मुद्दे की बात : नियम के चलते कई नामांतरण रुके, जमीन के सौदे पड़ रहे खटाई में, शहर में निजी रोटेशन और रोजगार पर भी असर

⚫ पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा ने मुद्दा उठाते हुए दी कलेक्टर को राहत देने की सलाह

हरमुद्दा
रतलाम, 24 जनवरी। जिले में 1956- 57 के रिकॉर्ड अनुसार नामांतरण के नियम के चलते कई नामांतरण रुके पड़े हैं। इसका असर शहर में निजी प्रोजेक्ट पर आ रहा है। खास बात तो यह कि 1958 से 62 तक के शासकीय रिकॉर्ड भी मौजूद नहीं है। नामांतरण नहीं होने से जमीनों के सौदे खटाई में पड़ रहे है। नगदी के रोटेशन और रोजगार में भी प्रभावित हो रहा है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा ने इस मुद्दे को जनहित में उठाते हुए कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी से नियम में राहत देकर आम जनता की परेशानी को दूर करने की बात कही है।

शैलेंद्र डागा

तो नहीं किए जा रहे उनके नामांतरण

पूर्व महापौर डागा ने बताया कि रतलाम जिले में पिछले कुछ समय से जमीनों के विक्रय के बाद होने वाले नामांतरण में 1956- 57 के रिकॉर्ड को आधार बनाया जा रहा है। 56- 57 के रिकॉर्ड में यदि जमीन शासकीय दर्ज है तो उस जमीन के नामांतरण नहीं किए जा रहे हैं, भले ही इसके बाद के रिकॉर्ड में जमीन निजी नाम से दर्ज हो, फिर भी 56-57 के रिकॉर्ड को आधार बनाकर नामांतरण निरस्त हो रहे हैं।

1958 से 62 का शासकीय रिकॉर्ड भी नहीं मौजूद

श्री डागा ने बताया कि 58 से 62 का शासकीय रिकॉर्ड भी मौजूद नहीं है, ऐसे में भी आम जनता को काफी परेशानी आ रही है। श्री डागा के अनुसार 56 -57 के रिकार्ड के आधार पर नामांतरण का नियम सिर्फ रतलाम जिले में ही शुरू किया गया है। पूर्व में इस तरह का कोई नियम लागू नहीं था। प्रदेश के अन्य जिलों में भी यह नियम लागू नहीं है और जमीनों के नामांतरण किए जा रहे हैं।

नामांतरण नहीं होने से जमीनों के सौदे खटाई में

श्री डागा ने बताया कि इस नियम के चलते कई जमीनों के नामांतरण रुक गए हैं। इसका असर निजी प्रोजेक्ट और जमीनों के क्रय-विक्रय पर भी आ रहा है। नामांतरण नहीं होने से जमीनों के सौदा खटाई में पड़ गए हैं। इसका असर नगदी के रोटेशन और रोजगार में भी आ रहा है। श्री डागा ने कलेक्टर सूर्यवंशी से इस नियम में राहत देकर आम जनता की परेशानी दूर करने की बात कही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *