खरी खरी : विधायक जी सुन लो खास, विकास के नाम पर कर रहा है नगर निगम रुपयों का सत्यानाश, …व्यापारी, शहरवासी, हर कोई है उदास, … प्रयास हो रहे बकवास, … जनप्रतिनिधि और अधिकारियों में कार्य करवाने की नहीं कूवत

हेमंत भट्ट

विधायक जी सुन लो बात बहुत खास है। शहर वासियों का कहना है नगर निगम विकास के नाम पर रुपयों का सत्यानाश कर रहा है। व्यापारी, शहरवासी हर कोई उदास है। विकास, सफाई पानी, स्वच्छता के प्रयास बकवास साबित हो रहे हैं। नगर निगम में प्रशासक राज खत्म होने के बाद निठल्ले जनप्रतिनिधियों के कारण स्थिति बद से बदतर हो रही है। अधिकारियों में कार्य करवाने की कूवत नहीं है। लोगों का कहना है कि धोलावाड़ में महापौर की नौटंकी देख चाटुकारों ने मक्खन की दुकान खोल ली और कहने लगे विधायक के दावेदार तो आप ही हो। मतदाताओं का मानना है कि विधायक जी आपकी नगर सरकार ही आपका बंटाढार करने पर आमादा है।

भले ही शहर विधायक अमृत महोत्सव के दौर में महा जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं। घर-घर दस्तक दे रहे हैं। 9 वर्ष के प्रधानमंत्री कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रहे हैं। भाजपा की साख जमाने पर लगे हुए हैं। अपनी बात बता रहे हैं, मगर यह सब उस समय बेमानी हो जाएगी, जब शहरवासी अपनी नाराजगी जाहिर कर देंगे। वजह साफ है सबको नजर आ रही है। नगर सरकार बंटाढार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। विधायक जी शहर के लोगों की बात को भी गौर से सुन लीजिए कि वह क्या कह रहे हैं? आप विकास कर रहे हैं और वह …।

प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान थी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद

महापौर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद जब चुनाव नहीं हुए और प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में नगर निगम का संचालन हो रहा था, उस दौरान आमजन को किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई। समय पर पानी मिला। सफाई हुई। सब कुछ हुआ। किसी प्रकार की शहरवासियों को कोई दिक्कत और परेशानी नहीं हुई। जबकि वह दौर तो कोरोना काल की महामारी का था। इस दौरान भी सड़कों पर झाड़ू लगी। नालियों की सफाई हुई। दवाई का छिड़काव हुआ। कचरा कलेक्शन की गाड़ियां भी आई लेकिन किसी भी कर्मचारी ने झाड़ू लगाने और कचरा गाड़ी लाने के पैसे वार्ड वासियों से नहीं मांगे।

चाय पानी के पैसे दो, नहीं दो तो काम नहीं

जैसे ही नगर सरकार का कार्यकाल शुरू हुआ, वैसे ही शहर वासियों की मुसीबत के दिन शुरू हो गए। सफाई कर्मचारियों और कचरा कलेक्शन करने वालों में चाय पानी के पैसे हर सप्ताह मांगने की आदत बन गई है। नहीं देते हैं तो उस क्षेत्र में कचरा की गाड़ी ही नहीं लाते हैं, वहीं सफाई कर्मचारी झाड़ू लगाने नहीं आते हैं। यदि आते भी हैं तो उन मकान के आगे की झाड़ू नहीं लगाई जाती है। लोगों से मांगने यह कार्य सफाई कर्मियों द्वारा बिंदास किया जा रहा है मगर जिम्मेदार अधिकारियों का कोई नियंत्रण नहीं है। काम नहीं करने वाले कर्मचारी को ताल ठोक कर कहते हैं कि रुपए दे दो तो बिना काम किए भी प्रेजेंट लग जाती है।

पार्षद और पार्षद पति की भी नहीं सुनते

इतना ही नहीं पार्षद और पार्षद पति के कहने पर भी दरोगा कार्य नहीं कर रहे हैं। सीसी रोड पर गंदगी का साम्राज्य है। लोग मकान बना रहे हैं। उसका कीचड़ लोगों के घरों के सामने आ रहा है, मगर सफाई करवाने के नाम पर जीरो बटे सन्नाटा। जिस व्यक्ति का मकान बनता है, उसे भी नहीं कहते कि वह सफाई करवाएं। आखिर दूसरे लोग इस परेशानी को क्यों भुगते? समझ से परे है।

आखिर ऐसा क्यों?

