संस्कृति के विविध रंग : उड़ीसा की “धनु यात्रा” विश्व का सबसे बड़ा खुला थिएटर, 11 दिनों में पूरी तरह कंस के आदेशों पर ही चलता बरगढ़, उड़ीसा के मुख्यमंत्री भी हुए थे कंस के दरबार में हाजिर

⚫ धनु यात्रा का यह वर्तमान स्वरूप आजादी के 1948 में मजदूर वर्ग ने किया शुरू

⚫ बरगढ़ की जीरा नदी को मानते हैं यमुना नदी

⚫ कई राज्यों के कलाकार करते हैं लोक कला का प्रदर्शन

⚫ विभिन्न राज्यों की सामग्रियों की लगाई जाती है प्रदर्शनी

हरमुद्दा के लिए रेनू अग्रवाल

उड़ीसा राज्य के बरगढ़ जिले में होने वाली धनु यात्रा को विश्व का सबसे बड़ा खुला थिएटर माना जाता है। यह खुले थियेटरों का एक समूह है। जिसमें अलग-अलग तरह के कई जगहों पर एक साथ कई तरह के कार्यक्रम चलते हैं। ऐसी मान्यता है कि धनु यात्रा का यह वर्तमान स्वरूप आजादी के 1948 में मजदूर वर्ग द्वारा शुरू किया गया था। यह त्यौहार स्वतंत्रता और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया जाता है। इस बार यह उत्सव 27 दिसंबर से शुरू हुआ है और 6 जनवरी 2023 तक चलेगा। इस वर्ष इस महोत्सव को 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे। बुराई के खिलाफ अच्छाई की जीत के रूप में ‘धनु यात्रा’ महोत्सव मनाया जाता है। वर्ष 2014 में केंद्रीय संस्कृति विभाग 11 दिवसीय ‘धनु यात्रा’ को राष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दे चुकी है और इसे ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया है।

कंस का दरबार और बहन देवकी की कैद

अच्छे काम वाले पुरस्कृत और बुरे काम वाले होते दंडित

गोकुल में बालकृष्ण का नटखटपन चलता रहता है और दूसरी तरफ कंस महाराज का शासन चलता है। यह पूरे 11 दिन चलता है। इन 11 दिनों में बरगढ़ में पूरी तरह कंस के आदेशों पर ही चलता है। कंस हाथी पर सवार होकर घूम-घूम कर अपने राज्य का मुआयना करता है। अच्छे काम करने वाले पुरस्कृत और बुरे काम करने वाले दंडित भी होते हैं।

हाथी भर घूमता हुआ कंस

अत्याचारी राजा कंस साम्राज्यवादी ब्रिटिश सरकार का प्रतीक होता था और भगवान श्री कृष्ण लोगों की राष्ट्रवादी आकांक्षा के लिए खड़े दिखाई देते हैं। इसमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर आधारित नाट्य मंचन किया जाता है। श्री कृष्ण धरती पर जन्म लेकर गोपपुर में माता यशोदा के पास किस तरह से रहते हैं और दूसरी तरफ माता देवकी के भाई कंस के दुर्नीति मथुरा राज्य में कैसे चलता था। साथ ही उसे रोकने के लिए श्री कृष्ण मथुरा में आकर बड़े होकर कंस राजा को कैसे मार कर अपनी प्रजा को मुक्ति दिलाई थी।

कंस का वध करते हुए कृष्ण

धनु यात्रा को कोई स्टेज में नहीं बल्कि एक ओपन स्टेज में दिखाया जाता

साधारण तौर पर किसी नाटक को स्टेज में दिखाया जाता है, पर धनु यात्रा को कोई स्टेज में नहीं बल्कि एक ओपन स्टेज में दिखाया जाता है। यानी कंस के दरबार में कंस रहता है और मथुरा गाँव दूसरी जगह में बनाया जाता है और बरगढ़ के जीरा नदी को यमुना नदी माना जाता है। यानि सच में दृश्य जैसा होना चाहिए वैसा रचा जाता है।

उड़ीसा के मुख्यमंत्री भी हुए थे कंस के दरबार में हाजिर

एक बार धनु यात्रा के समय कंस ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री स्वर्गीय बीजू पटनायक को अपने दरबार में हाजिर होने का फरमान जारी कर दिया था। बीजू पटनायक ने हाजिरी भी लगाई थी। यह कुल 8 किलोमीटर के दायरे में फैला होता है।

देशभर के कलाकार प्रदर्शित करते हैं लोक कला

इस पर्व में पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों के लोक कलाकार सम्मिलित होकर अपने-अपने लोक कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। अनेक राज्यों के प्रसिद्ध वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई जाती है। लाखों की संख्या में यहाँ दर्शक जुटकर मेले का लुत्फ उठाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *