खरी खरी : धन्ना सेठों के अतिक्रमण मान्य, करोड़ों की जमीन पर उनका कब्जा, प्रशासन नहीं दिखा पाया हिम्मत, हौसला और जज्बा, आमजन की चुनौतियों में प्रशासन फेल

जिला प्रशासन को चुनौती देता चांदनी चौक, चौमुखी पुल, कसारा बाजार, लोपखाना का अतिक्रमण

⚫ लोगों का तो यह मानना है कि चीता फोर्स की तरह ही यातायात विभाग का अतिक्रमण के लिए भी फोर्स होना चाहिए। वह दिन भर घूमता रहे और जहां पर अतिक्रमण नजर आए, वहां वीडियोग्राफी करते हुए उन पर सख्त कार्रवाई करें, ताकि शहर को अतिक्रमण के माध्यम से बदसूरत बनाने वाले दुकानदारों को सबक मिल सके। तीन बार हद पार करने वाले दुकानदार की दुकान को सील करने का भी प्रावधान होना चाहिए, तभी दुकानदार सुधरेंगे। शहर का सुधार होगा। सुंदरता को होगी।⚫

हेमंत भट्ट

लगभग 1 माह पहले जिला प्रशासन का अमला शहर में अतिक्रमण देखने और हटाने के लिए निकला तो शहरवासियों ने काफी हौसला अफजाई की। आम लोगों का यही मानना था कि यातायत सुविधा की दृष्टि से यह बहुत आवश्यक है। दुकानदारों ने अतिक्रमण की अति कर दी है। सुगम यातायात शहर की बहुत बड़ी जरूरत है। तभी सोशल मीडिया पर लोगों ने यह भी कहा था कि क्या प्रशासन अतिक्रमण की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए चौमुखी पुल व चांदनी चौक क्षेत्र में भी वही हश्र करेगा जो अन्य क्षेत्रों में कर रहा है। मगर आम जनता की चुनौतियों पर प्रशासन का हौसला जज्बा पस्त हो गया। जब देखा कि चौमुखी पुल चांदनी चौक क्षेत्र में धन्ना सेठों द्वारा किए गए अतिक्रमण को मान्य कर दिया गया जबकि उन्होंने करोड़ों की सरकारी जमीन पर कब्जा जमाया हुआ है। मार्ग के दोनों और 10 से 15 फीट लोगों का अतिक्रमण है। यदि नपती की जाए तो ज्यादा भी हो सकता है। सबको नजर आ रहा है, सिवाय जिला प्रशासन के। आखिरकार वही हुआ प्रशासन यहां पर धृतराष्ट्र बन गया।

शहर में जब अतिक्रमण मुहिम शुरू हुई थी, तब जोर शोर से कहा गया था कि न किसी के प्रभाव में न किसी के दबाव में अतिक्रमण हटाया जाएगा मगर कुछ दिन बाद ही वह सभी दावे और वादे झूठे साबित होना शुरू हो गए हैं। सोशल मीडिया पर शहर के जागरूक लोगों ने आशंका व्यक्त की थी कि क्या प्रशासन चांदनी चौक और चौमुखी पुल क्षेत्र में भी इसी जज्बे के साथ अतिक्रमण हटाएगा जो अतिक्रमण आज तक कोई नहीं हटा पाया है। जागरूक शहर वासियों ने ताल ठोक के कहा था कि चौमुखी पुल का अतिक्रमण सालों से है वैसे ही चांदनी चौक में भी अतिक्रमण है। इसको हटाने में यदि प्रशासन जागरूकता दिखा सकता है तो ही माना जाएगा कि शहर में अतिक्रमण मुहिम बिना किसी दबाव और बिना किसी प्रभाव के चल रही है।

जागरूक लोगों की भावनाओं पर एक नजर

आपराधिक लोगों की तरह इनके भी तोड़े जाने चाहिए अतिक्रमण

मगर आम जनता की कसौटी पर प्रशासन इस मामले में खरा नहीं उतर पाया है। लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से आपराधिक लोगों के अतिक्रमण को ध्वस्त किया है, उसी तरह से इन लोगों के अतिक्रमण को भी ध्वस्त करना चाहिए चाहे वह पक्के हो या कच्चे। अतिक्रमण तो अतिक्रमण हैं। आखिर आखिर प्रशासन ने धन्ना सेठों के सामने घुटने किस दबाव और किस प्रभाव में टेक दिए हैं। यह सभी जानते हैं। दबी जबान में सब लोगों का यही कहना है कि यदि बनियों के अतिक्रमण को तोड़ दिया तो फिर विधानसभा चुनाव जीतने में दिक्कत आ जाएगी। चुनाव जीतने के कारण ही अतिक्रमण को बढ़ावा दिया जा रहा है जबकि अन्य क्षेत्रों में धड़ल्ले से अतिक्रमण तोड़े जा रहे हैं।

वह केवल और केवल शहर द्रोही के अलावा कुछ नहीं

यहां तक की जब जब प्रशासन ने क्षेत्रों में भ्रमण किया और अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए तो उसके पहले ही लोगों ने अपने अतिक्रमण हटाना शुरू कर दी है लेकिन तोपखाना, नोलाईपुरा, घांसबाजार क्षेत्र में दुकानदारों की सेहत पर कोई असर नहीं है। घास बाजार में तो कहने की फोरलेन बनाने के बावजूद भी फोरलेन की सुविधा शहर के लोगों को नहीं मिल रही है। प्रशासन इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर कार्रवाई करने में असफल साबित हुआ है। यहां के लोग बेशर्मी के साथ दोनों ओर 15 से 20 फीट तक अतिक्रमण को बढ़ाकर यातायात बाधित कर रहे हैं। ऐसे लोगों का शहर से कोई सरोकार नहीं है। वह केवल और केवल शहर द्रोही के अलावा कुछ नहीं है। ऐसे बेशर्म अतिक्रमणकारियों पर तो कठोर से कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए, तभी प्रशासन सही मायने में अतिक्रमण हटाने में दमदार साबित होगा।

जहां दुकानदारों को बताई है हद, उसे पार कर फिर से काबिज हो रहे हैं उसी जगह पर

शहर के व्यस्ततम क्षेत्र में एक पखवाड़े पहले जहां से अतिक्रमण हटाया था। लोगों को अपनी हद में रहना सिखाया था। वह पुनः हद को पार करते हुए अपने पैर पसारने लगे हैं। इस पर किसी की नजर नहीं है। नहीं ऐसे अतिक्रमणकारियों में प्रशासन का खौफ है। लोगों का तो यह मानना है कि चीता फोर्स की तरह ही यातायात विभाग का अतिक्रमण के लिए भी फोर्स होना चाहिए। वह दिन भर घूमता रहे और जहां पर अतिक्रमण नजर आए, वहां वीडियोग्राफी करते हुए उन पर सख्त कार्रवाई करें, ताकि शहर को अतिक्रमण के माध्यम से बदसूरत बनाने वाले दुकानदारों को सबक मिल सके। तीन बार हद पार करने वाले दुकानदार की दुकान को सील करने का भी प्रावधान होना चाहिए तभी दुकानदार सुधरेंगे। शहर का सुधार होगा। सुंदरता को होगी।

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