कलेक्टोरेट में गूंजी जनमत की आवाज : पंचायती राज हाय हाय, पीएचई विभाग मुर्दाबाद, कलेक्टर को बुलाओ उनसे ही करेंगे बात, कलेक्टर ने महिला जनप्रतिनिधि चुप रहने के लिए दिखाई उंगली
⚫ मुद्दा पानी की टंकी गांव की बजाय दूर बनाने का
⚫ जहां के लिए डीपीआर और भूमि पूजन हुआ वहां पर पीएचई विभाग नहीं कर रहा टंकी का निर्माण
⚫ कलेक्टर ने दिया 3 दिन में कार्रवाई का आश्वासन
हरमुद्दा
रतलाम, 17 अप्रैल। रतलाम इंदौर फोरलेन पर रतलाम से मात्र 10 किलोमीटर दूर धराड़ के सैकड़ों लोग सोमवार को कलेक्टोरेट पहुंचे और नारेबाजी की। गांव में पेयजल की टंकी नहीं बनाते हुए दूर बनाने का विरोध कर रहे थे। शहर एसडीएम और जिला पंचायत सीईओ उनसे बात करने पहुंचे, लेकिन वह नहीं माने। उनका एक ही कहना था कलेक्टर को बुलाओ, तभी बात करेंगे। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी के समक्ष समस्या रखी। जब महिला सरपंच बोलने लगी तब कलेक्टर ने उंगली दिखाते हुए चुप रहने को कहा। ग्रामीणों की मांग का 3 दिन में निराकरण का आश्वासन कलेक्टर द्वारा दिया गया।
सोमवार को 12:00 बजे धराड़ की महिला सरपंच विजया कुंवर पति विक्रमसिंह राठौड़, उपसरपंच रामलाल जाटवा गांव के सैकड़ों महिला पुरुषों के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे। कलेक्ट्रेट कार्यालय ग्रामीणों के नारों से गूंज उठा पंचायती राज हाय हाय। पीएचई विभाग मुर्दाबाद। पीएच के अधिकारी भी मुर्दाबाद जैसे नारे लगाए। हर जोर जुल्म की टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है। सैकड़ों महिला-पुरुष पीएचई विभाग की मनमानी और राजनीतिक दबाव के चलते आक्रोशित थे।
बार-बार बैठे धरने पर ग्रामीण
शहर एसडीएम संजीव केशव पांडेय और जिला पंचायत की सीईओ जमुना भिड़े उनसे बात करने के लिए पहुंची। उनकी समस्या के समाधान की बात कही लेकिन वह नहीं माने। इस दौरान कई बार ग्रामीणजन धरना देने की बात करते हुए नीचे बैठ गए। फिर उठे, फिर बैठे। करीब आधे घंटे बाद कलेक्टर श्री सूर्यवंशी पहुंचे और ग्रामीणों की समस्या को सुना। कलेक्टर के समक्ष महिला सरपंच ने जब बताया तो कलेक्टर ने उंगली दिखाते हुए चुप रहने का इशारा किया और स्वयं बोलते रहे। उन्होंने आश्वासन दिया कि 3 दिन में समस्या का निराकरण होगा।
जहां पर हुआ भूमि पूजन, वहीं बननी चाहिए टंकी
महिला सरपंच के भतीजे धीरज सिंह राठौड़ ने हरमुद्दा को बताया कि गांव के एक छोर पर 1 लाख 25 हजार लीटर क्षमता वाली टंकी बनी हुई है। दूसरे छोर पर भी 75000 लीटर पानी की क्षमता वाली टंकी बनी हुई है तो तीसरी टंकी गांव के मध्य में ही बनाई जानी चाहिए। जिसके लिए पहले से ही स्थान तय हो चुका है। डीपीआर बन चुकी है। यहां तक कि भूमि पूजन भी हो गया है। इसके बावजूद राजनीतिक दबाव और पीएचई विभाग के अधिकारियों की मनमानी के चलते तीसरी टंकी भी गांव से दूर बनाई जा रही है जो कि गांव की जनता के साथ उचित नहीं है।
कलेक्टर का यह बर्ताव नहीं देता शोभा
महिला सरपंच के भतीजे धीरज ने बताया कि कलेक्टर साहब ने महिला जनप्रतिनिधि के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया। उंगली दिखाते हुए चुप रहने के लिए कहा। यह कलेक्टर को शोभा नहीं देता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री की बहनों और भांजियों के साथ कलेक्टर द्वारा ऐसा व्यवहार उचित नहीं है।
मांग नहीं मानी गई तो प्रशासन को आना होगा वहां पर
गांव के पंच लोकेंद्र सिंह, राधेश्याम, उप सरपंच रामलाल जाटवा, पूर्व सरपंच चिमनलाल, अमृतलाल चौधरी, विनोद पालीवाल, सुरेश राठौड़, राजेश पुरोहित, हेमेंद्र सिंह, सुखदेव पाटीदार, अमृत पटेल, मनोज राठौड़, रतनलाल पाटीदार, झमकलाल पाटीदार सहित अन्य लोगों का कहना है कि राजनीतिक दबाव और पीएचई वालों की मनमानी बिलकुल नहीं चलेगी। टंकी गांव के मध्य ही बननी चाहिए। आज तो हम यहां पर आए हैं लेकिन अब यहां नहीं आएंगे। अब प्रशासन को ही वहां आना पड़ेगा। गांववासियों की एक ही मांग है की टंकी गांव के मध्य में बनाई जाए।