रेड क्रॉस दिवस पर खास : अंतरराष्ट्रीय संस्था रेड क्रॉस का चिह्न भारत में “रेड स्वस्तिक सोसायटी” करना श्रेयस्कर
⚫ सृजन भारत के संयोजक अनिल झालानी में 2016 में किया था इस मुद्दे पर राष्ट्रपति से पत्र व्यवहार
⚫ अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस एवं रेड क्रिसेंट सोसायटी के अध्यक्ष को स्वीटजरलैंड जेनेवा भी भेजा है पत्र
⚫ विश्व के कई देशों ने धर्म आधारित रेड क्रॉस को छोड़कर अपने गौरवशाली चिह्न अपनाएं
हरमुद्दा
रतलाम, 8 मई। विश्व मानवता की सेवा में सक्रिय अंतरराष्ट्रीय संस्था रेड क्रॉस सोसाइटी के प्रतीक चिह्न भारत में “रेड स्वस्तिक सोसायटी” के रूप में अपनाया जाना श्रेयस्कर होगा क्योंकि विश्व के अनेक देश अपने गौरवशाली प्रतीक चिह्न को रेड क्रॉस में उपयोग कर रहे हैं। उनका यही मानना है कि सांस्कृतिक विरासत के गौरवशाली चिह्न को अपनाया जाए। इसलिए भारत में भी ऐसा ही होना चाहिए।
सृजन भारत के संयोजक अनिल झालानी
सृजन भारत के संयोजक अनिल झालानी ने इस आशय का पत्र तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजा था और उनसे निवेदन किया था कि भारत देश में रेड क्रॉस के साथ स्वस्तिक चिह्न का उपयोग किया जाए ताकि भारतीय संस्कृति की सांस्कृतिक एकता नजर आए।
विश्व के कई देशों ने रेड क्रॉस को धर्म से जोड़कर देखा है और अपने देश की सांस्कृतिक विरासत के चिह्न को अपनाया है। विश्व के कई इस्लामिक देश रेड क्रिसेंट सोसायटी के नाम से भी सेवा के कार्य में सक्रिय हैं।
15 वर्षों तक रहे उपाध्यक्ष श्री झालानी
उल्लेखनीय है कि श्री झालानी रतलाम रेड क्रॉस सोसाइटी के प्रथम सदस्य होकर संस्थापक व पैटर्न मेंबर भी है। लगभग 15 वर्ष तक उपाध्यक्ष रहे तथा 3 सत्र तक रतलाम जिले का प्रदेश में प्रतिनिधित्व किया। प्रदेश अध्यक्ष मुकेश नायक के कार्यकाल में प्रदेश रेड क्रॉस सोसायटी की आपदा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष रहे।
रेडक्रॉस सोसायटी के सेवा कार्यों से प्रभावित होकर रतलाम शाखा को किया पुरस्कृत
राज्यपाल भाई महावीर एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह श्रेष्ठ कार्यों के लिए पुरस्कृत करते हुए
रेड क्रॉस सोसाइटी के बेहतर कार्यों के मद्देनजर मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल द्वारा रेडक्रॉस सोसायटी रतलाम शाखा को समाज सेवा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यो के लिए पुरस्कृत किया गया।
अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस एवं रेड क्रिसेंट सोसायटी के अध्यक्ष को स्वीटजरलैंड जनेवा भेजा पत्र
श्री झालानी ने अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस एवं रेड क्रिसेंट सोसायटी के अध्यक्ष को स्वीटजरलैंड जनेवा पत्र भेजा है। पत्र के माध्यम से सितंबर 2020 में ही अवगत कराया है कि सन 2005 में जब इजराइल ने इन दोनों प्रतीक चिह्नों पर आपत्ति जताते हुए यहूदी सरकार ने क्रिश्चियनिटी और इस्लामिक सेवा सोसायटी के अपने धर्मों के प्रतीक चिह्नों से अलग हटकर अपने धर्म आधारित एक नए प्रतीक चिह्न का दबाव बनाते हुए “मेगन डेविड एडोम
रेड क्रिस्टल” की स्वीकृति करवाते हुए उसे अपनाया है।
रेड स्वस्तिक सोसायटी की मान्यता प्रदान करना बेहतर
हालांकि श्री झालानी ने यह भी कहा कि सेवा कार्य तो धार्मिक चिह्न से ऊपर उठकर होता है लेकिन कुछ देश जब ऐसा कर रहे हैं तो भारत देश में भी रेड स्वस्तिक सोसायटी होना चाहिए। श्री झालानी ने कहा कि विश्व की तकरीबन 7 अरब की आबादी है जिसमें से लगभग दो अरब हिंदू,बौद्ध सिख, जैन,पारसी आदि धर्म का पालन करते हैं जो कि विश्व की कुल आबादी का 25 फीसद से अधिक है। उनको इन वर्तमान में प्रचलित तीनों प्रतीकों से आपत्ति है क्योंकि यह प्रतीक चिह्न धर्म आधारित हो चुके हैं। अतः हिंदू प्रभावित देशों भारत, श्रीलंका, नेपाल, थाईलैंड, वर्मा, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, चीन, जापान, कोरिया सहित अन्य हिंदू एवं बौद्ध बहुल राष्ट्रों में रेड क्रॉस सेवा संस्थान के प्रतीक चिह्न के रूप में रेड स्वस्तिक सोसायटी की मान्यता प्रदान करना बेहतर होगा।