मुद्दा सम्मेद शिखर जी पर सरकार द्वारा पर्यटन स्थल एवं वन्य प्राणी अभ्यारण बनाने का : भारत का कोई भी सभ्य समाज इन योजनाओं को नहीं करेगा स्वीकार
⚫ धार्मिक स्थलों पर मिलेगा मांस, मदिरा और पांच सितारा संस्कृति को बढ़ावा
⚫ धार्मिक तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर विधिक प्रक्रिया द्वारा रोकने की करेंगे कार्रवाई
हरमुद्दा
रतलाम, 14 दिसंबर। तीर्थ हमारी संस्कृति और समाज उत्थान के केंद्र होते हैं। तीर्थो की पवित्रता को खत्म नहीं किया जाना चाहिए। पर्यटन स्थल घोषित करने से धार्मिक स्थलों पर मांस, मदिरा और पांच सितारा संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। सम्मेद शिखर जी पर सरकार द्वारा पर्यटन स्थल एवं वन्य प्राणी अभ्यारण जैसी अधिसूचना का सख्त विरोध कर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट्स के माध्यम से विधिक कार्यवाही की जाएगी।
सद्भावना प्रकोष्ठ अध्यक्ष एडवोकेट सुनील पारिख ने हरमुद्दा को बताया कि तीर्थ अहिंसा के केंद्र होते हैं। यहां पर सरकारी योजनाओं के कारण मांस मदिरा और पांच सितारा संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे कि धार्मिक आस्थाओं पर कुठाराघात होगा। भारत का कोई भी सभ्य समाज इन योजनाओं को स्वीकार नहीं करेगा।
लगाना चाहिए वहां पर प्रतिबंध
श्री पारिख ने कहा कि पवित्र सम्मेदशिखर सहित देेश के सभी धार्मिक स्थलों को सरकार ने पवित्र स्थल घोषित किया है। वहां पर शराब, मांसाहार सहित सभी व्यसनों पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए अथवा पवित्र शब्द को हटा देेना चाहिए, साथ ही पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करना भी गलत है।
धर्मस्थल और पर्यटन स्थल में होना चाहिए अंतर
शहर कांग्रेस अध्यक्ष एवं जैन समाज के प्रमुख महेंद्र कटारिया, परिवहन प्रकोष्ठ के अध्यक्ष कमलेश मोदी, सामाजिक कल्याण प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पवन जैन, विधि प्रकोष्ठ के सुनील जैन एडवोकेट, वरिष्ठ अभिभाषक शीतल गेलड़ा, एडवोकेट पंकज बीलाला, उद्योगपति संजय कोठारी, एडवोकेट सुनीता छाजेड़, समाजसेवी सुभाष सुराणा, व्यवसाई वैभव पारिख ने संयुक्त रूप से बताया कि महापुरूषों के त्याग और साधना के पवित्र स्थल को पर्यटन के रूप में परिवर्तन करना धर्म और सिद्धांतों को पेरो तले कुचलने के समान है। धर्मस्थल और पर्यटन स्थल में अंतर होना चाहिए।
धर्मस्थल को अमोद-प्रमोद और विलासिता के रूप में प्रस्तुत करना अक्षम्य अपराध
धर्मस्थल को अमोद-प्रमोद और विलासिता के रूप में प्रस्तुत करना अक्षम्य अपराध है, जो गुलामी राज्य में नहीं हुआ वह लोकतंत्र की दुहाई देने वाली सरकार कर रही है। यह आध्यात्मिक संस्कृति को नष्ट करने का षडय़ंत्र है। श्री पारिख सहित सभी गणमान्य ने केंद्र और राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने की घोषणा वापस ले अन्यथा विधिक प्रक्रियाओं को अपनाकर पर्यटन स्थल की घोषणा वापस लेने के लिए कार्रवाई की जाएगी।