नाली बनाने के लिए तोड़ी गई दुकान

जन-जन में चर्चा तो यही है कि जब से नगर सरकार पुनः अस्तित्व में आई है, तब से शहरवासी, व्यापारी नौकरी पेशा खासे परेशान हैं। भाई भतीजावाद चल रहा है। नगर निगम भ्रष्टाचार का अखाड़ा बन चुका है। शहर में अन्य क्षेत्रों में भी फोरलेन बनी लेकिन अतिक्रमण नहीं हटाया गया, मगर जब बाजना बस स्टैंड से अमृत सागर तालाब तक की फोरलेन बनाई गई तो उन्हें अतिक्रमण नजर आया और लोगों को पक्का निर्माण तोड़ना पड़ा क्योंकि नाली जो बनना है, जबकि नाली अभी बनी नहीं है। 1 पखवाड़े से नाली बनाने की कार्रवाई चल रही है। बाजना बस स्टैंड पर नगर निगम द्वारा बनाई गई दुकानों के ओटले भी तोड़ दिए गए, यानी कि नगर निगम ने अतिक्रमण करके दुकानों के आगे ओटले बनाए थे। वहां पर भी नाली बनेगी। यह कार्रवाई चांदनी चौक, चौमुखी पुल, नोलाई पुरा, घास बाजार, शायर चबूतरा क्षेत्र में नहीं हुई। जैसे थे वैसे ही अतिक्रमण रहने दिए और फोरलेन बनाई गई। नाली बन गई। कुछ जगह बन रही है। आखिर यह सब क्या है? ऐसा क्यों हो रहा है?

जब तक काम पूरा नहीं दुकानदारी ठप

तीन-तीन महीने से लोगों की दुकानें बंद है। व्यापार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि शहर में विकास हो रहा है। सीसी रोड बन रहे हैं लेकिन सीसी रोड बनने के बावजूद भी नाली अभी तक नहीं बनी है। अब नाली बनाने की कार्रवाई चल रही है तो भी व्यापार व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। जबकि ठेकेदार लाखों रुपए कमा रहे हैं और व्यापारी 2 जून की रोटी के लिए परेशान हो रहे हैं। दुकानदारी ठप हो रही है। ऐसा विकास हो रहा है। पार्षद और अधिकारियों की मिलीभगत से ही सीसी रोड बन रहे हैं।

वह सब सुखी

जहां पर पार्षद डामरीकरण की बात कर रहे हैं, वहां पर डामरीकरण हो रहा है। जिन क्षेत्रों में डामरीकरण किया गया, उन क्षेत्र के लोग सुखी और खुश नजर आ रहे हैं। एक रात में पूरी सड़क बन रही है और ना कोई व्यापार व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। अभी नाहरपुरा, कॉलेज रोड, गणेश देवरी से डालू मोदी बाजार तक डामर की सड़क फटाफट बन गई।

सीसी रोड और जलजमाव

शहर में विकास के नाम पर सत्यानाश होने के अलावा और कुछ नहीं हो रहा है। कहने को तो करोड़ों रुपए के सीसी रोड के कार्य हो रहे हैं लेकिन कोई गुणवत्ता नहीं है। ना कोई इंजीनियरिंग है। ना लेवल है। ना ढलान है। कुछ भी नहीं। सीसी रोड पर जलजमाव हो रहा है। इसके बावजूद कोई ध्यान देने को तैयार नहीं। सीसी रोड तो कायदे से प्लेन होनी चाहिए लेकिन बाजना बस स्टैंड की बनी सीसी रोड छोटे-छोटे स्पीड ब्रेकर से कम नहीं है। खास बात तो यह है कि सीसी रोड बनाने के लिए घरों के सामने ही गिट्टी और रहती के ढेर लगा दिए। इस कारण लोग परेशान हैं। पार्षद भी ध्यान नहीं देते हैं। शहर भर में पार्षदों के यही आलम है। उनको आम जनता की कोई फिक्र नहीं है।

