धर्म संस्कृति : संसार में जिसके पास मन की शांति नहीं वह रोडपति, जिसके पास है वह करोड़पति
1 min read⚫ आचार्य श्री विजय कुलबोधि सुरीश्वरजी म.सा. ने कहा
हरमुद्दा
रतलाम, 28 जून। आचार्य श्री विजय कुलबोधि सुरीश्वरजी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली, मोहन टॉकीज में प्रवचन देते हुए कहा कि आपत्ति, अशांति और असंतोष ही प्रभु के पास नहीं जाने देते हैं। मुसीबत आती है तो व्यक्ति भगवान को याद करता है और मुसीबत टलते ही भूल जाता है। ठीक इसी प्रकार अशांति होने पर व्यक्ति प्रभु के पास जाता है। जिसके पास मन की शांति नहीं वह रोडपति है और जिसके पास मन की शांति वह करोड़पति है। ठीक इसी प्रकार असंतोष में भी व्यक्ति प्रभु को याद करता है। सब कुछ होने के बाद भी मन में हमेशा और अधिक का असंतोष पनपता है। जीवन में क्रोध से बचने की संभावना है लेकिन लोभ से बचने की नहीं।
श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी रतलाम के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मास प्रवचन के दौरान आचार्य श्री ने सतयुग और कलयुग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कलयुग में कितने भी माइनस हो लेकिन एक प्लस के कारण मैं नमस्कार करता हूं, क्योंकि मुझे प्रभु मिले है। जीवन में कभी-कभी दुख भी सुख में बदल जाता है। जहर भी अमृत बन जाता है। ऐसे ही मुझे भगवान मिल गए इसलिए कलयुग भी सतयुग है।
हनुमान जी का राम से और कृष्ण का अर्जुन से रिलेशन
आचार्य श्री ने प्रभु के साथ कनेक्शन और रिलेशन के बारे में कहा कि जैसे तेल में पानी छट जाता है और दूध में पानी मिल जाता है, ठीक उसी तरह से हमारा संपर्क भगवान से दूध और पानी की तरह होना चाहिए। जैसे गौतम का महावीर से, हनुमान का राम से और अर्जुन का कृष्ण के साथ रिलेशन था। प्रवचन के दौरान बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।