62 वीं व्याख्यानमाला : देश का हर राज्य एक मिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का काम करें तो अमेरिका से आगे निकल जाएंगे हम

रैंक बैंक के संस्थापक नरेंद्र सेन ने कहा

⚫ दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर अगले 5 साल में भारत में बनेगा

⚫ 15 साल बाद हमारे घर में काम करेगा रोबोट, आदमी का जीवन होगा 200 साल

⚫ सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी के व्याख्यान के साथ शनिवार को होगा व्याख्यानमाला का समापन

हरमुद्दा
इंदौर, 19 मई। हमें देश को आगे बढ़ाना है। इस समय हमारे देश की अर्थव्यवस्था 3.5 मिलियन डॉलर की है। यदि हमारे देश का हर राज्य एक मिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने का काम कर लें, तो हम अमेरिका से आगे हो जाएंगे। दुनिया का सबसे तेज चलने वाला सुपर कंप्यूटर अगले 3 से 5 साल में भारत में बन जाएगा। इसको बनाने में इस समय 4000 करोड रुपए लगने की उम्मीद है। हमारे देश में हर दिन रूस और चीन से 200 साइबर अटैक हो रहे हैं। हमें अपने बच्चों को किताबी ज्ञान से रियल लाइफ में लाना होगा। 15 साल बाद हम लोगों के घर पर रोबोट काम करने लगेगा और आम नागरिक का जीवन 200 साल का हो जाएगा। दुनिया का सबसे तेज सुपरफास्ट कंप्यूटर अगले 5 साल में भारत में बन जाएगा।

यह विचार रैंक बैंक के संस्थापक नरेंद्र सेन ने व्यक्त किए। अभ्यास मंडल के बैनर तले चल रही 62 वीं व्याख्यानमाला के सातवें दिन श्री सेन बतौर मुख्य वक्ता मौजूद थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत शब्बीर हुसैन, शरद सोमपुरकर, सुभाष चंद्र भाचावत, अक्षय जायसवाल, प्रत्युष जैन ने किया।

तब बन सका हमारा डाटा सेंटर

पद्मश्री अभय छजलानी, वेद प्रताप वैदिक और वसंत शिंत्रे की स्मृति में चल रही व्याख्यानमाला में “डिजिटल इकोनामी में भारत का योगदान व अवसर” विषय पर श्री सेन ने कहा मैंने एक आर्टिकल पड़ा था जो कि सिंगापुर से लिखा गया था । उसमें कहा गया था कि डाटा सेंटर के लिए भारत ठीक जगह नहीं है। यह बात उस स्थान से लिखी गई थी, जहां से 200 गुना ज्यादा आबादी हमारे देश की है । उस समय पर हम अमेरिका के डाटा सेंटर से अपना काम करते थे । इस पर मैंने खुद ही अपने मित्र के घर में डाटा सेंटर खोला। यह डाटा सेंटर ऐसा होना चाहिए जो कि 24 घंटे सातों दिन काम करें। कभी भी यह बंद नहीं होना चाहिए। जहां पर हमने डाटा सेंटर खोला था वहां पर डीपी उड़ जाने से 2 दिन तक सेंटर बंद रहा। हमारे पास जितने ग्राहक आए थे उसमें से आधे भाग गए। इसके बाद हमने डाटा सेंटर का मॉडल समझा। अब समस्या यह थी कि जहां पर जमीन थी वहां बिजली नहीं थी और जहां जमीन और बिजली थी वहां इंटरनेट नहीं था। जहां यह सब कुछ था वहां पर कीमत बहुत ज्यादा थी। ऐसे में एक डाटा सेंटर बनाने के लिए कम से कम 25 करोड रुपए की जरूरत पड़ रही थी। हमने मध्य प्रदेश सरकार के समक्ष प्रेजेंटेशन देकर प्रदेश में डाटा सेंटर बनाने के लिए आवाज उठाई और उसी के बाद में हमारा डाटा सेंटर बना सका।

