 22 तक 5805 अफसरों पर हुई जुर्माने की कार्रवाई
इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में 1 जुलाई 2021 से 30 जून 2022 तक 5805 अफसरों पर पेनल्टी हुई। पेनल्टी के तहत सूचना अधिकारी से 1 दिन के विलंब पर 250 रुपये जुर्माना किया जाता है। अधिकतम यह राशि र 25 हज़ार तक की जा सकती है। यह राशि अधिकारी को अपनी जेब से ही जमा कराना होती है। सतर्क नागरिक संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 1 वर्ष में यह राशि दोषी अधिकारियों से बतौर पेनल्टी 3 करोड़ 12 लाख 1 हजार 350 रुपए लगाई गई। देशभर के इन आंकड़ों में झारखंड, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, त्रिपुरा पांच प्रांतों के आंकड़े शामिल नहीं है।