आंखों देखी : घड़ी में 5:15 बज रहे थे, विद्यार्थियों को मनोयोग से पढ़ा रहे हैं शिक्षक, यह दृश्य बना सीएम राइज स्कूल में, लोकल की तैयारी में ऐसी गंभीरता, इतिहास रचने की तैयारी

⚫ यह सभी विशेषताएं बनाती है खास

⚫ लोकल कक्षाओ की मैराथन तैयारी

⚫ बोर्ड परीक्षा की तैयारी अभी से

हरमुद्दा
रतलाम, 14 मार्च। स्थान : सीएम रईस विनोबा रतलाम। पूरी क्षमता के साथ विद्यार्थी स्कूल आ रहे है और शिक्षक उन्हें मनोयोग से पढ़ा रहे है। घड़ी में 5:15 बजे थे। शिक्षिका हीना शाह के अनुसार इस वर्ष हमें जो विद्यार्थी बोर्ड कक्षाओ में मिले थे, हमने उनके साथ बेहतर रिजल्ट देने हेतु प्रयास किया है परन्तु हम अगले वर्ष बोर्ड कक्षाओ में आने वाले विद्यार्थियों को अभी से तैयार कर रहे है। लोकल की ऐसी तैयारी तो इंटरनेशनल स्कूल में भी शायरी देखने को मिलती होगी। वाकई में शिक्षा के प्रति समर्पित रहते हैं तो इतिहास रचना असंभव नहीं है। वह भी जिले का एकमात्र अंग्रेजी माध्यम के शासकीय स्कूल में।

विद्यार्थियों को मनोयोग से पढ़ाती शिक्षिका

लोकल कक्षाओ की मैराथन तैयारी पर प्राचार्य संध्या वोरा ने हरमुद्दा को बताया कि सीएम राइज बनने के पहले विनोबा स्कूल का बोर्ड परीक्षा परिणाम 10th का 29 प्रतिशत और 12th का 31 प्रतिशत था। छात्र उपस्थिति भी कम रहती थी।अब औसतन 80 प्रतिशत उपस्थिति के साथ नियमित कक्षाएं लग रही है।

अंग्रेजी की स्पेशल क्लास

शिक्षिका श्यामा वर्मा,कविता वर्मा, हर्षिता सोलंकी विद्यार्थियों को न सिर्फ स्थानीय परीक्षाओं के लिए तैयार कर रही है बल्कि उनमें अंग्रेजी विषय को लेकर आत्मविश्वास भी जाग्रत कर रही है।

टी एल एम से होती पढाई

कक्षा 1 से 12 तक अभी जब सारे स्कूल्स में लगभग विद्यार्थियों की संख्या कम हो गयी है ,विनोबा स्कूल में टी एल एम के माध्यम से ,स्मार्ट क्लास और इंटरएक्टिव पैनल की मदद से पढाई जारी है और अधिकांश विद्यार्थी स्कूल आ रहे है। हाल ही में टी एल एम मेला, विज्ञान मेला भी आयोजित किया गया जिसमे सैकड़ो मॉडल प्रस्तुत किए गए। निर्धारित शत प्रतिशत प्रैक्टिकल करवाने में भी ये विद्यालय अव्वल रहा है।

स्कूल लीडर भी करा रहे विशेष तैयारी

प्राथमिक में सीमा चौहान, माध्यमिक में अनिल मिश्रा के साथ उप प्राचार्य गजेंद्र सिंह राठौर, प्राचार्य संध्या वोरा अपने क्लास वाक थ्रू के साथ ही नियमित अतिरिक्त कक्षाएं ले रहे है। लोकल की तैयारी के लिए गम्भीरता देखते ही बनती है। इसी दौरान प्रतिदिन 2 घण्टे बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थी भी परीक्षा की गेप में पढ़कर जा रहे है।

चयन का आधार है लाटरी

सी एम राइज विद्यालयों में भले ही चयन का आधार परीक्षा या उच्च अंक न हो परन्तु पुराने स्कूल से जिस स्तर पर भी विद्यार्थी मिले है, उनका उन्नयन ही एकमात्र लक्ष्य रखा प्रतीत होता है।

अंग्रेजी माध्यम का इकलौता सरकारी स्कूल

कक्षा 1,2,6,7,9 और 10 में अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं संचालित करने वाला जिले का एकमात्र सरकारी स्कूल जिसमे एन सी ई आर टी का सिलेबस पढ़ाया जा रहा है।यही सिलेबस हिंदी माध्यम में भी पढ़ाया जाकर स्पोकन इंग्लिश की अलग से तैयारी करवाई जा रही है।

क्या है वो बातें जो स्कूल को खास बनाती है

परीक्षा से चयनित स्टाफ और स्कूल लीडर, स्मार्ट स्टडी व्यवस्था, साफ-सफाई और सुरक्षा के उच्च मापदंड, शत प्रतिशत प्रैक्टिकल कार्य, प्रतियोगी तैयारी, स्टूडेंट डायरी, पालक सम्पर्क की नियमित व्यवस्था, विशिष्ट शिक्षक डायरी का संधारण, मॉर्निंग मीटिंग, सर्किल टाइम जैसे नवाचार, नियमित शिक्षक प्रशिक्षण, अधिक उपस्थिति और परिणाम पर छात्रों को प्रतिमाह पुरस्कार, माह के श्रेष्ठ शिक्षको को कार्य उपलब्धि पर पुरस्कार अनूठे कार्यक्रम है।भोपाल और जिला स्तर से प्रति सप्ताह मोनिटरिंग भी होती है तथा जरूरी सपोर्ट भी मिलता है। गत सत्र में खेल,विज्ञान और एक्टिविटी में भी विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय से जिला स्तर पर  सेकड़ो पुरस्कार जीते है। खेल शिक्षक प्रह्लाद बैरागी ने बताया कि चेतना खेल मेले में भी एथेलेटिक्स में 32 मेडल जीते है।

समस्याओं पर नहीं काम पर फोकस

विद्यालय में स्थान अभाव के कारण सीमित प्रवेश सम्भव हो पाए, अभी भी सीमित स्थान के कारण चलित लायब्रेरी, पेपर स्टैंड पर ही पत्रिकाएं, वर्ष भर चलने वाले प्रयोगों के बीच लैब में पढाई विवशता अवश्य है परन्तु उत्साह में कोई कमी नहीं है।

आने वाले समय में रचेंगे इतिहास

स्कूल में छुट्टी के पहले राष्ट्रगान करते हुए विद्यार्थी

जिस तरह से इस विद्यालय में पढाई का वातावरण,अतिरिक्त तैयारी, छात्र केंद्रित सर्वांगीण विकास पर ध्यान है और पूर्ण समर्पित स्टाफ है,आगामी दो-तीन वर्षों में ये विद्यालय प्रदेश और देश मे रतलाम का नाम रोशन करेगा। राज्य और जिला स्तर से विभिन्न निरीक्षणो में अधिकारियों ने यही बताया है इस विद्यालय के बारे में।उम्मीद है ये शिक्षण संस्था और यहां के शिक्षक अन्य गैर शैक्षणिक कार्यो में नहीं लगेंगे जिससे सरकारी स्कूलों के प्रति लोगो मे विश्वास बढ़ेगा। इस बाबत राज्य स्तर से निर्देश भी दिए गए है।

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