जिसके पास डाटा वह सुपर पावर

उन्होंने कहा कि हमारे देश की 70% आबादी 30 वर्ष से कम उम्र की है । यह आबादी हर दिन कम से कम 3 से 4 घंटे इंटरनेट पर बिता रही है। अमेरिका की किसी भी तकनीकी कंपनी के लिए भारत एक बड़ा मार्केट है क्योंकि चीन ने बाहर की कंपनियों के लिए अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं। दूसरे देशों से आने वाली कंपनियों के कैपिटल से हमारी जीडीपी पड़ेगी और रोजगार भी मिलेगा। इस समय यह स्थिति है कि जिसके पास डाटा है वह सुपर पावर बनता है। हम अक्सर सुनते हैं कि बैंक की लिंक फेल हो गई या किसी पोर्टल का सर्वर डाउन है तो वह सभी डाटा सेंटर के कारण ही होता है। इस समय सरकार द्वारा डाटा प्रोटेक्शन एक्ट भी लाया जा रहा है।

सबसे ज्यादा चिंता और चर्चा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की

उन्होंने कहा कि इस समय डिजिटल वर्ल्ड है। इसमें दुनिया में कहीं से भी बैठकर किसी भी खाते से पैसा निकाला जा सकता है। यदि हम नई तकनीक को नहीं अपनाएंगे तो 10 से 20 साल पीछे हो जाएंगे। इस समय सबसे ज्यादा चिंता और चर्चा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की हो रही है। यह आशंका जताई जा रही है कि इसके कारण दुनिया का रोजगार छिना जाएगा। पिछले 20 सालों में दुनिया में जितना डाटा नहीं बना उससे ज्यादा डाटा एआई के माध्यम से पिछले 5 साल में बनकर तैयार हो गया है। यह एक मशीन लर्निंग तकनीक है। वर्ष 2020 के बाद हम नए तकनीकी युग में जा रहे हैं। इस युग में मशीन और तकनीक आपस में बात कर रहे हैं। चैट जीपीटी व्यक्ति की क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। उसमें निरंतर अध्ययन प्रक्रिया रहेगी। कोरोना के संक्रमण काल ने हम लोगों को यह सिखा दिया कि हम ऑनलाइन मीटिंग ले सकते हैं और वह किस तरह ले सकते हैं। इस समय भारत के लोग पूरी दुनिया को डिजिटलाइज कर रहे हैं। पहले भारत बीपीओ में नंबर 1 था, अब इस स्थान पर फिलीपींस आ गया है।

भारत का तकनीकी टैलेंट पूरी दुनिया को देने लगा ज्ञान

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के समय पर हर देश ने इसकी दवा तैयार कर ली जबकि शुगर की दवा आज तक नहीं बन सकी। भारत का तकनीकी टैलेंट पूरी दुनिया को ज्ञान देने में लगा है। हमें यह सोचना होगा कि हम अमेरिका की तरह एप्लीकेशन क्यों नहीं बनाते हैं ? हमारे देश में 85 करोड़ लोग ऑनलाइन हैं। इसके बाद भी हम जीमेल और गूगल का अल्टरनेट क्यों नहीं बना पाए ? आने वाले 15 साल में हम लोगों के घर में रोबोट काम करने लगेगा। एआई के माध्यम से मानव जीवन 200 साल का हो जाएगा लेकिन उसके लिए अब अगले 20 साल हमें जीना पड़ेगा। यह तो अब इतना ज्यादा आगे निकल गया है कि यदि हम भाषण दे रहे हैं तो वह बता देगा कि भाषण कितने लोगों ने सुना, उसमें से कितने को समझ में आया और कितने लोग भाषण के दौरान सो रहे थे।

समापन शनिवार को

व्याख्यानमाला में मौजूद सुधी श्रोताजन

अतिथि को स्मृति चिह्न देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉक्टर रेणु जैन एवं वरिष्ठ पत्रकार सद्गुरु शरण ने भेंट किया। अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने बताया कि 62 वीं व्याख्यानमाला का समापन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी के व्याख्यान से होगा। संचालन डॉक्टर पल्लवी अढाव ने किया । आभार अजीत सिंह नारंग ने माना ।

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