“देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान ! कितना बदल गया इंसान”

⚫ प्रदीपजी की रचनाएं फिल्मी गीत नहीं बल्कि लोकगीत जैसी अमर रचनाएं : शरद जोशी

⚫ कवि प्रदीप की सुपुत्री मितुल प्रदीपजी ने मुंबई से दूरभाष पर  गीत प्रस्तुत कर दी भावांजलि

हरमुद्दा
रतलाम, 7 फरवरी। शिवमंगलसिंह सुमन स्मृति शोध संस्थान में कवि एवं  सुप्रसिद्ध गीतकार प्रदीप जी की जयंती पर उनके गीतों पर केंद्रित गोष्ठी में मुख्य आतिथ्य प्रदान कर रहे सुप्रसिद्ध पत्रकार शरद जोशी ने भावपूर्ण हृदय से प्रदीपजी को याद करते हुए उनके संस्मरण बहुत डूब कर भीगे मन से सुनाते सुनाते आंखे भीग गई। कई सारे चित्रों को उन भीगी यादों को शरद जोशी ने उनके गीतों के साथ उकेरते हुए प्रदीप जी के जीवन व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

प्रदीपजी की जन्म जयंती के अवसर पर श्री जोशी ने भावपूर्ण हृदय से प्रदीप जी की सुपुत्री मितुल दीदी को याद किया। दूरभाष पर अपने साथ आयोजन में उनकी उपस्थिति दर्ज करवाते हुए मितुल दीदी ने प्रदीपजी को याद करते हुए भावपूर्ण बधाई प्रेषित करते हुए उनके गीतों की प्रस्तुति दी।

शब्द और स्वर का संगम

कार्यक्रम में मौजूद मुस्तफा आरिफ एवं वरिष्ठ पत्रकार शरद जोशी

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पंडित मुस्तफा आरिफ़ ने प्रदीप जी की जयंती एवं लताजी की पुण्यतिथि पर सम्बोधित करते हुए कहा कि आज शब्द और स्वर का संगम है। आज शब्द अवतरित होकर स्वर के साथ प्रयाण कर गया। आज के गीत पेरिसिबल आइटम हैं और प्रदीप जी की रचनाएं अमर रचनाएं हैं सृष्टि के अंत तक चलने वाली अमर रचनाएं है । पंडित मुस्तफा ने अपनी भावाभिव्यक्ति ‘कभी कभी खुद से बात करो, और अपनी नजर में तुम क्या हो ये मन की तराजू पर तोलो ‘ के साथ प्रदीप जी का गीत किये जा तू जग में भलाई के काम तेरे दुख दूर करेंगे राम गीत प्रस्तुत किया।

गीतों की प्रस्तुति ने उपस्थित हो का मन मोहा

प्रदीप जी की जयंती और लता जी के पुण्य स्मरण में अपना सारस्वत आतिथ्य प्रदान कर रही डॉ. मंगलेश्वरी जोशी ने प्रदीप जी के गीतों पर अपनी बात रखते हुए लता जी के जीवन व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्ही मेरी पूजा गीत प्रस्तुत किया ।

प्रिया उपाध्याय ने प्रदीप जी की अमर रचना एवं लताजी के अमर स्वर ऐ मेरे वतन के लोगों गीत की प्रस्तुति से  समा बांध दिया । प्रिया ने लता के व्यक्तित्व पर अपनी कविता ‘ संगीत प्रेमियों के लिए गीता और कुरान है लता ! का पाठ किया।

ऐश्वर्या भट्ट ने लता जी का गीत एक प्यार का नगमा है गीत प्रस्तुत किया । अखिल स्नेही ने प्रदीप जी के अमर गीतों पर अपनी बात कहते हुए पिंजरे के पंछी रे गीत प्रस्तुत किया ।

नूतन भट्ट ने प्रदीप जी एवं लता जी के स्वर साधना पर बात करते हुए मेरे रोम रोम में बसने वाले,  गीत की सस्वर प्रस्तुति की ।  रश्मि उपाध्याय ने प्रदीप जी के गीतों की बात करते हुए *कितनी भोली है माँ गीत प्रस्तुत किया। 

हम सभी अंतर्मन से हैं गौरवान्वित

डॉ. शोभना तिवारी ने प्रदीप जी के कालजयी गीतों पर प्रकाश डालते हुए प्रदीप जी की सुपुत्री मितुल दीदी से भेंट के संस्मरण एवं  आज फिर दूरभाष पर उनकी उपस्थिति की भावपूर्ण मन से नरेंद्र शर्मा के सुपुत्र परितोष जी अमृतलाल नागर की सुपुत्री अचला जी एवं मितुल जी से भेंट के भावपूर्ण संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि मालवा की धन्यधरा रतलाम एवं बड़नगर की ऐसी उर्वरा भूमि जिसने कालजयी अमर रचनाकार को जन्म देकर समूचे साहित्याकाश में मालवप्रदेश के रतलाम का नाम प्रदीप जी के गीतों के साथ विश्व मे गूंज रहा है। आज हम प्रदीप जी के वंशज – अंशज शरद जी को अपने बीच पाकर अंतर्मन से गौरवान्वित हो रहे है । रतलाम की पथ-पगडंडी पर प्रदीपजी की पदचाप की अनुगूंज को शरदजी ने अपनी गदगद वाणी से उकेर कर संस्थान को धन्य कर दिया।

यह थे मौजूद

इस अवसर पर आजाद भारती दीपा नागर आरती शर्मा, अनुराधा खरे, डॉ. दिनेश तिवारी, शिवकांता भदौरिया, उषा व्यास आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. शोभना तिवारी ने किया। लक्ष्मण पाठक ने प्रदीप जी की अमर रचनाओं पर अपनी बात कहते हुए दूसरों का दुखड़ा दूर करने वाले गीत के साथ अतिथियों का आभार माना।

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