बनी बनाई सड़कें उखाड़ रहे जिम्मेदार

बुद्धेश्वर मंदिर मार्ग की उखाड़ी गई सीसी रोड
बुद्धेश्वर मंदिर से ईश्वर नगर रेलवे फाटक सीसी मार्ग को भी उखाड़ कर बनाया गया था, अवशेष आज भी मौजूद

कमीशन खोरी में जिम्मेदार बनी बनाई सीसी रोड को उखड़वाकर फिर से बना रहे हैं जबकि उन्हें बनाए कुछ साल भी नहीं हुए। सीसी रोड इसीलिए बनाई जाती है कि वह दस बीस साल कुछ भी नहीं कहेगी। लोगों को पूरी सुविधा देगी। पानी में डामर की सड़क खराब हो जाती है यह कहकर ही सीसी रोड का चलन शुरू हुआ लेकिन सीसी रोड के कारण ही गर्मी की बढ़ रही है। जलस्तर घट रहा है लेकिन काली कमाई का जरिया काफी बढ़ रहा है। घटिया निर्माण के कारण बनते बनते ही सीसी रोड उखड़ रही है। कुछ रोड तीन चार महीने में जवाब दे चुकी है मगर जिम्मेदारों पर और कार्रवाई नहीं हुई है।

मानसून के बहाने हीरो बनने की नौटंकी

नगर के प्रथम नागरिक ने 2 दिन पहले ही धोलावाड़ में उतर कर गाद निकालने का वीडियो शूट करवाया और जारी भी कर कर दिया। इतना ही नहीं इस देखा देखी में अधिकारी ने पोकलेन चलाने की भी नौटंकी की। इसके बावजूद भी शहर की जल प्रदाय व्यवस्था पटरी पर नहीं आई। लोग दबी जबान में कह रहे हैं कि महापौर और अधिकारी के इस कृत्य से साफ जाहिर हो रहा है कि नगर सरकार के जिम्मेदार पद पर बैठे जनप्रतिनिधि और अधिकारियों में कर्मचारियों से काम करवाने की कूवत नहीं है। तभी तो वह मैदान में उतर कार्य करने की नौटंकी कर रहे हैं ताकि सहानुभूति बटोरी जा सके। नौटंकी भी इसलिए कि मानसून आ ही जाएगा। पानी की कोई दिक्कत होगी नहीं और वाह वाही मिलेगी, वह बोनस में। लोगों के भी हीरो बन जाएंगे। चाटुकार कलमकारों ने नगर के प्रथम नागरिक की नौटंकी को ऐसे जाहिर किया कि इनसे बड़ा कोई समाजसेवी और जमीनी नेता नहीं है। मक्खन की दुकान खोलने वाले ने तो यह तक कह डाला कि अब तो विधायक के काबिल भी आप ही हो।

पानी के लिए 4 घंटे इंतजार

महीनों से शहर के लोग पेयजल के लिए परेशान हैं। सुबह वितरण किए जाने वाला पानी शाम को आ रहा है। एक दिन छोड़कर आने वाला पेयजल 2 दिन बाद भी समय पर नहीं मिल रहा है। नौकरी पेशा और कामकाजी लोग आखिर घरों में पानी कब भरे? कोई समय नहीं, कोई ठिकाना नहीं है। जल प्रदाय कब होगा? पता नहीं। जिम्मेदारों की मेहरबानी रही तो यह घोषणा कर दी जाती है कि 5 से 9 बजे के बीच में जल प्रदाय होगा। तो क्या केवल 20 मिनट के पानी के लिए 4 घंटे इंतजार करें।

कोई असर नहीं इनकी सेहत पर

परेशान लोगों का कहना है कि आमजन को पानी मिले या ना मिले। सफाई हो या ना हो, निर्माण कार्य अच्छा हो, ना हो। समय सीमा में काम हो या ना हो। ठेकेदार और उनके चाहने वालों को जन सरोकार से कोई मतलब नहीं। वहीं नगर निगम के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। खास बात तो यह है कि उनको काम नहीं करने की तनख्वाह के साथ ही मोटा कमीशन भी मिल रहा है कि बने रहो धृतराष्ट्र।

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