भौतिकता और आध्यात्मिकता की उन्नति का संतुलन बनाते हुए भारत ने किया विकास, भारत का चिंतन सदैव रहा “सर्वे भवंतु सुखिनः” और “वसुधैव कुटुंबकम” का
⚫ अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन प्रांत प्रमुख विनीत नवाठे ने कहा
⚫ उद्योगपति संजय व्यास का किया अभिनंदन
⚫ प्रस्तुति देने वाले कलाकार शौचे और चितले का किया सम्मान
हरमुद्दा
रतलाम, 16 अप्रैल। भारत को एक राष्ट्र नहीं अपितु विदेशियों ने धर्मशाला बना दिया। भारतीयों को भारत के भारत के ज्ञान, विज्ञान, कला, संस्कृति आध्यात्मिकता के गौरव को भूलने के लिए विवश किया। यह तो हमारी जड़ें काफी गहरे तक मजबूत है कि हमने हमारे गौरव को विस्मृत नहीं होने दिया। भारत ने आध्यात्मिकता और भौतिकता की उन्नति में संतुलन बनाकर विकास किया। भारत का चिंतन सदैव “सर्वे भवंतु सुखिनः” और “वसुधैव कुटुंबकम” का रहा है। हमारे लिए विश्व कल्याण की भावना सर्वोपरि है। विश्व एक परिवार है।
यह विचार राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रांत प्रमुख विनीत नवाठे ने व्यक्त किए। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत राष्ट्रीय कार्यकारिणी की साधारण सभा में दूसरे दिन के द्वितीय सत्र में श्री नवाठे बतौर मुख्य वक्ता मौजूद थे।
यह थे विशेष रूप से मौजूद
प्रबुद्ध जनों के लिए आयोजित कार्यक्रम में विशेष रूप से पद्मश्री डॉ. लीला जोशी, डीआईजी मनोज कुमार सिंह, स्टेट बैंक आफ इंडिया के सहायक महाप्रबंधक अरुण सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनकर सबनीस, ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना, जीवराज पुरोहित, देवप्रसाद, रुपेश पिरोदिया, नरेश सकलेचा, राजेश पगारिया, अशोक देवड़ा, महेंद्र भंडारी और देश के विभिन्न प्रांतों से आए 200 प्रतिनिधियों के साथ शहर के गणमान्य जन मौजूद थे।
पहचान और अस्तित्व के साथ जब अहंकार आ जाए तो होती दिक्कत
शहर के गणमान्य और प्रबुद्ध वर्ग के लिए आयोजित सभा में श्री नवाठे ने कहा कि किसी भी देश का अस्तित्व और उसकी पहचान दोनों जरूरी है। मगर जब पहचान और अस्तित्व के साथ ही अहंकार जुड़ जाता है तो दिक्कत होती है। अहंकार के कारण ही संघर्ष आते हैं और झगड़े पैदा होते हैं। विडंबना यह है कि देश में विदेशी ताकतों ने विखंडन को जगाया है। यह सिक्ख है। यह दलित है। यह आदिवासी है। यह स्त्री है। यह पुरुष है। यह सब किया। मगर भारतीय संस्कृति की जड़ों को हिला नहीं पाए क्योंकि हमारा रजिस्ट्रेंट्स पावर काफी मजबूत है। हम राजा पर निर्भर नहीं हैं। पूरी व्यवस्था गांव पर केंद्रित है। हम आत्मनिर्भर हैं। उस दौर में नई शिक्षा पद्धति लाए। यह उनका आकलन था। यह पढ़े लिखे हैं। यह पढ़े लिखे नहीं हैं। जबकि उसके पहले भी हमारा व्यापार व्यवसाय बेहतर तरीके से चलता था, याने कि पढ़े-लिखे तो थे। लेकिन उनकी नजर और नजरिया कुछ और था। लेकिन हम हर क्षेत्र में श्रेष्ठ ही नहीं सर्वश्रेष्ठ साबित हुए और हो रहे हैं। भारतीयों में विश्व कल्याण की भावना निहित है। स्वार्थ नहीं परमार्थ की भावना निहित है।
यह थे मंचासीन
गणमान्य एवं प्रबुद्ध जनों के लिए हुए आयोजन में मंच पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण भाई शाह, मालवा प्रांत अध्यक्ष दीपलक्ष्मी धामणकर, मुख्य वक्ता विनीत नवाठे, उद्योगपति एवं समाजसेवी संजय व्यास मंचासीन थे। मंचासीन अतिथियों का स्वागत अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के कमलेश मोदी, हेमंत भट्ट, राजेश तिवारी एवं मनमीत कटारिया ने किया। रतलाम के वरिष्ठ कलाकार प्रशांत शौचे ने वैयक्तिक गीत “वसुंधरा परिवार हमारा ” की प्रस्तुति दी।
एमआरपी मूल्य की विडंबना को किया रेखांकित
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के सह सचिव जयंत कथेरिया ने प्रतिवेदन प्रस्तुत कर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत द्वारा की गई वर्षभर की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने ग्राहक हित के लिए किए गए विभिन्न कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। देश के विभिन्न राज्य में किए गए अनुकरणीय कार्यों की सराहना की। वस्तुओं पर एमआरपी मूल्य की विडंबना को रेखांकित किया।
उद्योगपति व्यास का किया अभिनंदन
मुख्य वक्ता श्री नवाठे एवं उद्योगपति श्री व्यास का परिचय अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के प्रांत सह सचिव अनुराग लोखंडे ने दिया। उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री व्यास का राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शाह ने अभिनंदन कर स्मृति चिह्न भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सह सचिव नेहा जोशी ने किया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह ने दी नसीहत
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के दूसरे दिन के पहले सत्र में राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण भाई शाह ने पदाधिकारियों को ग्राहक हित में कार्य करने की नसीहत दी। मंच पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शाह के साथ राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनकर सबनीस, राष्ट्रीय सचिव अरुण देशपांडे मौजूद थे। प्रारंभ में अतिथियों स्वामी विवेकानंद एवं भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया गया। मातृ वंदना सुहास चितले ने प्रस्तुत की वहीं संगठन मंत्र प्रशांत शौचे ने प्रस्तुत किया। प्रथम सत्र का संचालन राष्ट्रीय सह सचिव जयंत कथेरिया ने किया।
प्रस्तुति देने वालों का किया सम्मान
राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन प्रथम एवं द्वितीय सत्र में प्रस्तुति देने वाले सुहास चितले का सम्मान मालवा प्रांत अध्यक्ष दीपलक्ष्मी धामणकर ने किया। प्रशांत शौचे का सम्मान राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण भाई शाह ने किया।
फोटो : लगन शर्मा