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रतलाम की साहित्य परंपरा को मिला सम्मान : पहली बार रतलाम के युवा से वरिष्ठ साधकों को मिला मान, शहर उत्पादों से नहीं, साहित्य उपासकों से आज भी पहचान

⚫ रतलाम की पहचान रही साहित्य, संस्कृति और सद्भाव के लिए

⚫ रतलाम के साहित्य ने देश भर में बनाई अपनी पहचान

⚫ राष्ट्रीय फ़लक़ पर रतलाम का नाम  लिया जाता रहा सदैव गौरव के साथ

⚫ तब्दीलियां रतलाम की सृजन प्रक्रिया को नहीं कर पाई प्रभावित

हेमंत भट्ट
रतलाम, 4 दिसंबर। रतलाम की इस पुण्य उर्वरा भूमि ने सुधि साहित्यकारों, कवि, मनीषी, चिंतक, वेद मर्मज्ञ, कहानीकार, रंगकर्मी आदि व्यक्तित्वों को गढ़ा है। रतलाम की पहचान साहित्य, संस्कृति और सद्भाव के लिए रही है। रतलाम के साहित्य ने देश भर में अपनी पहचान बनाई और राष्ट्रीय फ़लक़ पर रतलाम का नाम सदैव गौरव के साथ लिया जाता रहा।


यह उस दौर के साहित्य की ताक़त ही है कि आज भी देश में स्तरीय एवं प्रभावी साहित्य की जब चर्चा होती है तो उसमें रतलाम का नाम अवश्य शुमार होता है। बदलते वक़्त के साथ साहित्य एवं कला के क्षेत्र में भी कई तब्दीलियां आईं। ये तब्दीलियां रतलाम की सृजन प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकीं। व्यवसायिक दौड़ ने रतलाम की पहचान को बदलने की कोशिश अवश्य की मगर आज भी साहित्य से ही रतलाम को पहचाना जाता है। यह शहर उत्पादों से नहीं, साहित्य उपासकों से आज भी पहचाना जाता है।
मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा हाल ही में घोषित अकादमी पुरस्कारों के लिए पहली बार रतलाम को यह गौरव हासिल हुआ है कि यहां के साहित्यकारों को अकादमी द्वारा स्थापित पुरस्कार प्राप्त हुए। इन्हें न सिर्फ़ पुरस्कार प्राप्त हुए बल्कि इन पुरस्कारों ने यहां के युवा से लेकर वरिष्ठ साहित्यकारों के अवदान को रेखांकित भी किया।

आशीष दशोत्तर

आशीष दशोत्तर

साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा वर्ष 2018 के लिए घोषित पुरस्कारों में प्रादेशिक शरद जोशी व्यंग्य सम्मान युवा साहित्य का आशीष दशोत्तर को प्रदान करने की घोषणा की गई । यह उल्लेखनीय है कि श्री दशोत्तर रतलाम में ही जन्मे और रतलाम ही उनकी कर्मभूमि रहा। उनकी लेखनी ने नई पीढ़ी को प्रेरित भी किया। श्री दशोत्तर को मिला सम्मान रतलाम के समस्त युवा वर्ग के प्रतिनिधित्व को सम्मानित करता है।

डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला

डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला

अकादमी द्वारा वर्ष 2020 के घोषित पुरस्कारों में कविता का श्री कृष्ण सरल प्रादेशिक पुरस्कार वेद मर्मज्ञ एवं संस्कृत के विद्वान डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला को प्रदान करने की घोषणा की गई । वैदिक ऋचाओं का काव्य अनुवाद करने वाले डॉ. चांदनीवाला धार जिले में जन्मे मगर रतलाम उनकी कर्मभूमि रहा। वे आज भी निरंतर सृजनरत हो कर रतलाम को गौरवान्वित कर रहे हैं।

प्रोफ़ेसर अज़हर हाशमी

प्रोफ़ेसर अज़हर हाशमी


वरिष्ठ कवि, साहित्यकार एवं प्रवचनकार प्रोफ़ेसर अज़हर हाशमी को वर्ष 2021 के लिए अकादमी द्वारा राष्ट्रीय निर्मल वर्मा संस्मरण पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई । हाशमी जी राजस्थान के झालावाड़ जिले में जन्मे ज़रूर लेकिन रतलाम ही उनकी कर्मभूमि रहा और रतलाम को उनके सृजन ने सदैव गौरव दिलवाया।

राजेंद्र उपाध्याय

राजेंद्र उपाध्याय

रतलाम के सैलाना में जन्मे एवं वर्तमान में दिल्ली में निवासरत राजेंद्र उपाध्याय को वर्ष 2018 के राष्ट्रीय विष्णुकांत शास्त्री यात्रा वृत्तांत पुरस्कार से सम्मानित करने की साहित्य अकादमी द्वारा घोषणा की गई । श्री उपाध्याय की रचनाओं में रतलाम की आवाज़ सदैव मुखर होती रही है।

प्रतीक सोनवलकर

प्रतीक सोनवलकर

कवि एवं व्यंग्यकार पिता डॉ. दिनकर सोनवलकर के सुपुत्र प्रतीक सोनवलकर को  साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2018 का प्रादेशिक श्री कृष्ण सरल कविता पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई। श्री सोनवलकर ने भी जावरा एवं रतलाम में रहकर रतलाम अपनी साहित्य साधना को नई ऊंचाइयां प्रदान की।
इस प्रकार साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश द्वारा चार वर्षों के लिए घोषित साहित्य पुरस्कारों में रतलाम को दो राष्ट्रीय एवं तीन प्रदेशिक पुरस्कार प्राप्त होना रतलाम की गौरवमयी परंपरा, यहां की साहित्य साधना एवं यहां के साहित्य के सम्मान को परिलक्षित करता है।

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