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साहित्य सरोकार : शहर की साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों को साझा करने वाला शहर के लिए महत्वपूर्ण है यह रचनात्मकता प्रयास

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⚫ ‘सुनें-सुनाएं’ में अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का हुआ पाठ

हरमुद्दा
रतलाम, 5 फरवरी। किसी शहर की रचनात्मकता ही उसे जीवंत रखती है । व्यावसायिक प्रतिमान तो कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं लेकिन लोगों की रचनात्मक एवं कलात्मक रुचियां ही शहर को भविष्य में एक पहचान दिलाती है । इस महत्वपूर्ण उद्देश्य के साथ शहर में रचनात्मक वातावरण को बढ़ाने के लिए निरंतर जारी प्रयास ‘सुनें-सुनाएं’ का पांचवा सोपान रविवार को जी.डी. अंकलेसरिया  रतलाम पर हुआ। उपस्थितजनों ने इस आयोजन को लेकर शहर में बनते रचनात्मक वातावरण और इसके माध्यम से पढ़ने लिखने वाले लोगों को एक साथ बैठने एवं साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों को साझा करने के प्रयासों को शहर के लिए महत्वपूर्ण निरूपित किया।

उत्साह एवं सलीके ने आयोजन की सार्थकता को किया पुष्ट

आयोजन में शहर के रचनात्मक लोगों की महत्वपूर्ण उपस्थिति और अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं को प्रस्तुत करने वाले सुधिजनों के उत्साह एवं सलीके ने आयोजन की सार्थकता को पुष्ट किया। आयोजन में रचनाकारों ने अपने प्रिय रचनाकारों की महत्वपूर्ण रचनाओं का पाठ कर उनसे जुड़े संदर्भों पर विमर्श किया।

इन्होंने किया रचना पाठ

साहित्य प्रेमी दुष्यंत व्यास श्री गोपाल दास नीरज की कविता का पाठ करते हुए

शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ाने तथा साहित्यिक- सांस्कृतिक रुझान रखने वाले लोगों को एक साथ बैठकर विमर्श करने का अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रारंभ किए गए ‘सुनें -सुनाएं’  आयोजन के पांचवें सोपान में महत्वपूर्ण रचनाओं का पाठ किया गया। आयोजन में तुषार पुरोहित द्वारा ज़ाकिर खान की कविता ‘ मैं शून्य पर सवार हूं ‘ का पाठ, जुझार सिंह भाटी द्वारा श्री सुरेश प्रवासी की रचना का पाठ, भावेश ताटके द्वारा रामधारी सिंह ‘दिनकर’की रश्मिरथी के काव्यांश का पाठ, इन्दु सिन्हा द्वारा हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘जो बीत गई सो बात गई ‘का पाठ, मयूर व्यास द्वारा मंगलेश डबराल की कविता ‘पिता’ का पाठ, दुष्यंत व्यास द्वारा गोपाल दास नीरज की कविता ‘जीवन नहीं मरा करता है’ का पाठ, श्याम सुन्दर भाटी द्वारा ताहिर फ़राज़ की रचना ‘मां’ का पाठ, ग़ुलाम ग़ौस शिरानी द्वारा साहिर लुधियानवी की ‘जश्ने ग़ालिब’ नज़्म का पाठ किया गया। सुप्रसिद्ध चित्रकार अफजल के भाई शरीफ़ ख़ान, देवास ने राहत इंदौरी की ग़ज़लों को प्रस्तुत किया।

यह थे मौजूद

आयोजन में  योगिता राजपुरोहित, जिनेंद्र जैन, विनोद संघवी, सुशील छाजेड़, गुस्ताद अंकलेसरिया, सोहराब अंकलेसरिया, विनोद झालानी, सुरेश बरमेचा, कैलाश व्यास, युसूफ जावेदी, विष्णु बैरागी, मुस्तफा आरिफ, आई. एल. पुरोहित, सुशीला कोठारी, पूजा बावरिया, माणिक व्यास, नीरज कुमार शुक्ला, पद्माकर पागे, श्रेणिक बाफना, डॉ. सतीश अग्रवाल, प्रकाश मिश्रा, डॉ. मोहन परमार, महावीर वर्मा, आशीष दशोत्तर ने भी अपनी सहभागिता की।

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