कब्जा कार्रवाई का दूसरा पहलू : सालों से रहने वाले को कर दिया घरों से बेदखल, आ गए खुले आसमान के नीचे
⚫ जिला प्रशासन ने नहीं दिखाई संवेदना
⚫ उनके ठहराने की होनी चाहिए थी व्यवस्था
⚫ हॉस्पिटल की मशीनें और घरेलू सामान दबा दिया मलबे में
⚫ पत्रकार वार्ता में बताई मसीह समाजजनों ने पीड़ा
हरमुद्दा
रतलाम, 17 फरवरी। मसीही समाज के लोग रात को जिस अपने घर में सोए थे सुबह उठे तो वहां उनका नहीं रहा कुछ ही घंटों में वह जमी दोज कर दिया गया। जिस करोड़ों की जमीन पर प्रशासन ने कब्जा किया, वहां के लोगों के प्रति संवेदना भी नहीं दिखाई, उन्हें छोड़ दिया खुले आसमान के नीचे। उनके लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए थी। कुछ घंटे और रुक जाते तो कुछ नहीं बिगड़ता। हमें व्यवस्था करने का समय भी मिल जाता। आखिरकार हमें स्टे तो मिल ही गया था। अब प्रशासन को मुआवजा देने के साथ ही विस्थापितों को स्थापित करने का कार्य करना चाहिए।
यह पीड़ा बताई पत्रकार वार्ता में मसीह समाज के लोगों ने। सैलाना बस स्टैंड परिसर स्थित फर्स्ट चर्च सीएनआई में रेव्ह सैमसन दास ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि 1886 से हम यहीं पर हैं। सालों पुराना स्कूल है। अस्पताल है। चर्चे है और निवास के मकान हैं। आज तक कुछ नहीं कहा, मगर अचानक प्रशासन को यह सब अवैध अतिक्रमण नजर आया। माना कि निचली अदालत से हमें स्टे नहीं मिला लेकिन हमने हाईकोर्ट में आवेदन कर रखा था और 16 फरवरी को शाम 4 बजे स्टे भी मिल चुका। यदि प्रशासन कुछ सहयोगात्मक रवैया अपनाता तो आज हमारे समाजजनों के घर नहीं टूटते। हमारे समाज जन खुले आसमान के नीचे जीने को विवश नहीं होते। एकाएक उनके सर से छत छीन ली गई। इतना ही नहीं अस्पताल की मशीनें और रहवासियों का सामान मलबे में दबा दिया गया। काफी नुकसान किया।
यहां कर रहे थे सेवा कार्य, पहुंचा मानसिक आघात
पत्रकार वार्ता में समाज सेक्रेटरी योहान चौहान, समाजसेवी गुडविन जोसेफ, सुजाता क्रिस्टी, मयंक क्रिस्टी सहित समाज जन मौजूद थे। रेव्ह सैमसन दास ने बताया कि दशकों से हमारे यहां तो सेवा का कार्य हो रहा है। प्रशासन ने जो कार्रवाई की है। इसके कारण मानसिक आघात पहुंचा है। माना कि समाज के पुराने संचालकों के पास जो कागजात थे, वे हमें मिल नहीं रहे हैं। बस यही हमारी कमी है। सुजाता क्रिस्टी ने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी सुबह-सुबह आ गए और कार्रवाई शुरू कर दी। हमें संभलने का मौका नहीं दिया। ना आदेश दिखाएं ना कुछ। समाज जनों को वहां से हटाया है, तो उनको बसाने की व्यवस्था भी प्रशासन को करनी चाहिए। परिवार अब कहां जाएंगे। सरकार का दायित्व है कि वे कुछ करें। जो नुकसान हुआ है, उसका मुआवजा दिया जाए। विस्थापितों को स्थापित किया जाए। शासन और प्रशासन के खिलाफ हमारा शांतिपूर्वक आंदोलन चलता रहेगा।