सांस्कृतिक सरोकार : परमार (पंवार) राजवंश रत्नमाला पर विमर्श 2 मार्च को
⚫ परमार (पंवार) राजवंश राजपूतों के 36 राजवंशों में से एक
⚫ विगत 15 वर्षों के गहन शोध अध्ययन के उपरांत लिखी गई राजवंश रत्नमाला
हरमुद्दा
रतलाम, 1मार्च। राजा भोज जन कल्याण सेवा समिति रतलाम एवं वनमाली सृजन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में ऐतिहासिक एवं मालवा क्षेत्र के राजवंशीय इतिहास को समेटती महत्वपूर्ण पुस्तक “परमार (पंवार) राजवंश रत्नमाला ” पर केंद्रित विमर्श गोष्ठी का आयोजन दो मार्च सायं 4:30 बजे किया जा रहा है।
मालवा क्षेत्र के राजवंशों के गहन अध्येता ठाकुर नरेंद्रसिंह पवार द्वारा लिखित इस पुस्तक पर विमर्श गोष्ठी, वरिष्ठ भाषाविद एवं कवि डॉ. जयकुमार ‘जलज’ की अध्यक्षता में होगी। समारोह डॉ. जलज के निवास स्थान पर होगा।
परमार (पंवार) राजवंश राजपूतों के 36 राजवंशों में से एक
यह जानकारी देते हुए वनमाली सृजन केंद्र के आशीष दशोत्तर और राजा भोज जनकल्याण सेवा समिति के रामप्रतापसिंह राठौर ने बताया कि परमार (पंवार) राजवंश राजपूतों के 36 राजवंशों में से एक है । इस राज्य वंश का इतिहास भी उतना ही पुराना है जितना कि अन्य राजपूत राजवंशों का । इसी पर केंद्रित एक हज़ार से अधिक पृष्ठों की यह महत्वपूर्ण रत्नमाला श्री पवार द्वारा विगत 15 वर्षों के गहन शोध अध्ययन के उपरांत लिखी गई है। इसमें मालवा के इतिहास पर पहली बार महत्वपूर्ण शोधपरख जानकारियां प्रकाशित हुई है। जिसके अंतर्गत विक्रम संवत के प्रवर्तक चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य और ज्ञान-विज्ञान के विद्वान नरेश महाराजा भोज पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इस विमर्श गोष्ठी में शहर के कई विद्वतजन अपने विचार प्रकट करेंगे।