नववर्ष का हर्षोल्लास अभी थमा भी न था, घर की कर्मकाजी पुत्री की दर्दनाक गूंगी चीखें सड़क पर गूँज गईं

⚫ डॉ. नीलम कौर

नववर्ष की आती अल सुबह
इंसानी वहशत का मंजर था
मर्द नशे में चूर,नारी का दमन  था
नववर्ष का हर्षोल्लास
अभी थमा भी न था
घर की कर्मकाजी पुत्री
की दर्दनाक गूंगी चीखें
सड़क पर गूँज गईं

मर्द तो थे नशे में चूर
मगर लगा सो सरकार
भी रही थी
न कोई खाकी तंत्र
न कोई खुफिया तंत्र
न संरक्षक बेटियों की
सुरक्षा के
ऐसा लगा सारी
सरकारी घोषणाएं
थीं खोखली
तभी तो वो बच्ची
दरिंदगी की शिकार हो गई

होना तो चाहिए
मंत्रालय और पुलिस थाने
ही खतम
कर देनें चाहिए
या मंत्रियों और थानाध्यक्षों को
नैतिकता के नाते
स्तीफा दे देना चाहिए

होगा मगर कुछ भी नहीं
बस कागजों के घोड़ो पर
शब्दों के सवार दौड़ेंगे
कुछ दिन चलकर थक जाऐंगे
फिर फाईलों में सो जाऐंगे
ये मंत्री और अधिकारी
वैसे ही मोटी रकम ओ’
पदों पर कायम रहेंगे।

⚫ डॉ. नीलम कौर

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